कानपुर देहात के परौंख गांव में PM मोदी ने जनसभा को किया संबोधित
कानपुर देहात के परौंख गांव में PM मोदी ने जनसभा को किया संबोधितSocial Media

कानपुर देहात के परौंख गांव में PM मोदी ने जनसभा को किया संबोधित

PM ने उत्तर प्रदेश के कानपुर में डॉ. बी. आर. अंबेडकर भवन का दौरा किया। इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानपुर के परौंख गांव में जनसभा को संबोधित किया।

उत्तर प्रदेश, भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश में है। इस दौरान उन्होंने कानपुर में डॉ. बी. आर. अंबेडकर भवन का दौरा किया। इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कानपुर देहात के परौंख गांव में एक सार्वजनिक समारोह में शामिल हुए। इस मौके पर उनके साथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। कानपुर के परौंख गांव में उन्होंने जनसभा को संबोधित किया।

यहां आकर वाकई मन को बहुत सुकून मिला :

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानपुर के परौंख गांव में जनसभा को संबोधित कर कहा- आज यहां आकर वाकई मन को बहुत सुकून मिला है। इस गांव ने राष्ट्रपति जी का बचपन भी देखा है और बड़े होने पर उनको हर भारतीय का गौरव बनते हुए भी देखा है। यहां आने से पहले राष्ट्रपति जी ने मुझसे इस गांव से जुड़ी कई यादें भी साझा की। आज राष्ट्रपति जी के गांव में आने का मेरा ये अनुभव एक सुखद स्मृति की तरह है। जब में राष्ट्रपति जी के साथ विभिन्न स्थानों को देख रहा था, तो मैंने भारत के गांव की कई आदर्श छवियों को भी महसूस किया।

परोपकार की मिट्टी से राष्ट्रपति जी को जो संस्कार मिले हैं उसकी साक्षी आज दुनिया बन रही है। मैं देख रहा था कि एक तरफ संविधान और दूसरी तरफ संस्कार। राष्ट्रपति जी ने पद के द्वारा बंधी हुई सारी मर्यादाओं से बाहर निकलकर आज मुझे हैरान कर दिया कि वे स्वयं हेलीपैड पर मुझे लेने आए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

  • मैंने कहा राष्ट्रपति जी आपने मेरे साथ अन्याय कर दिया, तो उन्होंने सहज रूप से कहा कि संविधान की मर्यादाओं का पालन तो मैं करता हूं लेकिन कभी-कभी संस्कार की भी अपनी ताकत होती है। आज आप मेरे गांव आए हैं, मैं यहां पर अतिथि का सत्कार करने आया हूं, राष्ट्रपति के रूप में नहीं आया हूं।

  • राष्ट्रपति जी ने अपने पैतृक आवास को मिलन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए दे दिया था। आज वो विमर्श और ट्रेनिंग सेंटर के तौर पर महिला सशक्तिकरण को नई ताकत दे रहा है।

  • महात्मा गांधी भारत की आज़ादी को भारत के गाँव से जोड़कर देखते थे। भारत का गाँव यानी, जहां आध्यात्म भी हो, आदर्श भी हों! भारत का गाँव यानी, जहां परम्पराएँ भी हों, और प्रगतिशीलता भी हो! भारत का गाँव यानी, जहां संस्कार भी हो, सहकार भी हो! जहां ममता भी हो, समता भी हो।

  • हमारे गांवों के पास सबसे ज्यादा सामर्थ्य है, सबसे ज्यादा श्रम शक्ति है, और सबसे ज्यादा समर्पण भी है। इसलिए भारत के गांवों का सशक्तिकरण हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।

  • भारत में गांव में पैदा हुआ गरीब से गरीब व्यक्ति भी राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री-राज्यपाल-मुख्यमंत्री के पद पर पहुंच सकता है। आज जब हम लोकतन्त्र की इस ताकत की चर्चा कर रहे हैं तो हमें इसके सामने खड़ी परिवारवाद जैसी चुनौतियों से भी सावधान रहने की जरूरत है।

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