रेलवे की एमएसटी सुविधा बंद, प्रतिदिन यात्रा करने वालों की बढ़ी परेशानी

जो यात्री एमएसटी पर दो सौ से तीन सौ रुपए में पूरे महीने तक आसानी से सफर करते थे, उन्हें इस कोरोना काल में सौ से डेढ़ सौ रुपए रोजाना खर्च करने पड़ रहे हैं। महीने भर का सफर ढाई से तीन हजार का पड़ रहा है
रेलवे की एमएसटी सुविधा बंद
रेलवे की एमएसटी सुविधा बंदसांकेतिक चित्र

हाइलाइट्स :

  • दो-तीन सौ रुपए का सफर पड़ रहा ढाई से तीन हजार का

  • कोरोना संक्रमण के बाद से ही एमएसटी की सुविधा है बंद

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का प्रकोप कम होने के बाद रेलवे ने 86 फीसदी ट्रेनों का संचालन भले ही शुरू कर दिया हो, लेकिन दैनिक यात्रियों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। दैनिक यात्रियों के लिए एमएसटी ( मासिक सीजन टिकट) अब बीता काल हो गया है। जो यात्री एमएसटी पर दो सौ से तीन सौ रुपए में पूरे महीने तक आसानी से सफर करते थे, उन्हें इस कोरोना काल में सौ से डेढ़ सौ रुपए रोजाना खर्च करने पड़ रहे हैं। महीने भर का सफर ढाई से तीन हजार का पड़ रहा है।

पिछले वर्ष लगे लॉकडाउन के पहले ग्वालियर से डबरा, दतिया, झांसी, मुरैना, धौलपुर व आगरा जाने वाले दैनिक यात्री एक महीने में तीन सौ से पांच सौ रुपए के बीच बनने वाली एमएसटी पर महीने भर सफर करते थे। एक जून 2020 को जब ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ तो उसमें कोविड की वजह से जनरल क्लास में सफर के लिए रिजर्वेशन अनिवार्य कर दिया गया। इस वजह से ट्रेनों में एमएसटी पास पर यात्रा प्रतिबंधित हो गई।

आरक्षित टिकट पर कर रहे सफर :

कोरोना काल के चलते रेल ट्रैक पर दौड़ रही कोविड स्पेशल ट्रेनों में दैनिक सफर करने वाले मुसाफिरों को ट्रेनों में रिजर्वेशन करवाकर सफर करना पड़ रहा है। रिजर्वेशन न मिलने की सूरत में यात्रियों के सामने रोडवेज बस एवं अन्य प्राइवेट वाहनों से सफर करने को मजबूर हैं। मजबूरी का आलम यह है कि मुरैना, डबरा जाने के लिए स्पेशल ट्रेनों में एक तरफ से ही जनरल क्लास में सफर करने के लिए पचास से सौ रुपए खर्च करना पड़ रहे हैं।

डेढ़ हजार करते थे सफर :

लॉकडाउन के पहले ग्वालियर से रोजाना डेढ़ हजार से अधिक यात्री एमएसटी पर सफर करते थे। एमएसटी धारक महीने भर में कितनी भी यात्रा एक्सप्रेस ट्रेन के जनरल कोच में कर सकते थे, लेकिन अब बंद है।

इनका कहना :

एमएसटी सुविधा बंद करने का निर्णय पिछले वर्ष रेलवे बोर्ड ने लिया था। एमएसटी धारकों को सफर की अनुमति बोर्ड को ही लेना है।

मनोज कुमार सिंह, पीआरओ

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