इंदौर : सोशल मीडिया पर एक्जाम नहीं देने का चल रहा कैंपेन

इंदौर, मध्यप्रदेश : सोशल मीडिया पर कई यूनिवर्सिटी और कॉलेज के स्टूडेंट्स लगातार हैश टैग के साथ ट्वीट कर रहे हैं। स्टूडेंट्स कैंपेन चलाकर एक्जाम नहीं देने की बात कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर एक्जाम नहीं देने का चल रहा कैंपेन
सोशल मीडिया पर एक्जाम नहीं देने का चल रहा कैंपेनRaj Express

इंदौर, मध्यप्रदेश। सोशल मीडिया पर कई यूनिवर्सिटी और कॉलेज के स्टूडेंट्स लगातार हैश टैग के साथ ट्वीट कर रहे हैं। स्टूडेंट्स कैंपेन चलाकर एक्जाम नहीं देने की बात कर रहे हैं। कोविड-19 संक्रमण की स्थिति में स्टूडेंट्स और पैरेंट्स एक्जाम के लिए तैयार नहीं है। मप्र सरकार ने कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुई स्थिति को देखते हुए यूजी और पीजी पाठ्यक्रमों के करीब 18 लाख स्टूडेंट्स को बिना परीक्षा के ही अगली कक्षा में एडमिशन देने का फैसला लिया है। हालांकि इसे लेकर अभी तक गाइडलाइन जारी नहीं हुई है, जिससे स्टूडेंट्स असमंजस में हैं। सूत्रों की मानें तो यूजीसी की ओर से अभी तक फाइनल ईयर परीक्षाओं को लेकर गाइडलाइंस जारी न किए जाने के कारण स्टूडेंट्स अभी भी कंफ्यूज है।

अभी तक जारी नहीं हुई गाइडलाइन :

प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि प्रदेश के उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा कॉलेजों के यूजी पहले और दूसरे वर्ष और पीजी दूसरे सेमेस्टर के स्टूडेंट्स को बिना परीक्षा के ही आंतरिक मूल्यांकन के जरिए अगली कक्षा व सेमेस्टर में एडमिशन मिलेगा। इस निर्णय के बाद स्टूडेंट्स और पैरेंट्स यूनिवर्सिटी व उच्च शिक्षा विभाग में लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। क्योंकि इस फैसले को लेकर गाइडलाइन जारी नहीं होने से असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वहीं यूनिवर्सिटी के पास अभी तक लिखित आदेश नहीं पहुंचे हैं। स्टूडेंट्स का कहना है कि मेडिकल शिक्षा संबंधी कोर्स में प्रमोशन दिया जाएगा या नहीं। यूजी और पीजी पाठ्यक्रमों के निजी कॉलेजों के स्टूडेंट्स को भी प्रमोशन का लाभ मिलेगा क्या।

मूल्यांकन करवाना भी आसान नहीं :

सूत्रों की मानें तो आंतरिक मूल्यांकन और पिछली कक्षाओं में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रोन्नत करने का फैसला लिया जा सकता है। हालांकि इसमें एक पेंच यह भी है कि कुछ राज्य यूनिवर्सिटीज में कई प्रश्नपत्रों की परीक्षाएं हो चुकी हैं। ऐसे में एक प्रस्ताव यह भी है कि जिन प्रश्नपत्रों की परीक्षा हो चुकी है उनका मूल्यांकन करवा लिया जाए। फिर कोरोना संकट को देखते हुए मूल्यांकन करवाना भी आसान नहीं हैं। खुद शिक्षक ही इसका विरोध कर रहे हैं। इसी तरह कई यूनिवर्सिटीज में आंतरिक मूल्यांकन की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में केवल पिछली कक्षा या सेमेस्टर में प्राप्त अंकों के आधार पर ही अंक देकर अगली कक्षा या सेमेस्टर में प्रोन्नत करना होगा। अंतिम वर्ष के स्टूडेंट्स को पिछले दो वर्षों में प्राप्त अंकों के औसत के आधार पर अंक दिए जा सकते हैं। पहले वर्ष के स्टूडेंट्स को ऐसे ही प्रोन्नत किया जा सकता है, उनके अंकों का निर्धारण दूसरे वर्ष में मिलने वाले अंकों के आधार पर किया जा सकता है।

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