जिम्मेदारों की मनमानी : आज भी हो रहे खून के सौदे

शहडोल, मध्यप्रदेश : संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल और यहां स्थित ब्लड बैंक और इसके इर्द-गिर्द घूमते खून के दलाल अब यहां का हिस्सा बन चुके हैं।
जिम्मेदारों की मनमानी : आज भी हो रहे खून के सौदे
जिम्मेदारों की मनमानी : आज भी हो रहे खून के सौदेराज एक्सप्रेस, ब्युरो

हाइलाइट्स :

  • कोतवाली में पीड़ित ने दी शिकायत, पर नतीजा सिफर

  • सोशल मीडिया में फिर ट्रोल हुआ खून के सौदों को लेकर विभाग

  • पुराने दलालों पर कार्यवाही न होने से बढ़े हौसले

  • 29 जून 2020 को राज एक्सप्रेस ने किया था खुलासा

  • जांच तो बैठी मगर, बेनतीजा होने के कारण फिर सक्रिय हुए सौदागर

संक्षिप्त विवरण : ग्राम कमता के रघुवर नापित ने बीते दिनों कोतवाली में खून के सौदागरों की शिकायत देकर कार्यवाही की मांग की, कार्रवाई शून्य रही, सोशल मीडिया के फेसबुक प्लेटफार्म पर जब यह पोस्ट डली तो, दर्जनों ने अपनी भड़ास निकाली। 13 माह पहले इस मामले में सौदे का खुलासा और जांच के बाद यह मामला नतीजे तक नहीं पहुंचा।

शहडोल, मध्यप्रदेश। संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल और यहां स्थित ब्लड बैंक और इसके इर्द-गिर्द घूमते खून के दलाल अब यहां का हिस्सा बन चुके हैं। ब्लड बैंक की व्यवस्था के लिए दर्जनों कर्मचारी तैनात हैं, कुछ को तो, सेवानिवृत्ति के बाद भी दोबारा मौका दिया गया है। जबकि राकेश कुशवाहा को लगभग 13 माह पहले जून के अंतिम सप्ताह में खून की दलाली और सौदेबाजी में रंगेहाथों पकड़े जाने के बाद भी उससे आज उसी स्थान पर सेवा ली जा रही है, जहां वह 13 माह पहले पदस्थ था, बीते दिनों ग्राम कमता के रघुवर नापित ने कोतवाली में खून के सौदों को लेकर शिकायत दी, पुलिस ने इस मामले में अभी तक कुछ नहीं किया, लेकिन सोशल मीडिया में बीते 3 दिनों से यह मामला जमकर ट्रोल हो रहा है, फेसबुक पेज पर डाली गई ग्रामीण की पोस्ट और उसके बयान को लेकर यूजर्स अस्पताल प्रबंधन के साथ ही पुलिस व जनप्रतिनिधियों को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।

यह लिखा शिकायत में :

बुढ़ार विकास खण्ड के ग्राम कमता में रहने वाले रघुवर नापित पिता राम प्रसाद नापित ने शिकायत में लिखा कि मेरी धर्म पत्नी ऊषा नापित का उपचार एक सप्ताह से जिला चिकित्सालय शहडोल में चल रहा था, तबियत में सुधार न होने पर डॉक्टर ने रक्त की कमी बताते हुए, व्यवस्था करने को कहा, जब मैं ब्लड बैंक पहुंचा तो, एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा मुझसे ब्लड एक्सचेंज कराने और नया ब्लड देने के लिए 2500 रूपये मांगे गये। मुझे यह लगा कि यह खून का अवैध व्यापार करता है, मैने परिचितों को सूचित किया और उस अज्ञात व्यक्ति को थाने ले आये, अत: श्रीमान जी इस मामले में उचित कार्यवाही करें।

शिकायत की प्रति
शिकायत की प्रतिराज एक्सप्रेस, ब्युरो

यह हुआ था थाने में :

