Wedge Code Rules
Wedge Code RulesPriyanka Sahu -RE

नौकरी करने वाले कर्मचारियों के लिए सरकार बना रही है नए नियम

मोदी सरकार अब नौकरी करने वाले कर्मचारियों की कार्य समय अवधि बढ़ाने की तैयारी में हैं, सरकार ने वेज कोड रूल्स का ड्राफ्ट भी जारी कर दिया है व श्रम मंत्रालय ने सभी संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे हैं।

हाइलाइट्स :

  • सरकार ने वेज कोड रूल्स (Wedge Code Rules) का ड्राफ्ट किया तैयार

  • सरकारी कर्मचारियों को बड़ा झटका

  • सरकार अब 9 घंटे की नौकरी निर्धारित करने की तैयारी में

राज एक्सप्रेस। जब से देश में प्रधानमंत्री पद पर सत्‍ता में नरेंद्र मोदी आए हैं, तब से ही वो एक्‍शन मोड में नजर आ रहे हैंं वह आए दिन किसी न किसी मुद्दे पर बड़े फैसले व कार्य में फेदरबदल करते रहते हैंं, उनके फैसले एक बड़ी खबर बनकर उभरतेे हैं, इसी के चलते एक और बड़ी खबर सामने आई है, जिससे सरकारी कर्मचारियों को बड़ा झटका लग सकता है।

क्‍या है सरकार का फैसला :

दरअसल, मोदी सरकार अब नौकरी व ये कहे ऑफिसों में काम करने वाले कर्मचारियों के कार्य करने की समय अवधि बढ़ाने की तैयारी में हैै, जी हांं! सरकार द्वारा यह निर्धारित किया है तथा अब कर्मचारियों को एक घंटे ज्‍यादा कार्य करना पढ़ सकता है, क्‍योंकि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा वेज कोड रूल्स का ड्राफ्ट जारी कर दिया गया है, जिसमें दफ्तरों में कामकाज का समय 8 घंटे से बढ़कर 9 घंटे का प्रस्ताव है।

हालांकि, सरकार ने वेज कोड रूल्स ड्राफ्ट में नेशनल मीनिमम वेज की घोषणा नहीं है, परंतु इस ड्राफ्ट में अधिकतर पुराने सुझावों को ही रखा गया है, वहीं मजदूरी तय करने के लिए पूरे देश को 3 जियोग्राफिकल वर्गों में बांटा गया है। बतातेे चलें कि, अभी तक सरकार के नियमों के अनुसार कर्मचारियों को 8 घंटे कार्य करना और उसी हिसाब से 26 दिन काम के बाद सैलरी तय होती है।

श्रम मंत्रालय ने मांगे सुझाव :

श्रम मंत्रालय ने सभी संबंधित पक्षों से एक महीने में सुझाव मांगे हैं। केंद्र की ओर से जारी ड्राफ्ट में कहा है कि, भविष्य में एक एक्सपर्ट कमेटी न्यूनतम मजदूरी तय करने के मसले पर सिफारिश सरकार से करेगी।

देश को 3 भौगोलिक कैटेगिरी में बांटा जाएगा :

वहीं इस ड्राफ्ट में सरकार ने राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन का कोई जिक्र नहीं है, लेकिन जब न्यूनतम वेतन पर कोई फैसला लिया जाएगा, तब देश को 3 भौगोलिक कैटेगिरी में बांटा जाएगा, जो इस प्रकार हैै-

  • मेट्रोपॉलिटिन एरिया, जिसकी जनसंख्या 40 लाख से ज्यादा है।

  • नॉन मेट्रोपॉलिटिन एरिया जिसकी जनसंख्या 10 लाख से 40 लाख और ग्रामीण इलाके शामिल होंगे।

  • साथ ही घर का किराया न्यूनतम वेतन के 10 % के बराबर तय होगा।

फिलहाल, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि, कैटेगिरी के हिसाब से इनमें कोई बदलाव होगा या नहीं।

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