हैदराबाद: मुहर्रम पर जुलूस निकाल उड़ाई कोर्ट के आदेशों और नियमों की धज्जियां

शिया समुदाय के मुस्लिम लोगों ने हैदराबाद में कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने मुहर्रम पर जुलूस निकाल कर पैगंबर मोहम्मद के नाती हुसैन की शहादत का मातम मनाया।
Muharram procession in Hyderabad
Muharram procession in HyderabadSocial Media

हैदराबाद। इस साल देश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण लगभग सभी त्यौहार फीके-फीके से ही मने हैं। परंतु रविवार को शिया समुदाय के मुस्लिम लोगों ने तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने मुहर्रम पर जुलूस निकाल कर पैगंबर मोहम्मद के नाती हुसैन की शहादत का मातम मनाया। बताते चलें, इस साल कोविड के चलते मुहर्रम पर जुलूस निकालने के लिए रोक लगाई गई थी। बता दें, हैदराबाद के अलावा झारखण्ड की राजधानी रांची में भी मुहर्रम पर जुलूस निकाला गया।

हैदराबाद में उड़ी सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां :

दरअसल, मुहर्रम पर जुलूस निकालने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने देश में कोरोना की वर्तमान स्थिति को देखते हुए जुलूस निकालने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। परंतु हैदराबाद में रविवार को कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले का उल्लंघन करते हुए मुहर्रम पर जुलूस निकाला गया। इतना ही नहीं इस दौरान जुलूस में शामिल हुए सैकड़ों लोगों द्वारा कोर्ट के फैसले के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की भी जम कर धज्जियां उड़ाई गईं। इतना ही नहीं इस दौरान कई लोग तो बिना मास्क पहने भी दिखाई दिए।

मौके पर पुलिस भी थी मौजूद :

इस पूरे जुलूस के दौरान जब लोगों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को खुलेआम तोड़ा जा रहा था तब उस मौके पर पुलिस भी सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए मौजूद थी। गौरतलब है कि, तेलंगाना हाई कोर्ट द्वारा भी हैदराबाद में कोरोना के मामलों को देखते हुए जुलूस निकालने की अनुमति न देते हुए कहा था कि, यदि जुलूस निकाला गया तो अराजकता फैलेगी और एक समुदाय को कोरोना फैलाने के लिए जिम्मेदार माना जाएगा परंतु यहां तेलंगाना हाई कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए ही जुलूस निकाला गया।

कोरोना काल का अंदाजा लगा था मुश्किल :

खबरों के अनुसार, हैदराबाद में यह मुहर्रम का 'बीवी का आलम' जुलूस डाबेरपुरा क्षेत्र से शुरू होते हुए चारमीनार, गुलजार हुज और दारुलशिफा से होते हुए चर्मघाट पर खत्म किया गया। इस जुलूस में एक साथ सैकड़ों लोग शामिल हुए। यह सभी मातम मनाते हुए निकले इसलिए इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था। जुलूस देख कर यह अंदाजा लगा पाना मुश्किल था कि, यह कोरोना काल चल रहा है। इस जुलूस में एक वैन भी नजर आई। हालांकि इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि, यह जुलूस वैन पर निकाला गया। जबकि हर साल यह जुलूस हाथी पर निकाला जाता था।

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