घटना के दिन जब कथित ग्रामीण के परिचित अस्पताल पहुंचे तो, उनका कथित खून के सौदागर के साथ विवाद हो गया, छप्पन नामक कथित युवक लाला नाम के कारोबारी की निजी एम्बुलेंस चालक है, उक्त वाहन के साथ अन्य कई निजी वाहन अस्पताल परिसर में स्टैण्ड बनाकर खड़े रहते हैं और उनके चालक खून की दलाली ब्लड बैंक भवन के अंदर कर्मचारियों के साथ बैठकर खुलेआम करते हैं, घटना के दिन हुए विवाद में दोनों पक्षों में मारपीट हुई, मामला थाने पहुंचा तो, पुलिस इसमें जुगाड़ सूंघने लगी, पीड़ित ने शिकायत तो दी, लेकिन आपस में हुई मारपीट के कारण छप्पन नामक युवक को कई चोटे आई और उसने भी न्याय की गुहार लगा दी। दोनों तरफ से मामला दर्ज करने की बात को सामने लाकर पुलिस ने पीड़ित को बैकफुट पर खड़ा कर दिया, जिसके बाद खून के सौदागर को थाने में लाने के बाद भी छोड़ दिया गया, पीड़ित ने उसकी पहचान तक से इंकार कर दिया।

यह हुआ था जून 2020 को :

29 जून को जिला चिकित्सालय के फीमेल सर्जिकल वार्ड में डिण्डौरी जिले से नर्मदा नामक आदिवासी युवक ने अपनी पत्नी नैनसी को भारी रक्तस्त्राव के दौरान यहां भर्ती कराया था, चिकित्सक ने खून की आवश्कता बताई, ब्लड बैंक ने अनुपलब्धता बताई, फिर ब्लड बैंक से सूचना मिलने पर दलालों ने संपर्क किया, दो वार्ड ब्वॉय इस सौदे में शामिल हुए, 3 हजार में सौदा हुआ, इसके बाद यह कहानी झुर्रू नामक अस्थाई चालक के पास पहुंची। उसने वीटी वैन चालक राकेश को जिम्मेदारी सौंपी, अनाधिकृत तौर पर ब्लड बैंक में दिन भर बैठने वाले राकेश ने वहां के जिम्मेदारों से सेटिंग कर 1400 में रक्त उपलब्ध कराया। वार्ड ब्वॉय रक्त लेने आया, मरीज के पति से रूपये लिये गये और वापस झुर्रू व राकेश से होता हुआ पैसा ब्लड बैंक के जिम्मेदारों तक पहुंचा, पूरी कहानी राज एक्सप्रेस की टीम ने अपने कैमरे में कैद की थी।

यह किया था विभाग ने :

जिला मुख्यालय स्थित ब्लड बैंक से हो रही खून की कालाबाजारी और उसमें शामिल स्थानीय कर्मचारियों का चेहरा सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग सोमवार को हरकत में आ गया था, तत्कालीन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश पाण्डेय ने राज एक्सप्रेस की खबर को संज्ञान में लेते हुए पूरे मामले के सूत्रधार व्हीटी वैन के चालक राकेश वर्मन सहित कमलभान बैगा, केमला बैगा तथा आशा नामक महिला कर्मचारी को नोटिस देकर तीन दिन में उनसे जवाब मांगा था, जिसके बाद साक्ष्यों के आधार पर उक्त कर्मचारियों पर कार्यवाही की जानी थी, उस दौरान भी खून के सौदे का मामला सोशल मीडिया में ट्रोल हुआ था और सोशल मीडिया पर खून के सौदेबाजी के इस खेल पर यूजरों ने जमकर गुस्सा निकाला था।

इनका कहना है :

मामला आपके द्वारा बताया गया है, मैं उक्त मामले को दिखवाता हूं।

जी.एस. परिहार, सिविल सर्जन, जिला चिकित्सालय, शहडोल

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