प्रबुद्ध भारत के 125वें वार्षिकोत्सव समारोह में प्रधानमंत्री का संबोधन

स्वामी विवेकानंद द्वारा शुरू की गई रामकृष्ण मिशन की मासिक पत्रिका 'प्रबुद्ध भारत' के 125वें वार्षिकोत्सव समारोह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया। जानें उनके संबोधन की प्रमुख बातें...
प्रबुद्ध भारत के 125वें वार्षिकोत्सव समारोह में प्रधानमंत्री का संबोधन
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दिल्‍ली, भारत। आज रविवार (31 जनवरी) को स्वामी विवेकानंद द्वारा शुरू की गई रामकृष्ण मिशन की मासिक पत्रिका 'प्रबुद्ध भारत' के 125वें वार्षिकोत्सव समारोह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया।

PM ने स्वामी विवेकानंद को किया याद :

प्रबुद्ध भारत की पत्रिका के 125वें वार्षिकोत्सव में स्वामी विवेकानंद को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- स्वामी विवेकानंद भारत को प्रबुद्ध और जागृत बनाना चाहते थे। उनके अंदर गरीबों के प्रति सहानुभूति थी। वे मानते थे कि गरीबी सारी समस्या की जड़ है, इसलिए गरीबी को राष्ट्र से खत्म करना होगा।

अगर गरीब बैंकों तक नहीं पहुंच सकते तो बैंकों को गरीबों तक पहुंचाया जाए। यही 'जन धन योजना' ने किया। अगर गरीब स्वास्थ्य सेवाओं तक नहीं पहुंच सकते तो स्वास्थ्य सेवाओं को गरीबों तक पहुंचाया जाए, यही 'आयुष्मान भारत योजना' ने किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे ये भी कहा- स्वामी विवेकानंद ने हमारे राष्ट्र की भावना को प्रकट करने के लिए इस पत्रिका का नाम प्रबुद्ध भारत रखा। वह जागृत भारत बनाना चाहता था। स्वामी विवेकानंद ने भारत को एक ऐसी सांस्कृतिक चेतना के रूप में देखा, जो सदियों से चली आ रही है और सांस ले रही है, एक ऐसा भारत जो विपरीत भविष्यवाणियों के बावजूद हर चुनौती के बाद मजबूत हुआ।

भारत के लिए स्वामी जी के थे बड़े सपने :

इस दौरान PM मोदी ने बताया- स्वामी जी के भारत के लिए बड़े सपने थे, क्योंकि उन्हें भारत के युवाओं पर अटूट विश्वास था। उन्होंने उन्हें कौशल और आत्मविश्वास के पावरहाउस के रूप में देखा। उन्होंने कहा था-

मुझे 100 ऊर्जावान नौजवान दीजिए और मैं भारत को बदल दूंगा।

PM मोदी ने अपने पूरे संबोधन में स्‍वामी विवेकानंद का जिक्र किया। आगे उन्‍होंने ये भी कहा कि, ''व्यावहारिक वेदांत में अपने व्याख्यान में, वह कुछ गहरी अंतर्दृष्टि लाता है। वह असफलताओं पर काबू पाने और उन्हें सीखने की अवस्था के एक भाग के रूप में देखने की बात करता है। जो कुछ भी उन्होंने किया, वह आत्म-विश्वास के साथ आगे बढ़ा।''

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