फारूक अब्दुल्ला की तीखी प्रतिक्रिया-हम किसी के हाथों की कठपुतली नहीं

जम्मू-कश्मीर के पूर्व CM फारूक अब्दुल्ला के तीखेे तेवर, कहा-मैं यह स्पष्ट कर दूं कि हम किसी के हाथों की कठपुतली नहीं हैं, न तो नई दिल्ली के और न ही सीमा पार किसी के।
फारूक अब्दुल्ला की तीखी प्रतिक्रिया-हम किसी के हाथों की कठपुतली नहीं
फारूक अब्दुल्ला की तीखी प्रतिक्रिया-हम किसी के हाथों की कठपुतली नहींSocial Media

जम्मू कश्मीर : जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के केन्द्र के कदम के खिलाफ एकजुट होने वाले छह राजनीतिक दलों के गुपकर घोषणा-पत्र को पाकिस्तान की तरफ से सराहे जाने पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने अपने तीखे तेवर दिखाते हुए कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही।

हम किसी के हाथों की कठपुतली नहीं :

दरअसल, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला ने रविवार को अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि, ''वे किसी के हाथों की कठपुतली नहीं हैं। पाकिस्तान ने हमेशा जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों का अपमान किया है, लेकिन अब अचानक वह हमें पंसद करने लगे हैं। मैं यह स्पष्ट कर दूं कि हम किसी के हाथों की कठपुतली नहीं हैं, न तो नई दिल्ली के और न ही सीमा पार किसी के। हम जम्मू- कश्मीर की जनता के प्रति जवाबदेह हैं और उनके लिए काम करेंगे।''

इसके अलावा उन्‍होंने सीमा पार आतंकवाद पर एक सवाल के जवाब में कहा- मैं पाकिस्तान से हथियारबंद लोगों को कश्मीर भेजने से रोकने का आग्रह करूंगा, हम अपने राज्य में रक्तपात को समाप्त करना चाहते हैं। जम्मू-कश्मीर के सभी राजनीतिक दल अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण ढंग से लड़ाई लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसमें वो भी शामिल हैं, जो पिछले साल पांच अगस्त को असंवैधानिक रूप से हमसे छीन लिया गया था।

भारत और पाकिस्तान से ‘‘सभी की भलाई के लिए’’ बातचीत शुरू करने का अनुरोध किया। जब भी संघर्ष विराम के उल्लंघन की घटनाएं होती हैं, तो नियंत्रण रेखा के दोनों ओर हमारे लोग मारे जाते हैं, ईश्वर के लिए इसे रोकिए।

फारुक अब्दुल्ला

गौरतलब है कि 22 अगस्त को नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस और तीन अन्य दलों यानी 6 क्षेत्रीय पार्टियों ने 5 अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए फिर से इसकी बहाली के लिए मिलकर संघर्ष करने का एलान किया था और इस संबंध में एक घोषणापत्र जारी किया था।

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