देहरादून को PM मोदी ने विकास परियोजनाओं की दी सौगात एवं जनसभा को किया संबोधित

उत्तराखंड के देहरादून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज करोड़ों की विकास परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास कर सौगात दी है, साथ ही जनसभा को संबोधित कर कही ये बातें...
देहरादून को PM मोदी ने विकास परियोजनाओं की दी सौगात
देहरादून को PM मोदी ने विकास परियोजनाओं की दी सौगातSocial Media

उत्तराखंड, भारत। उत्तराखंड के देहरादून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 18 हजार करोड़ रूपये की 18 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। इस दौरान उन्‍होंने जनसभा को भी संबोधित किया।

उत्तराखंड पूरी देश की आस्था ही नहीं, कर्म और कठोरता की भूमि है :

देहरादून में जनसभा को संबोधित कर PM मोदी ने कहा- उत्तराखंड पूरी देश की आस्था ही नहीं, बल्कि कर्म और कठोरता की भी भूमि है। इसलिए इस क्षेत्र का विकास, इस क्षेत्र को भव्य स्वरूप देना, डबल इंजन की सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस शताब्दी की शुरुआत में, अटल जी ने भारत में कनेक्टिविटी बढ़ाने का अभियान शुरू किया था, लेकिन उनके बाद 10 साल देश में ऐसी सरकार रही, जिसने देश का, उत्तराखंड का, बहुमूल्य समय व्यर्थ कर दिया।

10 साल तक देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर घोटाले हुए, घपले हुए। इससे देश का जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई के लिए हमने दोगुनी गति से मेहनत की और आज भी कर रहे हैं। आज भारत, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश के इरादे से आगे बढ़ रहा है। आज भारत की नीति, गतिशक्ति की है, दोगुनी-तीन गुनी तेजी से काम करने की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

PM मोदी द्वारा कही गई बातें-

  • 21वीं सदी के कालखंड में भारत में कनेक्टविटी का ऐसा महायज्ञ चल रहा है, जो भविष्य के भारत को विकसित देशों के श्रंखला में लाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा। इस महायज्ञ का एक यज्ञ आज देवभूमि में हो रहा है।

  • केदारनाथ त्रासदी से पहले, 2012 में 5 लाख 70 हजार लोगों ने दर्शन किये थे। ये उस समय एक रिकॉर्ड था। जबकि कोरोना काल शुरू होने से पहले, 2019 में 10 लाख से ज्यादा लोग केदारनाथ जी के दर्शन करने पहुंचे थे।

  • आज मुझे बहुत खुशी है कि दिल्ली-देहरादून इकॉनॉमिक कॉरिडोर का शिलान्यास हो चुका है। जब ये बनकर तैयार हो जाएगा तो, दिल्ली से देहरादून आने-जाने में जो समय लगता है, वो करीब-करीब आधा हो जाएगा।

  • हमारे पहाड़, हमारी संस्कृति, आस्था के गढ़ तो हैं ही, ये हमारे देश की सुरक्षा के भी किले हैं। पहाड़ों में रहने वालों का जीवन सुगम बनाना देश की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।

  • साल 2007 से 2014 के बीच जो केंद्र की सरकार थी, उसने सात साल में उत्तराखंड में केवल 288 किलोमीटर नेशनल हाईवे बनाए। जबकि हमारी सरकार ने अपने सात साल में उत्तराखंड में 2 हजार किलोमीटर से अधिक लंबाई के नेशनल हाईवे का निर्माण किया है।

  • पहले की सरकार ने उत्तराखंड में नेशनल हाईवे पर 7 साल में 600 करोड़ के आस पास खर्च किया। हमारी सरकार ने 7 साल में नेशनल हाईवे पर 12,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर चुकी है।

  • सीमावर्ती पहाड़ी क्षेत्रों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी पहले की सरकारों ने उतनी गंभीरता से काम नहीं किया, जितना करना चाहिए था। बॉर्डर के पास सड़कें बनें, पुल बनें, इस ओर उन्होंने ध्यान नहीं दिया।

  • वन रैंक वन पेंशन हो, आधुनिक अस्त्र-शस्त्र हो, आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देना हो, जैसे उन लोगों ने हर स्तर पर सेना को हतोत्साहित करने की कसम खा रखी थी। आज जो सरकार है वो दुनिया के किसी देश के दबाव में नहीं आ सकती।

  • एक समय था जब पहाड़ पर रहने वाले लोग विकास की मुख्यधारा से जुड़ने का सपना ही देखते रहते थे, इसमें पीढ़ियां बीत जाती थीं। लेकिन जब कुछ करने का जुनून हो तो सूरत भी बदलती है और सीरत भी बदलती है। आपका ये सपना पूरा करने के लिए हम दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।

  • टीकाकरण के मामले में आज उत्तराखंड देश के अग्रणी राज्यों में है। इसके लिए मैं पुष्कर सिंह धामी जी, उनके साथियों और पूरी उत्तराखंड की सरकार को बधाई देता हूं।

  • डबल इंजन की सरकार में उत्तराखंड के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी तेजी से काम चल रहा है। उत्तराखंड में तीन नए मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए गए हैं। ऋषिकेश एम्स तो सेवा दे ही रहा है, कुमाऊं में भी सेटेलाइट सेंटर सेवा देना शुरु कर देगा।

  • कुछ राजनीतिक दलों द्वारा समाज में भेद करके सिर्फ एक तबके को, चाहे वो अपनी जाति का हो, किसी खास धर्म का हो या अपने छोटे से इलाके के दायरे का हो, इसी पर ध्यान देना यही प्रयास हुए हैं और उसमें ही उनको अपना वोट बैंक नजर आता है।

  • देश के सामान्य मानवी का स्वाभिमान, उसका गौरव सोची-समझी रणनीति के तहत कुचल दिया गया, उसे आश्रित बना दिया गया। लेकिन इस अप्रोच से अलग हमने अलग रास्ता चुना है। वो मार्ग कठिन है, लेकिन देशहित में है। हमारा मार्ग है, सबका साथ-सबका विकास।

  • हमने कहा कि, जो भी योजनाएं लाएंगे सबके लिए लाएंगे, बिना भेदभाव के लाएंगे। हमने वोटबैंक की राजनीति को आधार नहीं बनाया बल्कि लोगों की सेवा को प्राथमिकता दी। हमारी अप्रोच रही कि देश को मजबूती देनी है।

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