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राष्ट्रीय किसान महासंघ आज करेगा देशव्यापी विरोध प्रदर्शन

नई दिल्ली: राष्ट्रीय किसान महासंघ आज देशभर मेें RCEP समझौते के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगा, साथ ही सांसदों को आरसीईपी के खिलाफ पत्र सौंपा जायेगा।

हाइलाइट्स :

  • राष्ट्रीय किसान महासंघ द्वारा आज देशभर में प्रदर्शन।

  • RCEP के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन।

  • किसान सांसदों व जिला कलेक्टर कार्यालयों को सौंपेंगे खत।

  • राष्ट्रीय किसान महासंघ द्वारा चलाया जाएगा 'गांव बंद आंदोलन'।

राज एक्‍सप्रेस। देशभर के किसान आज अर्थात 18 अक्टूबर को रीजनल कंप्रेहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) समझौते के खिलाफ सभी जिला मुख्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन (Farmer Protests) करने वाले हैं, किसानों द्वारा किया जाने वाला यह देशव्यापी विरोध प्रदर्शन 'राष्ट्रीय किसान महासंघ' के बैनर के तहत होगा।

सांसदों व जिला कलेक्टर कार्यालयों में देंगे खत :

इसके अलावा किसान 'रीजनल कंप्रेहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप' बहिष्कार के मांग वाले पत्र सांसदों एवं जिला कलेक्टर कार्यालयों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर यह पत्र सौंपा जाएगा।

राष्ट्रीय प्रवक्ता अभिमन्यु कोहाड़ का बयान :

राष्ट्रीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभिमन्यु कोहाड़ ने अपना एक बयान जारी करते हुए यह बात भी कहीं है कि, ''अगर सरकार रीजनल कंप्रेहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) समझौते का बहिष्कार नहीं करती है, तो देशभर में राष्ट्रीय किसान महासंघ द्वारा गांव बंद आंदोलन चलाया जाएगा।''

18 अक्टूबर से देशभर के सभी किसान काली पट्टी बांधकर आरसीईपी का विरोध करेंगे। देश के सभी सांसदों को आरसीईपी का बहिष्कार करने के लिए मांग-पत्र दिया जाएगा। देश के सभी जिलों में जिला कलेक्टर ऑफिस पर प्रधानमंत्री के नाम RCEP के खिलाफ खत सौंपा जाएगा। इसके बाद 2 नवम्बर को 3 घंटे के लिए देशभर में सड़क रोको प्रदर्शन किए जाएंगे।
राष्ट्रीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभिमन्यु कोहाड़

क्‍यों कर रहे किसान विरोध :

दरअसल, इस बार किसानों का विरोध प्रदर्शन का मुद्दा मुक्त व्यापार से जुड़ा हुआ है। आसियान देशों व 6 अन्य प्रमुख देशों की रीजनल कंप्रेहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) के तहत मुक्त व्यापार करार में डेयरी उत्पाद को शामिल करने के प्रस्ताव है, इसी को लेकर किसान विरोध कर रहे हैं। इससे पहले बीते साल किसानों द्वारा कर्जमाफी, पेंशन व न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोत्तरी की मांग को लेकर आंदोलन कर चुके हैं।

बताते चलें कि, RCEP इस वजह से चिंता बढ़ाने वाली है, क्योंकि इसके तहत जिन 15 देशों के साथ भारत का मुक्त व्यापार समझौता होना है और यह प्रस्तावित समझौता इस संकट को और बढ़ाने वाला ही साबित हो सकता है।

राष्ट्रीय किसान महासंघ का कहना-
अगर RCEP लागू हुआ और बाहर से दूध का आयात होता है, तो दूध के किसानों की कमर टूट जाएगी और पूरी तरह से तबाह हो जाएंगे। इसके अलावा देश के एक तिहाई बाजार पर भी न्यूजीलैंड, अमेरिका और यूरोपीय देशों का कब्जा हो जाएगा, भारत के किसानों को अभी उत्पाद के जो मूल्य प्राप्‍त हो रहे, उसमें भी गिरावट होंगी, जिसका भारतीय उद्योगों एवं किसानों पर असर पड़ेगा, क्‍योंकि भारत में ज्यादातर किसानों के पास लगभग 2 से 4 गायें हैं और दूध का व्यवसाय करके ही उनका घर-परिवार चलता है। वहीं, न्यूजीलैंड के किसानों के पास करीब 1000 की संख्या में गायें होती हैं।

यदि आयात-निर्यात की बात करें, तो RCEP समझौता होने से स्थिति यह होंगी और 90 फीसदी वस्तुओं पर आयात शुल्क घटकर शून्‍य हो जाएगा।

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