विश्व शौचालय दिवस पर विशेष
विश्व शौचालय दिवस पर विशेषSocial Media

विश्व शौचालय दिवस : पहले साल में सिर्फ 34, दस साल बाद हर घर में शौचालय

भोपाल, मध्यप्रदेश : शौच के लिए बाहर जाने की आदत में बड़ा बदलाव स्वच्छता अभियान से आया है। 2014 की तुलना में अब गांवों में शौचालय निर्माण को लेकर ग्रामीण बहुत जागरूक है।

भोपाल, मध्यप्रदेश। वित्तीय वर्ष 2013-14 में स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत की गई थी, मिशन के अन्तर्गत ग्रामीण इलाकों में हर घर में शौचालय का निर्माण करना और शौच के लिए बाहर जाने की आदत में बड़ा बदलाव लाना था। योजना के शुरूआती वर्ष में भोपाल के 466 गांव में सिर्फ 34 शौचालयों को निर्माण हो सका है, क्योंकि ग्रामीण पक्के शौचालय बनाने के पक्ष में नहीं थे और खुले में शौच नहीं करने को लेकर जागरूकता की कमी थी।पंचायतकर्मियों ने ग्रामीणों से खूब खरी-खोटी सूनी लेकिन बीतें दस वित्तीय सालों में जिले के दोनों विकासखंड फंदा और बैरासिया के लगभग सभी गांव के हर घर में शौचालय का निर्माण की ओडिएफ का तमका हासिल करवा ही दिया।

शौच के लिए बाहर जाने की आदत में बड़ा बदलाव सिर्फ स्वच्छता अभियान से आया है। 2014 की तुलना में अब गांवों में शौचालय निर्माण को लेकर ग्रामीण बहुत जागरूक है।

साल-दर-साल बनाते गए शौचालय :

साल-दर-साल बनाते गए शौचालय
साल-दर-साल बनाते गए शौचालय Raj Express

नोट: दस वित्तीय वर्ष में कुल 72 हजार 664 शौचालयों का निर्माण किया गया

शौच के लिए बाहर जाने की आदत में बड़ा बदलाव स्वच्छता अभियान से आया है। 2014 की तुलना में अब गांवों में शौचालय निर्माण को लेकर ग्रामीण बहुत जागरूक है। 2013-14 से लेकर 2022- 23 में अब तक कुल 72 हजार 664 शौचालयों का निर्माण कराया गया है। वर्तमान साल में बैरासिया विकासखंड में 776 और फंदा विकासखंड में 1018 शौचालय बनाए गए है। 2022- 23 में 2280 शौचालय निर्माण का लक्ष्य निर्धारित है। साल 2017 में भोपाल का ग्रामीण और शहरी क्षेत्र ओडीएफ घोषित किया गया है। शौचालय निर्माण से खुले में शौच की आदत पर रोक लगी है, इससे गांवों में प्रदुषित पानी से होने वाली बीमारियों की रोकथाम हुई है।

पक्के शौचालय के फायदे :

पेयजल एंव स्वच्छता विभाग के अनुसार खुले में शौच करने से गांव की भूगर्भ जल के प्रदूषित होने की आशंका 12.7 फीसदी अधिक रहती है। वहीं खुले में शौच मुक्त गांवों में भूगर्भ जल के प्रदूषित नहीं होता है। इस तरह डायरिया या गंदगी से होने वाली बीमारियों से बचाव होता है। भोपाल में बीते एक दशक पेयजल से सबंधित कोई गंभीर संक्रमण नहीं फैला है। इसकी बड़ी वजह गांव में शौचालयों का निर्माण और उनका सौ फीसदी उपयोग करना है।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

Related Stories

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com