टोपोग्राफी से लेकर अंधाधुंध विकास कार्यों तक, जानिए क्यों धंस रही है जोशीमठ की जमीन?
राज एक्सप्रेस। इस समय उत्तराखंड का जोशीमठ पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। यहां जमीन धंसने और कई घरों में दरारें पड़ने की घटनाओं ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय ने रविवार को एक हाई लेवल मीटिंग की है। इसके अलावा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी जोशीमठ के हालातों का जायजा लिया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इसकी जानकारी दी है। साथ ही जोशीमठ से कई लोगों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया जा रहा है। हालांकि इस सब के बीच कई लोगों के मन में यह सवाल भी उठ रहा है कि आखिर जोशीमठ में जमीन क्यों खिसक रही है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है।
टोपोग्राफी :
साल 1976 की मिश्रा आयोग की रिपोर्ट के अनुसार जोशीमठ एक प्राचीन भूस्खलन पर स्थित है, जो चट्टान नहीं बल्कि रेत और पत्थर के जमाव पर टिका है। यानी यह जगह एक बस्ती के लिए उपयुक्त नहीं थी। जून 2013 और फरवरी 2021 की बाढ़ की घटनाओं ने इस भूस्खलन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। ऐसे में जोशीमठ में जमीन धंसने का यह एक बड़ा कारण माना जा रहा है।
अनुचित जल निकासी :
जोशीमठ में उचित जल निकासी सुविधाओं का अभाव भी भूस्खलन का कारण माना जा रहा है। मानव गतिविधियों के चलते प्राकृतिक जल निकासी प्रणालियां ब्लॉक हो गई, जिसके चलते पानी को निकासी के लिए दूसरे मार्ग खोजने पर मजबूर होना पड़ा। यह भी एक कारण है कि जोशीमठ जिस भूस्खलन पर स्थित है, उस पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा।
अनियोजित निर्माण :
बेतरतीब और अनियोजित निर्माण भी जोशीमठ हादसे के पीछे की एक वजह माना जा रहा है। परियोजनाओं के निर्माण, होटल और भवनों के अनियोजित निर्माण से ये शहर अपनी बियरिंग कैपेसिटी को पार कर गया और आज इस कगार पर आकर खड़ा हो गया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि एनटीपीसी के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की वजह से ही यह मुसीबत पैदा हुई है। एक दशक पहले भी विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि बड़े पैमाने पर सतह से पानी निकालने से क्षेत्र में जमीन धंसने की शुरुआत हो सकती है हालांकि इसके बावजूद इस ओर ध्यान नहीं दिया गया।
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