सुप्रीम कोर्ट से आदेश के बाद पेरारिवलन का परिवार भावुक हुआ
सुप्रीम कोर्ट से आदेश के बाद पेरारिवलन का परिवार भावुक हुआSyed Dabeer Hussain - RE

सुप्रीम कोर्ट से आदेश के बाद पेरारिवलन का परिवार भावुक हुआ

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में आजीवन सजा काट रहे सात दोषियों में शामिल ए. जी. पेरारिवलन की उच्चतम न्यायालय की ओर से बुधवार को रिहाई के आदेश के बाद उनका परिवार भावुक हो गया।

चेन्नई। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में आजीवन सजा काट रहे सात दोषियों में शामिल ए. जी. पेरारिवलन की उच्चतम न्यायालय की ओर से बुधवार को रिहाई के आदेश के बाद उनका परिवार भावुक हो गया।

उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद पेरारिवलन, उनकी मां अर्पुथम्मल, पिता कुइलदासन और उनके परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों की आंखों में आंसू आ गए। शीर्ष न्यायालय ने एक दुर्लभ मामले में संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया। पेरारिवलन 30 से अधिक वर्षों से उम्र कैद की सजा भुगत रहा है।

पेरारिवलन के परिवार के सदस्यों ने मिठाई बांटकर और एक-दूसरे को गले लगाकर उनकी रिहाई के आदेश का जश्न मनाया,उनका परिवार शीर्ष न्यायालय के आदेश के बाद बहुत भावुक हो गया था। पेरारिवलन बीमार पिता की देखरेख के लिए इस समय जमानत पर रिहा हैं।

स्थानीय लोग भी शीर्ष न्यायालय के आदेश के बाद काफी खुश नज़र आए , पेरारिवलन ने खुद लोगों को अपनी रिहाई पर मिठाई बांटी। पेरारिवलन के माता-पिता ने उनकी रिहाई पर खुशी जाहिर की और उन सभी लोगों को धन्यवाद दिया जो लंबी कानूनी लड़ाई में उनके साथ खड़े रहे।

राजनैतिक नेताओं ने कहा, "यह अपने बेटे की सुरक्षित रिहा कराने के लिए एक मां की तीन दशक की लंबी कानूनी लड़ाई की जीत है।" पेरारिवलन के पिता कुइलदासन ने संवाददाताओं से कहा,'' मैं शीर्ष न्यायालय के फैसले से बुहत खुश हूं।

मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने हमारी लंबी कानूनी लड़ाई में हमारा साथ दिया। पेरारिवलन की मां अर्पुथम्मल ने संवाददाताओं से कहा, "उनके बेटे की रिहाई के लिए 31 साल की लंबी लड़ाई आज सफल हुई है। मेरे पास शब्द नहीं है... मुझे नहीं पता कि क्या कहना है।"

उन्होंने तमिलनाडु सरकार और मुख्यमंत्री एम.के.स्टालिन को पैरोल देने के लिए और उच्च न्यायालय को जमानत पर रिहा करने के लिए धन्यवाद दिया। इसके अलावा उन्होंने उन सभी राजनीतिक दलों को उनके पुत्र की रिहाई के लिए समर्थन देने के लिए धन्यवाद दिया।

पेरारिवलन ने पत्रकारों से कहा, "सच्चाई और न्याय हमारे साथ है। मेरे इस दृढ़ विश्वास ने कि मैंने कोई गलत काम नहीं किया, मुझे और मेरी मां को इस कानूनी लड़ाई को जीतने की ताकत दी। मेरी मां मेरी ताकत थीं और इन्होंने हमें इस कानूनी लड़ाई को जीतने में मदद की।" उन्होंने मीडिया, पुलिस और उनका समर्थन करने वालों का भी शुक्रिया अदा किया।

शीर्ष न्यायालय के फैसले का एमडीएमके महासचिव और राज्य सभा सांसद वाइको, माकपा नेता डी.राजा और मुथारासन, कांग्रेस नेता सु तिरुनावुक्कारासर, माकपा नेताओं, भाजपा के राज्य प्रमुख के.अन्नामलाई, तमिल राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता पाझा नेदुमारन सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने सराहना की है।

उन्होंने यह भी मांग की कि शेष छह दोषियों को भी उच्चतम नयायालय के आदेश के अनुरूप रिहा किया जाना चाहिए, पेरारिवलन का आदेश उन पर भी लागू होता है।

अन्य दोषियों में नलिनी, टी. सुतेद्रराजा उर्फ ​​संथान, श्रीहरन उर्फ ​​मुरुगन (नलिनी का पति), ए.जी. पेरारिवलन उर्फ ​​अरिवु, रॉबर्ट पायस, एस. जयकुमार उर्फ ​​जयकुमारन और रविचंद्रन उर्फ ​​रवि पिछले 30 साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं। संथान, मुरुगन, पायस और जयकुमार श्रीलंकाई तमिल हैं।

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