UP पोस्टर मामले पर कोर्ट ने पूछा- किस कानून के तहत लगाए होर्डिंग्स

UP में CAA के खिलाफ हिंसा फैलाने वाले उपद्रवियों के पोस्टर मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच ने सुनवाई की, जानें इस दौरान कोर्ट ने क्‍या कहा?
Supreme Court Hearing of UP Poster Case
Supreme Court Hearing of UP Poster CasePriyanka Sahu -RE

राज एक्‍सप्रेस। उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ कथित रूप से हिंसा फैलाने वाले उपद्रवियों के पोस्टर यूपी सरकार के आदेश पर लखनऊ में लगाए गए, अब उनका यह निर्णय सही था या गलत, इस मामले पर आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच ने सुनवाई की।

कोर्ट ने क्‍या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 3 सदस्यीय पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, यह मामला बहुत महत्वपूर्ण है और यूपी सरकार से यह बात पूछी...

जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की वेकेशन बेंच ने कहा- "क्या यूपी सरकार को ऐसे पोस्टर लगाने का अधिकार है। किस कानून के तहत आरोपियों के होर्डिंग्स लगाए गए। अब तक ऐसा कोई प्रावधान नहीं, जो सरकार की इस कार्रवाई का समर्थन करता हो।"

वहीं, राज्य सरकार की ओर से सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा-

निजता के अधिकार के कई आयाम हैं, पोस्टर हटाने के हाईकोर्ट के फैसले में खामियां हैं। ये लोग प्रदर्शन के दौरान हिंसा में शामिल थे। सरकार के पास ऐसी कार्रवाई करने की शक्ति है।
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता

इसके बाद जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने पूछा-

हिंसा के आरोपियों के होर्डिंग्स लगाने की शक्ति कहां मिली हुई है? हम सरकार की चिंता समझ सकते हैं। बेशक दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए और उन्हें दंडित किया जाए, लेकिन कानून में ऐसी कार्रवाई करने का कोई प्रावधान नहीं है।

इस पर जनरल तुषार मेहता ने जवाब देते हुए कहा- ''एक आदमी जो प्रदर्शन के दौरान हथियार लेकर पहुंचा हो और हिंसा में शामिल रहा हो, वह निजता के अधिकार का दावा नहीं कर सकता है। प्रदर्शनकारियों के पोस्टर सिर्फ यह बताने के लिए लगाए गए थे कि, हिंसा में शामिल आरोपियों पर अभी जुर्माना बकाया है।''

बता दें कि, इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि, लखनऊ के जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर16 मार्च तक होर्डिंस हटवाएं और इसकी जानकारी रजिस्ट्रार को दें।

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