शाहीन बाग प्रदर्शन पर कोर्ट सख्त, दिल्ली सरकार को नोटिस

उच्चतम न्यायालय ने राजधानी के शाहीन बाग में चल रहे धरना प्रदर्शन को खत्म करने को लेकर तत्काल जारी किया नोटिस।
शाहीन बाग प्रर्दशन पर कोर्ट सख्त
शाहीन बाग प्रर्दशन पर कोर्ट सख्तPriyanka Yadav - RE

राज एक्सप्रेस। राजधानी के शाहीन बाग में चल रहे धरना प्रदर्शन को खत्म करने को लेकर उच्चतम न्यायालय ने तत्काल कोई दिशा-निर्देश जारी करने से इनकार करते हुए केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किए। याचिकाकर्ताओं-वकील अमित साहनी एवं भाजपा नेता नंद किशोर गर्ग के वकीलों ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की खंडपीठ को प्रदर्शन से जनता को होने वाली समस्याओं से अवगत कराया।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाने के लिए कोई आदेश या दिशा-निर्देश देने का न्यायालय से आग्रह किया, जिस पर खंडपीठ ने कहा कि, वह फिलहाल कोई आदेश जारी नहीं कर रही। एक सप्ताह और इंतजार कर लें।

वह पहले प्रतिवादियों का पक्ष जानना चाहता है इसलिए उन्हें नोटिस जारी किया जाता है।

न्यायालय ने कहा-

इस बीच प्रदर्शनकारियों की ओर से एक वकील ने प्रदर्शन जारी रखने के अधिकार का जिक्र किया, जिस पर न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि, सार्वजनिक स्थानों पर इस तरह धरना प्रदर्शन करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी को भी धरना प्रदर्शन करने के उसके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता फिर भी इस बात का ख्याल रखा जाना चाहिए कि धरना प्रदर्शन से आम जनता को किसी तरह की कोई समस्या न हो। धरना प्रदर्शन एक निर्धारित क्षेत्र में ही किया जाना चाहिए।

केंद्र, दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, 17 फरवरी को सुनवाई

न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 फरवरी की तारीख मुकर्रर की है तथा इस बीच केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करके उन्हें उस दिन तक जवाब देने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि शाहीन बाग में पिछले करीब दो महीने से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ धरना प्रदर्शन जारी है जिसे लेकर नोएडा कालिंदी कुंज का मार्ग अवरुद्ध पड़ा है और यात्रियों को प्रतिदिन भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

शाहीन बाग में नवजात की मौत का मामला :

वहीं उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में चल रहे धरना प्रदर्शन के दौरान चार माह के एक नवजात की मौत के मामले में कड़ा रुख अख्तियार करते हुए सोमवार को केंद्र एवं दिल्ली सरकार से जवाब तलब किया। उधर, प्रदर्शनकारियों को शाहीन बाग से हटाने के मामले में भी दो अन्य याचिकाओं पर दूसरी पीठ ने केंद्र, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किए हैं तथा एक हफ्ते में जवाब मांगा है।

मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की खंडपीठ ने राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित लड़की जेन सदावरते के पत्र का स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले की सुनवाई की तथा धरना प्रदर्शन में चार माह के बच्चे की जान जाने पर तल्ख टिप्पणी की।

क्या चार माह का बच्चा प्रदर्शन में भाग लेने गया था? केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि चार महीने के बच्चे की मौत हुई है।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा

सुनवाई के दौरान ही, शाहीन बाग की तीन महिलाओं ने भी अपना पक्ष रखने की मांग की। उन्होंने कहा कि उनके बच्चों को स्कूल में पाकिस्तानी कहा जाता है। इस पर, न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा- ‘‘हम इस समय एनआरसी, एनपीए, सीएए को लेकर या किसी बच्चे को पाकिस्तानी कहा गया, इस बाबत सुनवाई नहीं कर रहे हैं।’’

महिलाओं की ओर से अनावश्यक जिरह किए जाने के बाद न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा-

‘‘हमें मदरहुड के लिए सम्मान है। हम किसी की आवाज नहीं दबा रहे हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में बेवजह की बहस नहीं करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के समक्ष यह विषय नहीं है कि किसी बच्चे को स्कूल में पाकिस्तानी कहा गया या कुछ और। नवजात बच्ची की मौत का मामला गंभीर है और वह केवल इसी मसले पर ध्यान केंद्रित रखेगी। इसके बाद न्यायालय ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करके चार हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा है।

बता दें कि, पिछले साल 2019 के दिसंबर में नागरिकता कानून के संसद में पास होने के बाद से ही शाहीन बाग समेत देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हो रहा है।

आपको बताते चलें कि, शाहीन बाग के मामले नीचे दी गई लिंक पर क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर-

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