हाइलाइट्स
राज एक्सप्रेस। दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बताया कि 1 सितंबर, 2019 से यातायात नियमों के तहत बढ़े हुए जुर्माना लागू होने के बाद से दिल्ली में जो दिक्कतें पैदा हो गई हैं, उससे निपटने के लिए दिल्ली परिवहन मंत्रालय में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। ज्ञात हो कि दिल्ली में लगभग 1 करोड़ 10 लाख वाहन हैं। इनमें से अगर पेट्रोल वाले 15 साल से अधिक पुराने और डीजल वाले 10 साल से अधिक पुराने वाहनों को निकाल दिया जाए, तो लगभग 70 लाख वाहन बाकी बचते हैं।
इनमें से जो वाहन यूरो फोर से पहले के हैं उन्हें 3 महीने में एकबार अपना प्रदूषण सर्टिफिकेट रिन्यू कराना होता है, जबकि यूरो फोर के बाद वाले वाहनों को साल में एक बार अपना प्रदूषण सर्टिफिकेट रिन्यू कराना होता है। परिवहन मंत्री ने यह भी बताया कि कई जगह से हमें शिकायत मिली कि कुछ प्रदूषण जांच केंद्र तय राशि से अधिक पैसे ले रहे हैं। दिल्ली सरकार ने तुरंत प्रभाव से कार्रवाई की, जिसके तहत दो प्रदूषण जांच केंद्रों को बंद किया जा रहा है।
एक सितंबर ऐतिहासिक मायने :
1 सितंबर 2019 से पहले लगभग 15000 वाहन प्रतिदिन के हिसाब से यातायात प्रदूषण सर्टिफिकेट रिन्यू कराते थे, जबकि 1 सितंबर के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 45000 से भी अधिक हो गया है और प्रतिदिन के हिसाब से यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। वहीं 1 सितंबर के बाद से जिन प्रदूषण जांच केंद्रों पर प्रतिदिन 2200 से अधिक प्रदूषण सर्टिफिकेट बनवाए गए, उनमें मंगोलपुरी में डीडीए सब डिस्टिक सेंटर, नोएडा मथुरा रोड पर सविता सर्विस सेंटर, महानंद माई मार्ग पर, आई पी स्टेट, कालकाजी एक्सटेंशन, गीता कॉलोनी, झरोंदा माजरा, नजफगढ़, नांगलोई रोड मुख्य रूप से शामिल हैं। इस पूरी स्थिति को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार ने सभी अधिकारियों के साथ एक बैठक की, जिसमें कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं।
ये हैं महत्वपूर्ण निर्णय:
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