उत्तर प्रदेश बस मुद्दा: कोरोना और राजनीति के बीच झूलती कई जिंदगियां

प्रवासी श्रमिकों की सहानुभूति की खातिर बसों के इंतजाम को लेकर कांग्रेस और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच छिड़ी जुबानी तकरार लगातार चौथे दिन मंगलवार को भी जारी है।
उत्तर प्रदेश बस मुद्दा: कोरोना और राजनीति के बीच झूलती कई जिंदगियां
उत्तर प्रदेश बस मुद्दा: कोरोना और राजनीति के बीच झूलती कई जिंदगियांPriyanka Sahu -RE

राज एक्‍सप्रेस। लाकडाउन में रोजी रोटी गंवा कर घर वापसी कर रहे प्रवासी श्रमिकों की सहानुभूति की खातिर बसों के इंतजाम को लेकर कांग्रेस और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच छिड़ी जुबानी तकरार लगातार चौथे दिन मंगलवार को भी जारी है।

प्रियंका ने योगी को लिखा पत्र :

पिछले शनिवार को कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर प्रवासी श्रमिकों के लिये एक हजार बसें चलाने की अनुमति मांगी थी। सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने के बावजूद अगले दिन यानी रविवार को कांग्रेस की राजस्थान सरकार ने सीमा पर बसों का बेड़ा खड़ा कर दिया। इस बीच श्रीमती वाड्रा ने एक के बाद एक तीन ट्वीट कर योगी सरकार पर निशाना साधते हुये बसों के संचालन की अनुमति देने को कहा।

देर शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट के जरिये प्रतिक्रिया देते हुये इसे कांग्रेस की कुटिल राजनीति का सूचक बताते हुए कहा कि, सरकार प्रवासी श्रमिकों को सुरक्षित घर पहुंचाने के लिये कटिबद्ध है और इसके लिये बसों का इंतजाम सीमावर्ती जिलों में किया जा चुका है।

बाद में सूबे के अपर मुख्य सचिव गृह ने कांग्रेस से बस का रजिस्ट्रेशन नम्बर, फिटनेस प्रमाणपत्र, चालक परिचालक की सूची मांगी, जिसे कांग्रेस ने सोमवार दोपहर बाद सरकार को भेज दिया गया। कांग्रेस द्वारा भेजी गयी सूची को स्वीकार करते हुये सरकार की तरफ से कहा गया कि, बसों को लखनऊ चालक परिचालक के साथ भेजा जाये।

श्री वाड्रा के निजी सचिव संदीप सिंह ने सोमवार-मंगलवार की रात दो बजे सूबे के अपर मुख्य सचिव गृह को पत्र लिख कर कहा, ''लाकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों के सिलसिले में रविवार शाम चार बजे सरकार ने एक हजार बसों की सूची चालक परिचालक के नाम के साथ मांगी थी जिसे उपलब्ध करा दिया गया है। आपने मंगलवार सुबह दस बजे लखनऊ में बसें उपलब्ध कराने की अपेक्षा की है जबकि प्रवासी गाजियाबाद और नोएडा स्थित दिल्ली सीमा पर फंसे हैं। ऐसे में लखनऊ को बस भेजना समय और संसाधन की बरबादी है और गरीब विरोधी मानसिकता की उपज है। ऐसा लगता नहीं है कि आपकी सरकार श्रमिकों की मदद करना चाहती है।"

इसके जवाब में सरकार की ओर से श्री अवस्थी ने श्रीमती वाड्रा के निजी सचिव को पत्र लिखकर कहा कि, 500 बसें गाजियाबाद के कौशांबी और साहिबाबाद बस अड्डे पर दोपहर 12 बजे तक उपलब्ध करा दें। इसके अलावा 500 बसे गौतमबुद्धनगर को एक्सपो मार्ट के निकट ग्रांउड पर उपलब्ध कराने का कष्ट करें।

पत्र का जवाब देते हुये प्रियंका के सचिव ने कहा कि, सुबह 11 बजकर पांच मिनट पर पत्र मिलने के बाद इतनी जल्दी बस उपलब्ध कराना मुश्किल है क्योंकि दोबारा परमिट दिलाने की कार्यवाही की जा रही है। बसों की संख्या अधिक होने के कारण इसमें कुछ समय लगेगा। आग्रह है कि शाम पांच बजे तक समय देने की कृपा करें और साथ ही सरकार यात्रियों की सूची और रोडमैप तैयार रखे ताकि संचालन में हमे कोई आपत्ति न आये।

दोपहर एक बजे श्रीमती वाड्रा के निजी सचिव ने कांग्रेस के मीडिया ग्रुप में पोस्ट किया कि, बसें बार्डर पर तैयार खड़ी हैं, लेकिन उन्हें प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि, उन्हे ऊपर से कोई आदेश नहीं है। आखिर यह हो क्या रहा है, क्या तानाशाही है? बसों की कतार लगी है मगर घुसने नहीं दे रहे हैं। इसके साथ ही कतारबद्ध बसो का वीडियो भी शेयर किया है।

इस बीच दोपहर तीन बजे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करेंगे। उम्मीद है कि, पत्रकार सम्मेलन का मकसद बस संचालन के विषय से जुड़ा होगा।

डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल न्यूज एजेंसी फीड के आधार पर प्रकाशित किया गया है। सिर्फ शीर्षक में बदलाव किया गया है। अतः इस आर्टिकल अथवा समाचार में प्रकाशित हुए तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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