सुप्रीम कोर्ट का विधानसभा स्पीकर को निर्देश- वह मामले के निपटारे की समय सीमा तय करें
महाराष्ट्र, भारत। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे गुट की ओर से चुनाव आयोग का फैसला रद्द करने की मांग को लेकर पार्टी और उसका चुनाव चिह्न एकनाथ शिंदे को दिए जाने के खिलाफ याचिका दाखिल कर गई थी, जिसपर आज सोमवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 3 हफ्ते बाद मामले की सुनवाई की और विधानसभा स्पीकर को अहम निर्देश दिए है। साथ ही 3 हफ्ते बाद इस मामले में सुनवाई की बात कही।
अयोग्यता का मामला अनिश्चितकाल तक लंबित नहीं रह सकता :
दरअसल, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) पार्टी के सांसद सुनील प्रभु की ओर से याचिका दाखिल की गई थी। तो वहीं, शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर से कहा कि, वह अगले हफ्ते मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सहयोगी विधायकों की अयोग्यता से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करें। इस सुनवाई में वह मामले के निपटारे की समय सीमा तय करें। अयोग्यता का मामला अनिश्चितकाल तक लंबित नहीं रह सकता। वह महाराष्ट्र राजनीतिक विवाद पर फैसला सुनाते समय अपनी ओर से जारी निर्देशों का सम्मान किए जाने की उम्मीद करता है।
स्पीकर संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत कार्यवाही को अनिश्चितकाल तक टालकर नहीं रख सकते। कोर्ट के निर्देशों के प्रति सम्मान की भावना होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट
शिवसेना विधायकों की अयोग्यता की याचिकाओं पर फैसले में देरी पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ''स्पीकर को सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का सम्मान करना चाहिए।''
इसके अलावा सीजेआई ने संविधान पीठ के फैसले का जिक्र करते हुए पूछा कि, कोर्ट के 11 मई के फैसले के बाद स्पीकर ने क्या किया? मामले में दोनों पक्षों को मिलाकर कुल 34 याचिकाएं लंबित हैं।
बता दें कि, उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल चुनाव आयोग का फैसला रद्द करने की मांग करते हुए यह कहा है कि, विधायक दल में हुई टूट को पार्टी की टूट कहना गलत है।
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