महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर शहर 21 लाख दीपोत्सव से जगमगाएगा
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर शहर 21 लाख दीपोत्सव से जगमगाएगाराज एक्सप्रेस, संवाददाता

Ujjain : महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर शहर 21 लाख दीपोत्सव से जगमगाएगा

उज्जैन, मध्यप्रदेश : 21 लाख दीपोत्सव को लेकर महाकाल मंदिर परिसर सहित क्षिप्रा तट स्थित रामघाट पर तैयारियां शुरू हो गई हैं। तैयारियों के चलते महाकाल मंदिर परिसर में रंगोलियां बनाई जा रही हैं।

उज्जैन, मध्यप्रदेश। 21 लाख दीपोत्सव को लेकर महाकाल मंदिर परिसर सहित क्षिप्रा तट स्थित रामघाट पर तैयारियां शुरू हो गई हैं। तैयारियों के चलते महाकाल मंदिर परिसर में रंगोलियां बनाई जा रही हैं। परिसर में भगवान शिव और कृष्ण की आकर्षक रंगोली बनाई जा रही हैं। जानकारी देते हुए महाकाल मंदिर प्रशासन ने बताया है कि महाशिवरात्रि की महापर्व पर दीपोत्सव मनाया जा रहा है। इस उत्सव के तहत महाकाल मंदिर में 5 लाख से अधिक दिए लगाए जाएंगे, इसके साथ ही परिसर की साज-सज्जा के लिए कोटि तीर्थ कुंड के आसपास रंगोलियां बनाई जा रही हैं इसके साथ महाकाल मंदिर परिसर में भगवान कृष्ण, भगवान शिव और भगवान राम की आकर्षक रंगोली बनाई जा रही हैं। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आव्हान पर शहर में पहली बार महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर दीप उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन के चलते महाकाल मंदिर सहित शहर में 21 लाख से अधिक दिए लगाए जाएंगे यह आयोजन उज्जैन जिला प्रशासन के तत्वाधान में किया जा रहा है।

एक साथ लाखों दीपक प्रज्जवलित करने के साथ आयोजन के बाद की व्यवस्था को रिकॉर्ड के तौर पर दर्ज करने का प्रयास होगा। उज्जैन शहर, क्षिप्रा नदी के तट पर शून्य अपशिष्ट के साथ गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड के लिए भी प्रयास किया जाएगा। इसके लिए जीरो वेस्ट टारगेट की रुपरेखा बनाई गई है।

स्वयंसेवकों का पंजीकरण (लगभग 13000) क्यूआर कोड ऐप पर आधारित होगा और पहचान पत्र पुनर्नवीनीकरण से बनाए जाएंगे कागज। उत्सव के बाद, पर्यावरण पर कम प्रभाव यानी कम करने, पुन: उपयोग, पुनर्चक्रण करने के लिए थ्रीआर अवधारणा में 13 लाख दीपों का उपयोग किया जाएगा। दुनिया की सबसे बड़ी मिट्टी के दीये की मूर्ति विकसित करने के लिए बचे हुए मिट्टी के दीयों का उपयोग किया जाएगा। कार्यक्रम के बाद, शेष तेल का उपयोग गौशालाएं आदि में खाद्य पदार्थों के लिए किया जाएगा।

थ्रीआर अन्तर्गत उद्यान में कुर्सियों, बेंच, बर्तन आदि बनाने के लिए लगभग 14000 खाली तेल की बोतलों का पुन: उपयोग किया जाएगा। मोमबत्तियों को जलाने के लिए पेपर माचिस का उपयोग किया जाएगा। जली हुई बत्तियों से रैन बसेरा में बेड बनाने के लिए पुन: उपयोग किया जाएगा। खाने के लिए केवल बायो-डिग्रेडेबल कटलरी-प्लेट का उपयोग किया जाएगा।

शिव ज्योति अर्पणम महोत्सव मनाने के लिए क्षिप्रा के घाटों, सभी मंदिरों, सार्वजनिक स्थलों और शासकीय परिसरों में, दीप जलाए जाएंगे। शहर के सभी निवासी भी अपने घरों में 5-5 दीपक जलाएं। इस आयोजन में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, बाजारों, दुकानों की साज-सज्जा के साथ-साथ दीप जलाना भी शामिल है। क्षिप्रा के तट पर 13 लाख दीपक जलाने का लक्ष्य रखा गया है। महाकाल मंदिर, मगलनाथ मंदिर, कालभैरव मंदिर एवं घाट पर, गढ़कालिका मंदिर, सिद्धवट मंदिर एवं घाट, हरसिद्धि मंदिर, टॉवर चौक, अन्य सार्वजनिक स्थलों सहित क्षिप्रा नदी के तट पर, सार्वजनिक स्थानों और घर-घर में जलाये जाने वाले दीपोंउत्सव की संख्या 21 लाख होगी।

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