Constitution Day 2021: संविधान दिवस कार्यक्रम में PM मोदी का भाषण, कही ये बड़ी बातें
Constitution Day 2021: हर भारतीय नागरिक के लिए हर साल की आज की तारीख यानी 26 नवंबर का दिन बेहद खास होता है। दरअसल, हर साल देश में 26 नवबंर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर पार्लियामेंट के सेंट्रल हॉल में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला शामिल हुए।
संविधान दिवस कार्यक्रम में ओम बिरला का संबोधन :
71वें संविधान दिवस कार्यक्रम को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया। पहले ओम बिरला ने अपने संबोधन में कहा- भारतीय संविधान मात्र क़ानूनी मार्गदर्शन की व्यवस्था तक ही सीमित नहीं है बल्कि सामाजिक आर्थिक परिवर्तन का दस्तावेज भी है। संविधान का निर्माण करने वाले महान संविधान मनुष्यों को मैं नमन करता हूं।
संविधान दिवस कार्यक्रम में PM मोदी का संबोधन :
इसके बाद संविधान दिवस पर संसद के सेंट्रल हॉल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक विशिष्ट सभा को संबोधित कर कहा- आज पूज्य बापू को भी नमन करना है। आजादी के आंदोलन में जिन-जिन लोगों ने बलिदान दिया, उन सबको भी नमन करने का है। देश के वीर जवानों ने आतंकवादियों से लोहा लेते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया। आज उन बलिदानियों को भी नमन करता हूं। आज 26/11 हमारे लिए एक ऐसा दुखद दिवस है, जब देश के दुश्मनों ने देश के भीतर आकर मुंबई में आतंकवादी घटना को अंजाम दिया। हमारा संविधान ये सिर्फ अनेक धाराओं का संग्रह नहीं है, हमारा संविधान सहस्त्रों वर्ष की महान परंपरा, अखंड धारा उस धारा की आधुनिक अभिव्यक्ति है।
इस संविधान दिवस को इसलिए भी मनाना चाहिए, क्योंकि हमारा जो रास्ता है, वह सही है या नहीं है, इसका मूल्यांकन करने के लिए मनाना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
बाबासाहेब अम्बेडकर की 125वीं जयंती थी, हम सबको लगा इससे बड़ा पवित्र अवसर क्या हो सकता है कि बाबासाहेब अम्बेडकर ने जो इस देश को जो नजराना दिया है, उसको हम हमेशा एक स्मृति ग्रंथ के रूप में याद करते रहें।
योग्यता के आधार पर एक परिवार से एक से अधिक लोग जाएं, इससे पार्टी परिवारवादी नहीं बन जाती है। लेकिन एक पार्टी पीढ़ी दर पीढ़ी राजनीति में है।
भारत एक ऐसे संकट की तरफ़ बढ़ रहा है, जो संविधान को समर्पित लोगों के लिए चिंता का विषय है, लोकतंत्र के प्रति आस्था रखने वालों के लिए चिंता का विषय है और वह है पारिवारिक पार्टियां।
संविधान की भावना को भी चोट पहुंची है, संविधान की एक-एक धारा को भी चोट पहुंची है, जब राजनीतिक दल अपने आप में अपना लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो देते हैं। जो दल स्वयं लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो चुके हों, वो लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं।
महात्मा गांधी जी ने जो कर्तव्य के बीज बोए थे, आजादी के बाद वो वट वृक्ष बन जाने चाहिए थे, लेकिन दुर्भाग्य से शासन व्यवस्था ऐसी बनी कि उसने अधिकार, अधिकार की बातें करके लोगों को एक अवस्था में रखा कि 'हम हैं तो आपके अधिकार पूरे होंगे'।
महात्मा गांधी ने आजादी के आंदोलन में आधिकारों को लिए लड़ते हुए भी, कर्तव्यों के लिए तैयार करने की कोशिश की थी। अच्छा होता अगर देश के आजाद होने के बाद कर्तव्य पर बल दिया गया होता।
आजादी के अमृत महोत्सव में हमारे लिए आवश्यक है कि कर्तव्य के पथ पर आगे बढ़ें ताकि अधिकारों की रक्षा हो।
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