हाइलाइट्स :
PM मोदी ने कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मंदिर में पूजा की
भगवान बुद्ध की मूर्ति पर प्रधानमंत्री ने चीवर चढ़ाया
बौद्ध भिक्षुओं को PM मोदी ने चीवर दान किया
कुशीनगर में PM नरेंद्र मोदी ने बोधि वृक्ष का पौधा लगाया
उत्तर प्रदेश, भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तर प्रदेश के दौरे पर है, इस दौरान सबसे पहले उन्होंने कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का लोकार्पण कर बड़ी सौगात दी है। इसके बाद PM मोदी ने कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मंदिर में पूजा की और 'अभिधम्म दिवस' पर भगवान बुद्ध के दर्शन कर बुद्ध की मूर्ति पर चीवर चढ़ाया। साथ ही इस मौके पर PM मोदी ने कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मंदिर में 'अभिधम्म दिवस' पर आयोजित एक कार्यक्रम में बौद्ध भिक्षुओं को चीवर दान किया एवं कुशीनगर में बोधि वृक्ष का पौधा लगाया।
अभिधम्म दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में PM का संबोधन :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। तो वहीं, कुशीनगर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'अभिधम्म दिवस' पर आयोजित कार्यक्रम को संबाधित कर कहा- भगवान बुद्ध की कृपा से आज के दिन कई अलौकिक संगत, कई अलौकिक संयोग एक साथ प्रकट हो रहे हैं। मुझे आज कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लोकार्पण का सौभाग्य मिला है। इसके जरिए पूरी दुनिया से करोड़ों बुद्ध अनुयायियों को यहां आने का अवसर मिलेगा।
हम सभी जानते हैं कि, श्रीलंका में बौद्ध धर्म का संदेश, सबसे पहले भारत से सम्राट अशोक के पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा ले कर गए थे। माना जाता है कि आज के ही दिन ‘अर्हत महिंदा’ ने वापस आकर अपने पिता को बताया था कि श्रीलंका ने बुद्ध का संदेश कितनी ऊर्जा से अंगीकार किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
PM मोदी ने बताया कि, ''इस समाचार ने ये विश्वास बढ़ाया था, कि बुद्ध का संदेश पूरे विश्व के लिए है, बुद्ध का धम्म मानवता के लिए है। आज एक और महत्वपूर्ण अवसर है- भगवान बुद्ध के तुषिता स्वर्ग से वापस धरती पर आने का! इसीलिए, आश्विन पूर्णिमा को आज हमारे भिक्षुगण अपने तीन महीने का ‘वर्षावास’ भी पूरा करते हैं। आज मुझे भी वर्षावास के उपरांत संघ भिक्षुओं को ‘चीवर दान’ का सौभाग्य मिला है।''
PM मोदी के संबोधन की बातें-
बुद्ध इसीलिए ही वैश्विक हैं क्योंकि बुद्ध अपने भीतर से शुरुआत करने के लिए कहते हैं। भगवान बुद्ध का बुद्धत्व है- sense of ultimate responsibility
आज जब दुनिया पर्यावरण संरक्षण की बात करती है, तो उसके साथ अनेक सवाल उठ खड़े होते हैं। लेकिन, अगर हम बुद्ध के सन्देश को अपना लेते हैं तो ‘किसको करना है’, इसकी जगह ‘क्या करना है’, इसका मार्ग अपने आप दिखने लगता है।
दुनिया में जहां-जहां भी बुद्ध के विचारों को सही मायनों में आत्मसात किया गया है, वहां कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी प्रगति के रास्ते बने हैं। बुद्ध इसलिए ही वैश्विक हैं क्योंकि वो अपने भीतर से ही शुरुआत करने की बात करते हैं।
बुद्ध आज भी भारत के संविधान की प्रेरणा हैं, बुद्ध का धम्म-चक्र भारत के तिरंगे पर विराजमान होकर हमें गति दे रहा है। आज भी भारत की संसद में कोई जाता है तो इस मंत्र पर नजर जरूर पड़ती है- ‘धर्म चक्र प्रवर्तनाय’।
भगवान बुद्ध ने कहा था- “अप्प दीपो भव”। यानी, अपने दीपक स्वयं बनो। जब व्यक्ति स्वयं प्रकाशित होता है तभी वह संसार को भी प्रकाश देता है। यही भारत के लिए आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा है।
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