नर्मदापुरम के रसूलिया में है मिनी शिर्डी
नर्मदापुरम के रसूलिया में है मिनी शिर्डीPrafulla Tiwari

नर्मदापुरम के रसूलिया में है मिनी शिर्डी, दर्शन करने कई प्रांतों से आते हैं साईंभक्त

नर्मदापुरम, मध्यप्रदेश : नर्मदापुरम स्थित रसूलिया स्थित साई मंदिर मिनी शिर्डी के रूप में ख्यात है। यहां दर्शन करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है।

नर्मदापुरम, मध्यप्रदेश। नर्मदापुरम स्थित रसूलिया स्थित साई मंदिर मिनी शिर्डी के रूप में ख्यात है। यहां दर्शन करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है। मंदिर का निर्माण अपने माता-पिता की स्मृति में एसपीएम से रिटायर्ड कर्मचारी ने समस्त जमा पूंजी लगाकर करवाया था। आज यह मंदिर भव्य आकार ले चुका है। मंदिर की भव्यता को देख आसपास के क्षेत्रों से दर्शनों को श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। मंदिर में शिर्डी के साईं बाबा की तर्ज पर प्रतिमा स्थापित की गई है। मंदिर निर्माण के लिए पत्थर शिर्डी से बुलाये गये थे जो चमत्कारी हैं।

सपने में आए थे सांई बाबा :

मंदिर के अंदर आठ वर्षों से अखंड ज्योत जल रही है। बताया जाता है कि मंदिर निर्माण के पहले एसपीएम में नौकरी के दौरान सपना देकर बड़े हादसे से बचाया था। इसके बाद उन्होंने मंदिर का निर्माण का संकल्प लिया और आज मंदिर भव्य आकार ले चुका है। मंदिर में रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण पहुंचते हैं। नौ सालों से यहां अखंड धूनी जल रही है। मंदिर की स्थापना 19 मई 2014 में हुई थी मंदिर निर्माण के दौरान यह चमत्कार देखा गया। हर गुरुवार को शिरडी से आती है साईं बाबा की माला और हर गुरूवार महाआरती होती है। खिचड़ी का प्रसाद बंटता है और साईबाबा की कथा होती है जिसका वाचन करने करने के लिए कथाव्यास शिर्डी से आते हैं। कथा व्यास राकेश बड़कुल साईं बाबा की वेशभूषा में मंदिर प्रांगण में रहते हैं और जो भी भक्त आता है, उसे झाड़कर भभूती देते हैं।

आठ वर्षों से जल रही अखंड ज्योत
आठ वर्षों से जल रही अखंड ज्योतPrafulla Tiwari

चांदनी का बड़ा पौधा, साई की शिला मौजूर :

ओम श्री साईं राम शिर्डी साईं मंदिर रसूलिया नर्मदा पुरम में अनगिनत चमत्कार होते रहे हैं। मंदिर मेंं एक चांदनी का पेड़ लगा हुआ है जो लगभग 30 फुट लंबा है इतना लंबा पेड़ आपको कहीं देखने को नहीं मिलेगा। यहां बाबा की शिला ठीक वैसी ही है जैसी शिर्डी में है जिस पर बाबा बैठते हैं। वह शिला शिर्डी से आई थी और इस मूर्ति की और मंदिर की स्थापना 19 मई सन 2014 को हुई थी और हर साल इसका स्थापना दिवस 19 मई को मनाया जाता है जिसमें बाबा की पालकी यात्रा साईं मंदिर से एसपीएम गेट नंबर 4 के पास स्थित मंदिर तक जाती है और वहां से कॉलोनी के बीच में घुमाते हुए वापस लाई जाती है। वहां जो घोड़ा है वह उसका नाम श्यामा घोड़ा है जब मूर्ति की स्थापना हो रही थी तो उस समय घोड़ा नहीं था तो बाबा ने स्वप्न में श्री राकेश बड़कुल जी को कहा कि मेरा श्यामा नहीं आया है तब उन्होंने शिर्डी से श्यामा को लेकर आए और और जब 19 मई 2014 को मूर्ति की स्थापना की जा रही थी तो मूर्ति को उठाकर तो 6 लोगों ने समाधि पर रख दिया परंतु समाधि स्थल से बाबा के चबूतरे पर जब मूर्ति को रख रहे थे तो मूर्ति किसी से भी नहीं उठ रही थी परंतु उसी समय बाबा के दो भक्त आए और उन्हें उन्होंने बाबा से अनुरोध किया है कि बाबा मान जाओ तो मात्र दो आदमियों के हाथ लगाने से उनकी मूर्ति चबूतरे पर उठकर स्थापित हो गई।

सात दिन चलती है कथा :

साईं मंदिर में प्रति वर्ष शिर्डी से आए हुए एक अन्य बाबा द्वारा साईं कथा की जाती है जो कि लगातार 7 दिन चलती है और वहां पर हर गुरुवार को महा-आरती होती है जिसमें बाबा की खिचड़ी का प्रसाद बांटा जाता है। मंदिर में अन्य प्रदेशों से भी बहुत से लोग आते हैं और उनकी मन्नत मंदिर से पूरी होती है। मंदिर में सेवा करने वाले बाबा भी बिल्कुल शिर्डी साईं बाबा जैसे ही दिखाई देते हैं और वह पूजा-पाठ के अलावा समाज सेवा भी करते हैं। एसपीएम गेट नंबर 4 के पास एसपीएम की जमीन में उन्होंने साईं वाटिका बनाई है जिसमें वह प्रतिदिन अपनी सेवाएं देते हैं और वहां उन्होंने वहां के मुख्य महाप्रबंधक और अन्य अधिकारियों को बुलाकर उनका सम्मान भी किया। उनके द्वारा वहां कई वृक्षारोपण भी कराया है।

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