कर्नाटक के कोडेकल में PM मोदी ने विकास परियोजनाओं का किया शिलान्यास और लोकार्पण
कर्नाटक, भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज गुरूवार को कर्नाटक दौरे पर है। इस मौके पर उन्होंने यादगिरि, कोडेकल में विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन कर राज्य को बड़ी सौगात दी है। यहां उन्होंने सिंचाई, पेयजल और राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजनाओं से संबंधित विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी मौजूद रहे।
यादगिरि की ऐतिहासिक और विरासत भूमि को नमन :
तो वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यादगिरि जिले में नारायणपुर लेफ्ट बैंक नहर- विस्तार, नवीनीकरण और आधुनिकीकरण परियोजना का उद्घाटन किया। राज्य को विकास परियोजनाओं की सौगात देने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा- दोस्तो आपका आशीर्वाद ही हमारी ताकत है। यादगिरि का एक महान इतिहास है और इसमें अद्भुत स्मारक हैं और समृद्ध संस्कृति और परंपराएं हैं। इस जगह पर राजा वेंकटप्पा नायक का महान शासन इतिहास में एक अद्भुत निशान छोड़ गया है। मैं यादगिरि की ऐतिहासिक और विरासत भूमि को नमन करता हूं।
सूरत-चेन्नई इकोनॉमी कॉरिडोर का हिस्सा जो कर्नाटक में पड़ता है, उस पर भी आज काम शुरू हुआ है। इससे यादगिर, रायचूर और कलबुर्गी सहित इस पूरे क्षेत्र में 'ईज ऑफ डूइंग' भी बढ़ेगी और रोजगारों को बल मिलेगा। विकास के इन सभी प्रोजेक्ट्स के लिए कर्नाटक के लोगों को बहुत-बहुत बधाई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
आजादी के 'अमृतकाल' में हमें विकसित भारत का निर्माण करना है। भारत विकसित तब हो सकता है, जब देश का हर नागरिक, हर परिवार, हर राज्य इस अभियान से जुड़े।
चल रही विकासात्मक परियोजनाएँ न केवल यादगीर, कालाबुरागी और रायचूर के क्षेत्रों में जीवन को आसान बनाएंगी बल्कि उनमें रोजगार को भी मजबूत करेंगी। इसके लिए मैं कर्नाटक की जनता को हृदय से बधाई देता हूं।
उत्तर कर्नाटक में जिस तरह से विकास कार्य हो रहा है वह काबिले तारीफ है। जैसा कि भारत ने अपनी आजादी के 75 साल पूरे कर लिए हैं, अब समय आ गया है कि वह आने वाले समय में और अधिक मजबूत हौसलों के साथ आगे बढ़े।
हमारी सरकार ने यादगीर सहित देश के 100 से अधिक ऐसे जिलों में आकांक्षी जिला कार्यक्रम शुरु किया। हमने इन जिलों में सुशासन पर बल दिया। विकास के हर पैमाने पर काम शुरु किया ।
अगले 25 साल हर नागरिक के लिए, हर राज्य के लिए 'अमृत काल' हैं। भारत सही मायनों में विकसित देश बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा; और यह सभी के सामूहिक मार्च से ही साकार होगा - किसानों से लेकर व्यापारियों तक - सभी को आगे आना चाहिए और अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए। भारत तभी 'विकसित' बन सकता है, जब 'खेत' और 'कारखाने' दोनों समृद्ध हों।
हमारे देश में दशकों तक करोड़ों छोटे किसान भी हर सुख-सुविधा से वंचित रहे, सरकारी नीतियों में उनका ध्यान तक नहीं रखा गया। आज यही छोटे किसान देश की कृषि नीति की सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
केंद्र सरकार ने भी इन 8 वर्षों में किसानों से 80 गुना दाल MSP पर खरीदी है। 2014 से पहले दाल के लिए किसानों को 100 करोड़ रुपए मिलते थे तो वहीं हमारी सरकार ने दाल किसानों को 60 हजार करोड़ा रुपए दिए हैं। यादगिर दाल का कटोरा है, यहां की दालें देश भर में पहुंचती हैं। पिछले 7-8 वर्षों में अगर भारत ने दालों के लिए विदेशी निर्भरता को कम किया है तो इसमें उत्तर कर्नाटक के किसानों की बहुत बड़ी भूमिका है।
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