राज एक्सप्रेस। राजधानी दिल्ली में प्याज की कीमतों में हो रही लगातार वृद्धि से उपभोक्ता परेशान होने लगे हैं। उनके घरेलू बजट पर इसका असर साफ दिखने लगा है जब प्याज की कीमत सेब जैसे फलों की कीमतों से भी आगे निकलने लगा है। अब दिल्ली ही नहीं देश के कई राज्यों में कीमतों में तेजी आई है। मंडी में प्याज की घटती आवक इसकी वजह बताई जा रही है। पंजाब में इसका असर कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा है। दिल्ली और पंजाब में प्याज 50 से 70 रूपए प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गया है।
कीमतों में तेजी के कारण
मार्केट एसोसिएशन की मानें तो प्याज के आवक की कमी होने का सबसे बड़ा कारण दक्षिण भारत और मध्य प्रदेश में जोरदार बारिश है। भारी बारिश और नमी के कारण मध्य प्रदेश में प्याज की स्टॉकिंग जरूरी स्तर तक नहीं पूरी हुई। दक्षिण भारत में भारी बारिश की वजह से फसल बर्बाद हो चुकी है। बताया गया कि नासिक क्षेत्र जो सबसे बेहतर क्वालिटी के प्याज के लिए जाना जाता है, वहां पर बारिश की वजह से प्याज की फसल करीब दो सप्ताह की देरी से लगी। पहले यह फसल दिवाली से पहले मिलती थी, लेकिन अब यह फसल दिवाली के बाद या फिर उसके ठीक बाद तक मिल सकेगी, इसमें करीब एक माह की देरी होगी।
विदेश से आयात करेगा केंद्र
केंद्र सरकार के हवाले से कहा गया है कि अफगानिस्तान और इजिप्ट से प्याज आयात की जाएगी। हालांकि प्याज की आवक की कमी से निपटने की तैयारी भी सरकार कर रही है। खबर है कि सरकार पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान से प्याज आयात कर रही है। जल्द ही भारत में देश में प्याज का स्टॉक पूरा हो जाएगा। 2015 में भी प्याज कीमतें बढ़ी थीं और खुदरा बाजार में 100 रूपए प्रतिकिलो तक हो गई थी।
दिवाली के बाद राहत के आसार
कहा जा रहा है कि, दिवाली के आसपास या उसके बाद प्याज की कीमतें कम हो सकती हैं। तब तक देश में प्याज का स्टॉक ठीक-ठाक हो सकता है। वहीं खुदरा दुकानदारों की माने तो प्याज उत्पादन करने वाले राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति की वजह से प्याज की कीमतों में इतनी तेजी देखने को मिल रही और भारी बारिश के कारण महाराष्ट्र, केरल, गुजरात, कर्नाटक और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों से उत्तर भारत में प्याज की नई फसल की सप्लाई नहीं हो पा रही है। वहीं बाजार में बेहतर क्वालिटी वाले प्याज की कमी होने के बाद आने वाले दिनों में प्याज की कीमतों में और अधिक तेजी देखने को मिल सकती है।
जमाखोरी भी बड़ी वजह
दुकानदारों का कहना है कि प्याज की जमाखोरी के कारण भी इसकी कीमतों पर असर डाल रहा है। बारिश या खराब मौसम के कारण जैसे ही बाजार में प्याज की आवक कम होने लगी वैसे ही कुछ जमाखोरों ने ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में जमाखोरी शुरू कर दी। जब प्याज का भाव आसमान छूने लगेगा तब वह इसका मुनाफा कमाऐंगे। हालांकि कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने पिछले सप्ताह ही न्यूनतम निर्यात मूल्य 850 डॉलर प्रति टन निर्धारित कर दिया है लेकिन जमाखोरों पर इसका भी कुछ असर नहीं हुआ।
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