Prime Minister Mann Ki Baat
Prime Minister Mann Ki BaatRE-Bhopal

मध्यप्रदेश के किस गांव को प्रधानमंत्री ने कहा मिनी ब्राज़ील और किया पेंटिंग्स का जिक्र

Prime Minister Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री द्वारा मन की बात में शहडोल के पकरिया गांव में आदिवासी लोगों द्वारा किये जा रहे वाटर रिचार्ज सिस्टम का भी जिक्र किया गया।

हाइलाइट्स :

  • प्रधानमंत्री ने 103 वें मन की बात एपिसोड को सम्बोधित किया।

  • प्रधानमंत्री मोदी ने शहडोल के बिचारपुर गांव को फुटबॉल की मिनी नर्सरी कहा।

  • मन की बात में PM ने उज्जैन में पुराणों पर आधारित चित्र-कथाओं का भी जिक्र किया।

Prime Minister Mann Ki Baat: भोपाल, मध्यप्रदेश। रविवार को रेडियो के माध्यम मन की बात के 103 एपिसोड में प्रधानमंत्री ने मध्यप्रदेश के शहडोल के एक गांव बिचारपुर का और उज्जैन की पेंटिंग्स का जिक्र किया। उन्होंने ने बिचारपुर को मिनी ब्राज़ील कहकर सम्बोधित किया। प्रधानमंत्री ने मध्यप्रदेश के शहडोल का जिक्र एक इंस्पायरिंग जर्नी की तरह किया। उन्होंने बताया कि शहडोल के गांव बिचारपुर में फुटबॉल इतना लोकप्रिय हो गया है कि अब इस गांव की पहचान की फुटबॉल से होने लगी है। प्रधानमंत्री द्वारा मन की बात में शहडोल के पकरिया गांव में आदिवासी लोगों द्वारा किये जा रहे वाटर रिचार्ज सिस्टम का भी जिक्र किया गया।

बिचारपुर- मिनी ब्राज़ील:

प्रधानमंत्री ने कहा कि, 'मैं आपको मध्य प्रदेश की एक इंस्पायरिंग जर्नी के बारे में बताना चाहता हूँ। ये इंस्पायरिंग जर्नी है मिनी ब्राज़ील की। आप सोच रहे होंगे कि मध्यप्रदेश में मिनी ब्राज़ील कहां से आ गया, यही तो ट्विस्ट है। मध्यप्रदेश के शहडोल में एक गांव है बिचारपुर। बिचारपुर को मिनी ब्राज़ील कहा जाता है। मिनी ब्राज़ील इसलिए, क्योंकि ये गांव आज फुटबाल के उभरते सितारों का गढ़ बन गया है। जब कुछ हफ्ते पहले मैं शहडोल गया था, तो मेरी मुलाक़ात वहां ऐसे बहुत सारे फुटबॉल खिलाड़ियों से हुई थी। मुझे लगा कि इस बारे में हमारे देशवासियों को और खासकर युवा साथियों को ज़रूर जानना चाहिए।'

प्रधानमंत्री ने बिचारपुर के बारे में आगे बताया कि, बिचारपुर गांव के मिनी ब्राज़ील बनने की यात्रा दो-ढाई दशक पहले शुरू हुई थी। उस दौरान, बिचारपुर गांव अवैध शराब के लिए बदनाम था, नशे की गिरफ्त में था। इस माहौल का सबसे बड़ा नुकसान यहाँ के युवाओं को हो रहा था। एक पूर्व नेशनल प्लेयर और कोच रईस एहमद ने इन युवाओं की प्रतिभा को पहचाना। रईस जी के पास संसाधन ज्यादा नहीं थे, लेकिन उन्होंने, पूरी लगन से, युवाओं को, फुटबाल सिखाना शुरू किया। कुछ साल के भीतर ही यहाँ फुटबाल इतना पॉपुलर हो गया, कि बिचारपुर गांव की पहचान ही फुटबाल से होने लगी।

फुटबॉल क्रांति प्रोग्राम :

