लखनऊ : लव जिहाद विधेयक यूपी विधानसभा में पारित

उत्तर प्रदेश विधान मंडल बजट सत्र के दौरान योगी आदित्यनाथ सरकार ने लव जिहाद पर अंकुश लगाने के लिए लाए गए उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 को विधान सभा में पास करा लिया है।
लव जिहाद विधेयक यूपी विधानसभा में पारित
लव जिहाद विधेयक यूपी विधानसभा में पारितSocial Media

लखनऊ, उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश विधान मंडल बजट सत्र के दौरान योगी आदित्यनाथ सरकार ने लव जिहाद पर अंकुश लगाने के लिए लाए गए उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 को विधान सभा में पास करा लिया है। बुधवार को यूपी विधान सभा में इस विधेयक को ध्वनि मत से पारित किया गया। हांलाकि अभी यह विधेयक विधान परिषद में पास होने के बाद राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। उसके बाद यह एक कानून बन जाएगा।

पिछले वर्ष नवंबर में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी मिलने के साथ ही उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 लागू हो गया है। अध्यादेश लागू किए जाने की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। इसे कैबिनेट ने 24 नवंबर को अध्यादेश को मंजूरी दी थी और उसे अनुमोदन के लिए राजभवन भेजा गया था। नियम के अनुसार अध्यादेश को छह माह के भीतर विधान मंडल के दोनों सदनों में मंजूरी दिलानी होती है। इसी के तहत सरकार ने बुधवार को विधान सभा में विधेयक को ध्वनि मत से पारित करा लिया। अब सरकार इस विधेयक को विधान परिषद में ले जाएगी। यूपी में लव जिहाद की बढ़ती घटनाओं पर प्रभावी कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री योगी ने धर्मांतरण को लेकर कठोर कानून बनाया है। छल-कपट से, कोई प्रलोभन देकर या जबरन कराए गए धर्मांतरण के लिए प्रदेश में कानून लागू किया गया है। इसके तहत धर्म बदलने के लिए कम से कम 60 दिन यानी दो महीने पहले जिलाधिकारी या संबंधित अपर जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष तय प्रारूप में आवेदन करना अनिवार्य होगा।

आवेदन पत्र में यह घोषणा करनी होगी कि संबंधित व्यक्ति खुद से, अपनी स्वतंत्र सहमति से तथा बिना किसी दबाव, बल या प्रलोभन के धर्म परिवर्तन करना चाहता है। घोषणा करने की तारीख से 21 दिनों के भीतर संबंधित व्यक्ति को जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत होकर अपनी पहचान स्थापित करनी होगी और घोषणा की विषयवस्तु की पुष्टि करनी होगी। जिलाधिकारी धर्म परिवर्तन के वास्तविक आशय, प्रयोजन व कारण की पुलिस के जरिये जांच कराने के बाद अनुमति प्रदान करेंगे।अध्यादेश में छल-कपट से, प्रलोभन देकर, बल पूर्वक या विवाह के लिए धर्म परिवर्तन के सामान्य मामले में कम से कम एक वर्ष तथा अधिकतम पांच वर्ष की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा कम से कम 15 हजार रुपए तक जुर्माना होगा। नाबालिग लड़की, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति की महिला का जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने के मामले में कम से कम दो वर्ष तथा अधिकतम 10 वर्ष तक का कारावास तथा कम से कम 25 हजार रुपये जुर्माना होगा। सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों में कम से कम तीन वर्ष तथा अधिकतम 10 वर्ष तक की सजा और कम से कम 50 हजार रुपए जुर्माना होगा।

डिस्क्लेमर : यह आर्टिकल न्यूज एजेंसी फीड के आधार पर प्रकाशित किया गया है। इसमें राज एक्सप्रेस द्वारा कोई संशोधन नहीं किया गया है।

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