राज एक्सप्रेस। अक्सर कुछ मंदिरों में प्रवेश के लिए नियम होते हैं, जिसका पालन करने के बाद ही श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर पाते है, इसी बीच अब एक सबसे अहम खबर सामने आई है कि, उत्तर प्रदेश में वाराणसी के ऐतिहासिक मंदिर 'काशी विश्वनाथ' की। अगर आप भी काशी विश्वनाथ की यात्रा पर जा रहे हैं, तो इस दौरान ड्रेस कोड का विशेष ध्यान रखें। जी हां! अब यहां के मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) में गर्भ गृह में स्पर्श दर्शन के लिए ड्रेस कोड लागू किया जा रहा है।
क्या होगा ड्रेस कोड?
उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर 'काशी विश्वनाथ मंदिर' में भी गर्भ गृह में स्पर्श दर्शन के लिए अब ड्रेस कोड लागू किया जा रहा है, अब महिला व पुरूषों को यह ड्रेस कोड में पहनना अनिवार्य होगा। निर्धारित ड्रेस कोड के अनुसार, पुरुषों को धोती- कुर्ता और महिलाओं को साड़ी पहनना होगी। हालांकि, ऐसा भी नहीं है कि, जो 'जींस, पैंट, शर्ट, सूट, टाई कोट' पहने हुए श्रद्धालु होंगे, उन्हें मंदिर में प्रवेश व दर्शन की व्यवस्था नहीं होगी, सिर्फ फर्क यह पड़ेगा कि, यह श्रद्धालु गर्भगृह में प्रवेश नहीं कर सकेंगे, सरल शब्दों में कहे तो 'काशी विश्वनाथ मंदिर' में विराजमान भगवान भोलेनाथ को छूकर दर्शन का लाभ नहीं उठा सकेंगे, बल्कि दूर से ही हाथ जोड़ कर दर्शन कर पाएंगे।
यह नया नियम कब से होगा लागू :
बताया जा रहा है कि, आने वाले दिनों यानी 15 जनवरी को मकर संक्रांति के विशेष पर्व से ही 'काशी विश्वनाथ मंदिर' में यह नई व्यवस्था लागू कर दी जाएगी।
कब और क्यों लिया यह निर्णय?
दरअसल, बीते रविवार 12 जनवरी को प्रदेश के पर्यटन एवं धर्मार्थ कार्य राज्यमंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी की अध्यक्षता में मंदिर प्रशासन और काशी विद्वत परिषद के विद्वानों की बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया है।
वहीं अगर बात करें कि, 'काशी विश्वनाथ मंदिर' के लिए यह नई व्यवस्था इसलिए लागू हुई, क्योंकि यहां भगवान भोलेनाथ के स्पर्श पूजन का विशेष महत्व है और शास्त्रों द्वारा देश के 12 ज्योतिर्लिंगो में से एक 'काशी विश्वनाथ मंदिर' में पूजा और स्पर्श दर्शन से राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
मंदिर की मान्यता :
बताते चलें कि, 'काशी विश्वनाथ मंदिर' में भक्तों को दर्शन करने व पूजा करने का विशेष लाभ प्राप्त होता हैं। मान्यता ऐसी भी है कि, यदि हम अपने पूरे जीवन में अनेक शिवलिंगों की पूजा व दर्शन न करके सिर्फ एक बार 'काशी विश्वनाथ मंदिर' में विराजित शिवलिंग भगवान भोले नाथ की पूजा व दर्शन करते हैं तो यह उसके बराबर ही होगा और एक ही बार में फल मिल जाता है।
श्रद्धालुओं के लिए स्पर्श दर्शन की अवधि बढ़ाई :
मंदिर प्रशासन और काशी विद्वत परिषद के विद्वानों की बैठक के दौरान एक अन्य निर्णय यह भी लिया गया है कि, श्रद्धालुओं के लिए भगवान के स्पर्श दर्शनों की समय अवधि भी बढ़ाकर 7 घंटे करने का निर्णय लिया गया है।
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