झारखंड: केरल और गुजरात से लाए गए मजदूरों से वसूला किराया
झारखंड: केरल और गुजरात से लाए गए मजदूरों से वसूला किरायाkratik sahu-RE

झारखंड: केरल और गुजरात से लाए गए मजदूरों से वसूला किराया

केरल-गुजरात से झारखंड आए मजदूरों का कहना है कि उनसे 700 से 875 रुपए बतौर किराया वसूला गया है। जबकि इनमें से कई को टिकट की राशि देने के लिए मुसीबतों का सामना करना पड़ा।

राजएक्सप्रेस। देश के कई हिस्सों में फसे प्रवासी मजदूरों को उनसे घर वापस लेने के लिए चलाई जा रही विशेष ट्रेनों, में सफर कर रहे लोगों का ये आरोप है कि उनसे ट्रेन में सफर के लिए किराया वसूला गया है। सोमवार शाम को विशेष ट्रेन से केरल के तिरुवनंतपुरम से देवघर के जसीडीह स्टेशन पहुंचे 1129 मजदूरों ने रेलवे पर उसने उनसे किराया वसूलने का आरोप लगाया।

घर लौटे अधिकांश मजदूरों और कामगारों का कहना है कि उनसे 875 रुपये प्रति व्यक्ति बतौर किराया वसूला गया है। इनमें से कई मजदूरों के पास तो ये राशि देने लिए पैसे भी नहीं थे, जिनके लिए बाकि लोगों ने मशक्कत कर पैसे जमा किये। हालांकि इसी राशि में उन्हें खाने के पैकेट भी उपलब्ध कराये गए और स्टेशन पहुंचने के बाद सभी को संबंधित जिले भेजने के लिए बसों की व्यवस्था भी कराई गई।

इन स्पेशल ट्रेनों से आए अधिकांश लोग झारखंड के संताल परगना के रहने वाले हैं। इसके अलावा साहेबगंज, पाकुड़, गोड्डा, गिरिडीह, गढ़वा, लातेहार, रामगढ़, धनबाद और गुमला जिला के रहने वाले हैं।

सूरत से झारखंड आए मज़दूरों से भी लिए पैसे

केरल की तरह सूरत से झारखंड आए 1200 मज़दूरों ने भी टिकट के पैसे वसूलने का आरोप लगाया है। लॉकडाउन में फंसे इन मजदूरों के पास सूरत में खाने के लिए पैसे नहीं थे तो ये ट्रेन के टिकट के पैसे कैसे देते? फिर भी इन मजदूरों ने अपने मालिकों से उधार लेकर ट्रेन का टिकट लिया। इन मजदूरों से यात्रा के लिए 700 रुपये वसूले गए थे।

वहीं मजदूरों से यात्रा का किराया लेने पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रेलवे पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा है कि रेलवे ने पीएम राहत कोष में 150 करोड़ रूपये का योगदान दिया है। कहीं ये पैसे मजदूरों से लेकर तो नहीं दिए गए। अगर ऐसा है तो ये आश्चर्य का विषय है।

इसके आलाव सीएम हेमंत सोरेन ने ये भी कहा कि झारखंड देश का अकेला ऐसा राज्य है, जो रेलवे को सबसे ज्यादा राजस्व देता है, इसलिए यहां के मजदूरों और छात्रों को छूट मिलना चाहिए। बता दें कि लॉकडाउन में देश के अन्य राज्यों में फंसे झारखंड के लगभग 8 से 9 लाख मजदूर, कामगार और छात्रों को वापस लाया जा रहा है।

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