सरदार सरोवर बांध में पानी बढ़ाये जाने पर मेधा पाटकर ने जताया एतराज

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन पर सरदार सरोवर बांध के जलस्तर को समय से पहले बढ़ाये जाने पर नर्मदा बचाओ आंदोलन का नेतृत्व करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने एतराज जताते हुए अपनी बात रखी।
मेधा पाटकर ने सरदार सरोवर बांध में पानी बढ़ाये जाने पर एतराज
मेधा पाटकर ने सरदार सरोवर बांध में पानी बढ़ाये जाने पर एतराजSyed Dabeer Hussain - RE

हाइलाइट्स :

  • मेधा पाटकर ने समय से पहले बांध भरने पर जताया एतराज

  • बांध के जलस्तर को 138.68 मी. ऊपर कर दिया गया

  • जलस्तर बढ़ने से 192 गांव मुश्किल में

  • नहीं मिली मुआवजे की रकम

  • मध्य प्रदेश के साथ हो रहा भेदभाव

राज एक्सप्रेस। मेधा पाटकर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन पर सरदार सरोवर बांध में पानी बढ़ाये जाने पर एतराज जताया। दरअसल, मेधा पाटकर (Medha Patkar) नर्मदा बचाओ आंदोलन का नेतृत्व करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने एतराज जताते हुए कहा कि, एक तरफ केवल एक व्यक्ति के लिए सरदार सरोवर बांध को समय से पहले ही भर दिया गया है, दूसरी तरफ उनका क्या, जो इसको भरने से प्रभावित हुए? मध्य प्रदेश के तीन जिले धार, बड़वानी और अलीराजपुर में रहने वाले लगभग 192 गांव प्रभावित हुए, बांध में पानी भरने से यह गांव जलमग्न हो गए।

मेधा पाटकर का कहना :

मेधा पाटकर का कहना है कि, गुजरात सरकार द्वारा बांध के जलस्तर को निर्धारित समय से पहले 138.68 मी. ऊपर कर दिया गया है, जिसके चलते 192 गांव मुश्किलों में आ गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद भी सरदार सरोवर बांध से प्रभावित लोगों का अभी तक पुनर्वास नहीं हुआ है।

नहीं मिली अभी तक मुआवजे की रकम :

मध्य प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि, बांध में हुए प्रभावित लोगो को गुजरात सरकार द्वारा मुआवजे के तौर पर 1,857 करोड़ रूपए मिलने थे जो, अभी तक नहीं मिले हैं। पाटकर ने इसके लिए शिवराज सिंह चौहान को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि, मध्य प्रदेश की पूर्व शिवराज सिंह चौहान सरकार ने पुनर्वास कार्य पूरा करने का दावा किया था, साथ ही ज़ीरो बैलेंस का एफिडेविट भी जमा करवाया था, जो सही साबित नहीं हुआ और इनके इस कदम से प्रभावित कई परिवारों का अधिकार छिन गया।

समय से पहले बांध भरने पर जताया एतराज :

पाटकर ने बांध को समय से पहले भरने पर एतराज जताते हुए कहा कि, गुजरात की रूपाणी सरकार ने सरदार सरोवर बांध को 15 अक्टूबर तक भरने की बात कही थी, बाद में सरकार ने इस समय को बदलकर 30 सितंबर निर्धारित कर दिया था, लेकिन 17 सितंबर अर्थात मोदी के जन्मदिन से पहले ही बांध को कैसे भर दिया गया? उन्होंने आगे कहा कि, इन सब से साफ़ समझ आता है कि, गुजरात सरकार के लिए संविधान की कोई अहमियत नहीं है, क्योंकि उन्होंने सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन मनाने के लिए बांध का जलस्तर बढ़ा दिया। ऐसा करने के कारण उन्होंने यह जन्मदिन धिक्कार दिवस के रूप में माना।

मध्य प्रदेश के साथ हो रहा भेदभाव :

मेधा पाटकर का कहना है कि, मध्य प्रदेश के साथ भेदभाव हो रहा है, बांध से पैदा होने वाली बिजली पर मध्यप्रदेश का भी हक है, लेकिन शिवराज सरकार इस पर मौन रही है और उन्होंने मोदी और गुजरात सरकार के सामने सरेंडर कर दिया। जबकि, सरदार सरोवर परियोजना एक अंतर्राज्यीय परियोजना है।

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