कृषि मंत्री का बड़ा बयान-कानून रद्द के अलावा क्या विकल्प हैं वो बताएं किसान

किसान आंदोलन के आज 53वें दिन और अगले दौर की मीटिंग से पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा- SC ने कानूनों के क्रियान्वयन को रोक दिया है तो मैं समझता हूं कि ​जिद्द का सवाल ही खत्म होता है।
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दिल्‍ली, भारत। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए 3 नए कृषि कानून के विरोध में राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली में किसानों का आंदोलन जारी है। किसान आंदोलन के आज 53वें दिन है। हालांकि, इस मुद्दे पर सरकार व किसान नेताओं के बीच अब तक 9 बार बातचीत हो चुकी है, ले‍किन कोई हल नहीं निकला रहा है। इसी बीच आज केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर का बड़ा बयान आया है।

कानून के क्लॉज पर चर्चा करें :

इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने बयान में ये कहा- भारत सरकार ने किसान यूनियन के साथ एक बार नहीं 9 बार घंटों तक वार्ता की, हमने लगातार किसान यूनियन से आग्रह किया कि वो कानून के क्लॉज पर चर्चा करें और जहां आपत्ति है वो बताएं। सरकार उस पर विचार और संशोधन करने के लिए तैयार है।

किसान यूनियन टस से मस होने को तैयार नहीं है, उनकी लगातार ये कोशिश है कि, कानूनों को रद्द किया जाए। भारत सरकार जब कोई कानून बनाती है तो वो पूरे देश के लिए होता है, इन कानूनों से देश के अधिकांश किसान, विद्वान, वैज्ञानिक, कृषि क्षेत्र में काम करने वाले लोग सहमत हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

कानूनों को रद्द के ​अलावा क्या विकल्प चाहते हैं वो बताएं :

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आगे ये भी कहा कि, ''सुप्रीम कोर्ट ने कानूनों के क्रियान्वयन को रोक दिया है तो मैं समझता हूं कि ​जिद्द का सवाल ही खत्म होता है। हमारी अपेक्षा है कि किसान 19 जनवरी को एक-एक क्लॉज पर चर्चा करें और वो कानूनों को रद्द करने के ​अलावा क्या विकल्प चाहते हैं वो सरकार के सामने रखें।''

बता दें कि, कृषि कानून को रद्द करने का विरोध कर रहे किसानों से सरकार साफतौर पर कह चुकी है कि, कानून रद्द नहीं होगा, लेकिन किसान ये बात मानने को तैयार नहीं है। इसी वजह से किसान आंदोलन का कोई समाधान नहीं हो पा रहा है।

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