राष्ट्रीय एकता दिवस
राष्ट्रीय एकता दिवसSyed Dabeer Hussain - RE

राष्ट्रीय एकता दिवस : पटेल की वह नीति जिसने जूनागढ़ और हैदराबाद के नवाबों को घुटनों पर ला दिया

देश की आजादी के समय त्रावणकोर, हैदराबाद, जूनागढ़, भोपाल और कश्मीर जैसी कुछ रियासतें भारत में शामिल नहीं होना चाहती थीं। जानिए फिर वल्लभभाई ने क्या किया?

राज एक्सप्रेस। लौह पुरुष के नाम से पहचाने जाने वाले भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की आज 146वीं जन्म जयंती है। 31 अक्टूबर 1875 को जन्मे सरदार वल्लभ भाई पटेल ने ही देश की आजादी के बाद 565 रियासतों को भारत संघ में मिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आज जो हम भारत का स्वरुप देख रहे हैं, उसमें वल्लभ भाई पटेल की बड़ी भूमिका थी। यही कारण है कि उनकी याद में देश में हर साल 31 अक्टूबर को ‘नेशनल यूनिटी डे’ यानी ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ मनाया जाता है। गुजरात में सरदार पटेल की 182 मीटर की दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति भी है, जिसे स्टैचू ऑफ यूनिटी कहा जाता है। तो चलिए जानते हैं कि सरदार पटेल ने कैसे भारत को एक सूत्र में पिरोने का काम किया।

खंड-खंड हुआ भारत :

भारत की आजादी के समय अंग्रेजों ने देश के दो हिस्से तो कर दिए साथ ही उन्होंने कूटनीति चाल के तहत 565 देशी रियासतों को भारत में शामिल होने या ना होने का अधिकार भी दे दिया। यही कारण है कि उस समय त्रावणकोर, हैदराबाद, जूनागढ़, भोपाल और कश्मीर जैसी कुछ रियासतें भारत में शामिल नहीं होना चाहती थी। अगर इन रियासतों के अनुरूप फैसला होता तो आज भारत हमें कई टुकड़ों में बंटा हुआ दिखाई देता।

रियासतों का एकीकरण :

ऐसे में भारत को एक करने की जिम्मेदारी सरदार वल्लभ भाई पटेल ने उठाई। ऐसे में उन्होंने पी वी मेनन के साथ मिलकर देशी रियासतों के राजाओं से बात की और उन्हें समझाया कि उन्हें स्वायत्तता देना संभव नहीं होगा। पटेल व मेनन की बातों का राजाओं पर असर हुआ और 565 रियासतों में से 562 रियासतों ने अपने राज्यों का भारत में विलय स्वीकार कर लिया। जो तीन राज्य आखिर तक भारत में विलय के लिए राजी नहीं हुए, वह थे - हैदराबाद, जम्मू-कश्मीर और जूनागढ़।

साम-दाम-दंड-भेद :

हैदराबाद और जूनागढ़ का पाकिस्तान की तरफ झुकाव देखकर पटेल काफी चिंतित थे, क्योंकि इससे भविष्य में देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता था। ऐसे में पटेल ने सबसे पहले जूनागढ़ में सेना भेजकर वहां के दो बड़े प्रांतों मंगरोल और बाबरिवाड़ को भारत में मिला लिया। इसके बाद जूनागढ़ को जनमत संग्रह के जरिए भारत का हिस्सा लिया। पटेल के आगे जूनागढ़ के नवाब की एक नहीं चली और उसे पाकिस्तान भागना पड़ा।

ऑपरेशन पोलो :

जूनागढ़ की तरह हैदराबाद का भारत में शामिल होना भी देश के लिए बहुत जरुरी था। पटेल ने वहां के नवाब को खूब समझाया लेकिन वह नहीं माने। ऐसे में पटेल ने ऑपरेशन पोलो चलाया और वहां पर सेना भेज दी। इससे नवाब को झुकना पड़ा और साल 1948 में हैदराबाद का भी भारत में विलय हो गया। इसी तरह पटेल ने दूरदृष्टि दिखाते हुए लक्षद्वीप को भारत में शामिल करने के लिए राष्ट्रीय ध्वज के साथ भारतीय नौसेना का एक जहाज वहां भेजा। इसके कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तानी नौसेना का जहाज भी वहां पहुंच गया था, लेकिन भारत का झंडा वहां देखकर उन्हें वापस लौटना पड़ा।

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