राज एक्सप्रेस। उत्तर प्रदेश में वाराणसी के ऐतिहासिक मंदिर 'काशी विश्वनाथ' (Kashi Vishwanath Temple) में ड्रेस कोड लागू करने को लेकर कुछ नियम बनाएं जाने का दावा हुआ था, लेकिन अब इस दावे को मंदिर प्रशासन द्वारा खारिज कर दिया गया है यानी अब श्रद्धालुओं को स्पर्श दर्शन के लिए ड्रेस कोड की अनिवार्यता जरूरी नहीं है।
दरअसल, बीते रविवार को मंदिर प्रशासन की काशी विद्वत परिषद के पदाधिकारियों की बैठक के दौरान यह निर्णय लिए जाने की खबरें सामने आई थीं। बताया जा रहा है, सोमवार सुबह से ही ड्रेस कोड की खबर सामने आने केे बाद से ही वाराणसी से लेकर लखनऊ तक लोगों में अफरा-तफरी मच गई। सरकार की जानकारी में लाए बिना ही मंदिर में ड्रेस लागू करने का फैसला लिया गया, परंतु अब मंदिर प्रशासन ने अपने इस फैसले को पलटते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल करने की बात कही है।
मंदिर कार्यपालक समिति के अध्यक्ष और कमिश्नर दीपक अग्रवाल का कहना है कि, हम अभी विद्वानों और प्रबुद्ध जनों के सुझाव पर विचार नहीं कर रहे हैं। इसके लिए संतों, स्थानीय लोगों की राय लेना भी जरूरी है। कमिश्नर अग्रवाल ने ड्रेस कोड लागू किए जाने की बात का खंडन करते हुए कहा कि, ''ऐसा कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है, जो बात सामने आई थी वह काशी विद्वत परिषद का मौखिक सुझाव था, जिस पर चर्चा हुई। अभी कोई भी विधिवत प्रस्ताव नहीं आया है।''
यहां तक कि वाराणसी मंडल के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने ड्रेस कोड लागू करने की खबर को अफवाह तक बता दिया। बता दें कि, उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर 'काशी विश्वनाथ मंदिर' में भी गर्भ गृह में स्पर्श दर्शन के लिए ड्रेस कोड लागू किया जा रहा था कि, पुरुषों को धोती- कुर्ता और महिलाओं को साड़ी पहननी होगी, तभी वह गर्भगृह में प्रवेश कर सकेंगे।
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