लॉक डाउन में खुली प्रशासन की हकीकत, राशन को तरसे लोग

मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में कोरोना संकटकाल के बीच प्रशासन की हक़ीक़त आईं सामने, भूखे पेट सोने को मजबूर बूढ़े सहित बच्चे।
राशन को तरसे लोग
राशन को तरसे लोगAfsar Khan

राज एक्सप्रेस। मध्य प्रदेश के शहडोल संभाग के उमरिया जिला मुख्यालय से सटे ग्राम भरौला से लॉक डाऊन के दौरान भयावह तस्वीर सामने आई, बूढ़े, बच्चे, महिलाएं, पुरूष राशन को तरस रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है, प्रशासनिक अधिकारी एक दूसरे पर पल्लाझाड़ रहे हैं। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिले के मुखिया का खुद ही कुछ पता नहीं है, कि वह कोरोना की जंग के बीच कहां पर खड़े हैं, तो फिर फौज का क्या हाल होगा, इस महामारी के दौरान इन गरीबों का क्या दोष है, जो कि मुखिया की कारगुजारी के चलते इन हालातों से गुजर रहे हैं, जब इनके पास खाने के लिए दाना नहीं है तो, साफ-सफाई और सोशल डिस्टेंसिंग सहित अन्य चीजों की बात ही समझ से परे है।

एक माह का मिला राशन

सागर जिले के रहने वाले जमुना ने बताया कि वह चार माह पहले उमरिया के आस-पास आये हुए थे, लेकिन लॉक डाऊन के चलते यहां फंस गये थे, वह महिला, पुरूष, बच्चों सहित 200 से 250 लोग हैं, प्रशासन के द्वारा उन्हें प्रति व्यक्ति के हिसाब से 5-5 किलो राशन मुहैया कराया गया था, जो कि अब खत्म हो चुका है, न तो उनके खाने के लिए कुछ है और न ही उनके पास पैसे हैं।

खाने के लिए त्राही-त्राही

बूढ़े और बच्चे मुख्यालय से चंद किलोमीटर की दूरी पर खाने के लिए त्राही-त्राही कर रहे हैं और प्रशासनिक अधिकारी अपनी आपसी खींचातान में जुटे हुए हैं, किसी के पास न तो कोई प्लानिंग है और न ही कोई नेटवर्किंग, शहरी और ग्रामीण क्षेत्र का हवाला देकर अधिकारी पल्ला झाड़ रहे हैं, जिन स्वयंसेवी संस्थाओं के द्वारा पका भोजन के साथ कच्चा भोजन सहित अन्य कार्य किया जा रहा था, उस पर भी कलेक्टर ने अनुमति लेने तक रोक लगा दी।

प्रदेश को कलंकित करने वाली तस्वीर

अभी तक लॉक डाऊन के प्रथम चरण के समाप्त होने और द्वितीय चरण के शुरू होने तक प्रदेश के किसी भी जिले से किसी को भोजन न मिलने और भूखा सोने का मामला नहीं आया था, लेकिन जो तस्वीरें गुरूवार की देर शाम उमरिया जिले के भरौला से सामने आई, उसने प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारियों की पोल और प्रदेश सरकार को कलंकित करने का भी काम किया।

एसडीएम कार्यालय से भी लौटे बैरंग

भरौला में रूके लोग भोजन की आस में एसडीएम कार्यालय भी पहुंचे थे कि उन्हें शायद वहां से कुछ मिल सकेगा और उनकी भूख मिट सकेगी, लेकिन यहां भी उन्हें मायूसी ही हाथ लगी, मुख्यालय की कमान अनुराग सिंह के हाथ हैं, लेकिन जानकारी के मुताबिक उन्होंने भी इनसे मिलने से इंकार कर दिया और वहां से भी यह बैरंग लौट आये, कोई आश्वासन भी नहीं दिया गया, कि कब उन्हें राशन की व्यवस्था होगी।

खबर यह है कि इस बात की सूचना सिविल लाईन चौकी को लगी, जिसके बाद गुरूवार रात्रि का भोजन पुलिस के द्वारा करा दिया गया, लेकिन अब सुबह फिर इन्हें उसी संकट से गुजरना होगा, प्रशासन ने खुद तो कोई व्यवस्था नहीं की, जो लोग काम कर रहे थे, उन पर भी रोक लगा दी।

चंदिया और उमरिया शहर की में 1 हजार सुबह-शाम लंच पैकेट की व्यवस्था की जिम्मेदारी मेरे पास है, अगर उन लोगों के पास का राशन खत्म हो गया है तो, सचिव को बोलकर उपलब्ध कराया जायेगा, बाकी सभी जनपद सीईओ और एसडीएम अपनी-अपनी व्यवस्था कर रहे हैं।

आनंद राय सिन्हा ,सहायक आयुक्त ,जनजातीय कार्य विभाग

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