प्रधानमंत्री ने मन की बात में फुटबॉल क्रांति प्रोग्राम के बारे में कहा कि, अब बिचारपुर गांव में फुटबॉल क्रांति नाम से एक प्रोग्राम भी चल रहा है। इस प्रोग्राम के तहत युवाओं को इस खेल से जोड़ा जाता है और उन्हें ट्रैंनिंग दी जाती है। ये प्रोग्राम इतना सफ़ल हुआ है कि बिचारपुर से नेशनल और स्टेट लेवेल के 40 से ज्यादा खिलाड़ी निकले हैं। ये फुटबॉल क्रांति अब धीरे- धीरे पूरे क्षेत्र में फैल रही है। शहडोल और उसके आसपास के काफ़ी बड़े इलाके में 1200 से ज्यादा फुटबॉल क्लब बन चुके हैं। यहाँ से बड़ी संख्या में ऐसे खिलाड़ी निकल रहे है, जो, नेशनल लेवल पर खेल रहे हैं।

इस कार्यक्रम के बारे में प्रधानमंत्री ने आगे बताया कि, फुटबॉल के कई बड़े पूर्व खिलाड़ी और कोच आज यहाँ युवाओं को ट्रैंनिंग दे रहे हैं। आप सोचिये, एक आदिवासी इलाका जो अवैध शराब के लिए जाना जाता था, नशे के लिए बदनाम था, वो अब देश की फुटबॉल नर्सरी बन गया है। इसीलिए तो कहते हैं - जहां चाह, वहां राह...। हमारे देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। ज़रूरत है तो उन्हें तलाशने की और तराशने की। इसके बाद यही युवा देश का नाम रौशन भी करते हैं और देश के विकास को दिशा भी देते हैं।

पकरिया गांव- वाटर रिचार्ज सिस्टम:

प्रधानमंत्री ने शहडोल के पकरिया गांव के बारे में बताया कि, हमारे देशवासी पूरी जागरूकता और जिम्मेदारी के साथ ‘जल संरक्षण’ के लिए नए-नए प्रयास कर रहे हैं। आपको याद होगा, कुछ समय पहले, मैं, मध्यप्रदेश के शहडोल गया था। वहाँ मेरी मुलाकात पकरिया गाँव के आदिवासी भाई-बहनों से हुई थी। वहीं पर मेरी उनसे प्रकृति और पानी को बचाने के लिए भी चर्चा हुई थी। अभी मुझे पता चला है कि पकरिया गाँव के आदिवासी भाई-बहनों ने इसे लेकर काम भी शुरू कर दिया है। यहाँ, प्रशासन की मदद से, लोगों ने, करीब सौ कुओं को वाटर रिचार्ज सिस्टम में बदल दिया है। बारिश का पानी, अब इन कुओं में जाता है, और कुओं से ये पानी, जमीन के अंदर चला जाता है। इससे इलाके में भू-जल स्तर भी धीरे-धीरे सुधरेगा। अब सभी गाँव वालों ने पूरे क्षेत्र के करीब-करीब 800 कुएं को रिचार्ज के लिए उपयोग में लाने का लक्ष्य बनाया है।

उज्जैन में पुराणों पर आधारित आकर्षक चित्रकथाएँ :

प्रधानमंत्री ने बताया कि, 'बीते दिनों जब मैं फ्रांस गया था तो मेरी मुलाकात शारलोट शोपा से हुई थी। शारलोट शोपा एक योगा प्रैक्टिशनर हैं और उनकी उम्र 100 साल से भी ज्यादा है। वो सेंचुरी पार कर चुकी हैं। वो पिछले 40 साल से योग कर रही हैं। वो अपने स्वास्थ्य और 100 साल की इस आयु का श्रेय योग को ही देती हैं। वो दुनिया में भारत के योग विज्ञान और इसकी ताकत का एक प्रमुख चेहरा बन गई हैं। इन से हर किसी को सीखना चाहिए। हम न केवल अपनी विरासत को अंगीकार करें, बल्कि, उसे जिम्मेदारी के साथ विश्व के सामने प्रस्तुत भी करें। और मुझे खुशी है कि ऐसा ही एक प्रयास इन दिनों उज्जैन में चल रहा है। यहाँ देशभर के 18 चित्रकार, पुराणों पर आधारित आकर्षक चित्रकथाएँ बना रहे हैं। ये चित्र, बूंदी शैली, नाथद्वारा शैली, पहाड़ी शैली और अपभ्रंश शैली जैसी कई विशिष्ट शैलियों में बनेंगे। इन्हें उज्जैन के त्रिवेणी संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा, यानि कुछ समय बाद, जब आप उज्जैन जाएंगे, तो, महाकाल महालोक के साथ-साथ इन चित्रकथाओं के भी दर्शन कर सकेंगे।'

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