किसानों की फसल को बर्बाद कर रहे बंदर
किसानों की फसल को बर्बाद कर रहे बंदरराज एक्सप्रेस, संवाददाता

Umaria : किसानों की फसल को बर्बाद कर रहे बंदर

उमरिया, मध्यप्रदेश : जंगल से आने वाले जंगली जानवर खासतौर से बंदर किसानों की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं। जंगल से आकर बंदर फसलों को चौपट कर देते हैं जिससे किसानों को खासा नुकसान होता है।

उमरिया, मध्यप्रदेश। जिले की विश्व भर में पहचान बन चुके बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व ने यहां के लोगों को एक गौरव तो दिलाया है, लेकिन किसानों के लिए सैकड़ों तरह की परेशानियां भी इस जंगल की वजह से उत्पन्न हो रही है। जंगल से आने वाले जंगली जानवर खासतौर से बंदर किसानों की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं। जंगल से आकर बंदर फसलों को चौपट कर देते हैं जिससे किसानों को खासा नुकसान होता है। बंदरों के आक्रमण से नुकसान का कोई सर्वे भी नहीं होता जिससे किसानों को किसी तरह का कोई मुआवजा भी नहीं मिल पा रहा है।

झुंड में आते हैं बंदर :

किसानों ने बताया कि इस क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में बंदर आते हैं और फसलों पर छा जाते हैं। बंदरों के आक्रमण के कारण किसानों को भी खेत छोड़कर भागना पड़ जाता है। सैकड़ों की संख्या में अचानक आने वाले बंदरों की वजह से कई किसान पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं। बंदर न सिर्फ सब्जी की फसल को बल्कि गेहूं और धान की फसल को भी चौपट कर देते हैं। किसानों ने बताया कि इस संबंध में वे वन विभाग से शिकायत करते हैं लेकिन वन विभाग कोई भी उपाय नहीं करता।

ग्राम घोरमरा के किसान भी परेशान :

जनपद पंचायत करकेली के अंतर्गत ग्राम पंचायत जरहा के घोरमारा टोला में इस समय बंदरों का आतंक फैला हुआ है। बन्दर किसानों का जीना हराम किए हुए हैं। मंजू सिंह, प्रेम सिंह, हीरालाल सिंह, रामलाल सिंह, चैन सिंह, आदि किसानों ने अपनी व्यथा बताई कि हम लोग खेतों में सब्जी जैसे-टमाटर, गोभी, भाटा, आदि अन्य सब्जी, दलहन फसल जैसे- राहर, मटर, चना, खेतों में लगाए हुए हैं। इन फसलों को बर्बाद करके बंदरों ने आतंक मचाया हुआ है। इन बंदरों को यदि महिलाएं एवं बच्चे भगाने जाते हैं तो ये बन्दर झपटने को दौड़ते हैं। बंदरों के समूह लोगों से बिल्कुल भी डरते नहीं हैं। कई बार तो यह बन्दर छोटे-छोटे, बच्चों एवं महिलाओं पर हमला कर चुके हैं। जिससे लोगों में इनका भय बना हुआ है।

ग्रामीणों ने की प्रशासन से मांग :

पूरी तरह से फसलों को नष्ट करने वाले बंदरों से बचाने की मांग ग्रामीण लगातार कर रहे हैं। जिला प्रशासन एवं वन विभाग के उच्च अधिकारियों से ग्रामीणों ने अपेक्षा की है कि इन बंदरों से फसलों को बचाने के लिए किसी न किसी तरह उपाय कर इनको जंगल की ओर भगाने का प्रयास किया जाए। यह मांग घोरमारा के समस्त किसानों ने की है।

खर्च का रोना रो रहे जिम्मेदार :

वन विभाग के अधिकारियों से जब भी किसानों ने शिकायत की वन विभाग के अधिकारियों ने बंदरों से निपटने की पूरी जिम्मेदारी पंचायत पर थोप दी। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे रेस्क्यू टीम को बुला सकते हैं लेकिन रेस्क्यू टीम पर आने वाला सारा खर्च ग्राम पंचायत को देना होगा। इसके बाद भी कोई गारंटी नहीं है कि बंदर फिर लौट कर नहीं आएंगे। जंगल से लगे हुए गांव में इस तरह की समस्याओं से जूझ रहे किसानों ने एक बार फिर जिला प्रशासन से ध्यान देने की मांग की है।

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