Mann Ki Baat में PM मोदी ने आने वाले पर्वों की बधाई देते हुए इन मुद्दों पर रखें विचार
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Mann Ki Baat में PM मोदी ने आने वाले पर्वों की बधाई देते हुए इन मुद्दों पर रखे विचार

Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम का आज 80 वां एपिसोड है, वे राष्ट्र को संबोधित कर इन मुद्दों पर साझा किए विचार...

Mann Ki Baat: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर माह के आखिरी रविवार को अपने साप्‍ताहिक प्रसिद्ध रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के माध्यम से राष्ट्र को संबोधित करते आ रहे हैं। इसी तरह आज अगस्‍त माह का अंतिम रविवार है और इस बार PM मोदी का मन की बात कार्यक्रम का 80 वां एपिसोड है। PM मोदी द्वारा आज 29 अगस्‍त को मन की बात के 80वें एपिसोड के जरिए तय समय के अनुसार, यानी सुबह 11 बजे देश को संबोधित किया।

मन की बात मेजर ध्यानचंद को श्रद्धांजलि के साथ शुरू :

मन की बात कार्यक्रम के जरिए PM नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए सबसे पहले मेजर ध्यानचंद को याद करते हुए कहा- हम सबको पता है आज मेजर ध्यानचंद जी की जन्म जयंती है। और हमारा देश उनकी स्मृति में इसे राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाता भी है। क्योंकि दुनिया में भारत की हॉकी का डंका बजाने का काम ध्यानचंद जी की हॉकी ने किया था। कितने ही पदक क्यों न मिल जाएं, लेकिन जब तक हॉकी में पदक नहीं मिलता भारत का कोई भी नागरिक विजय का आनंद नहीं ले सकता है और इस बार ओलंपिक में हॉकी का पदक मिला, चार दशक के बाद मिला। आप कल्‍पना कर सकते है मेजर ध्‍यानचंद जी के दिल पर उनकी आत्‍मा पर वो जहां होंगे, वहां कितनी प्रसन्‍नता होती होगी।

खेल-कूद को लेकर PM मोदी के मन की बात के विचार :

मन की बात के दौरान PM मोदी ने खेल-कूद का जिक्र करते हुुए कहा, ''जब खेल-कूद की बात होती है न, तो स्वाभाविक है हमारे सामने पूरी युवा पीढ़ी नजर आती है और जब युवा पीढ़ी की तरफ गौर से देखते हैं कितना बड़ा बदलाव नजर आ रहा है। युवा का मन बदल चुका है। आज का युवा मन बने बनाए रास्तों पर चलना नहीं चाहता है। वो नए रास्ते बनाना चाहता है। unknown जगह पर कदम रखना चाहता है। मंजिल भी नयी, लक्ष्य भी नए, राह भी नयी और चाह भी नयी, अरे एक बार मन में ठान लेता हैं न युवा, जी-जान से जुट जाता है। दिन-रात मेहनत कर रहा है।''

हम देखते हैं, अभी कुछ समय पहले ही भारत ने अपने स्पेस सेक्टर को ओपन किया और देखते ही देखते युवा पीढ़ी ने उस मौके को पकड़ लिया और इसका लाभ उठाने के लिए कॉलेजों के स्टूडेंट्स, यूनिवर्सिटी, प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले नौजवान बढ़-चढ़ करके आगे आए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

  • हमारे आज के युवा का मन बदल चुका है। आज छोटे-छोटे शहरों में भी start-up culture का विस्तार हो रहा है और मैं उसमें उज्जवल भविष्य के संकेत देख रहा हूँ।

  • अभी कुछ दिन पहले ही हमारे देश में खिलौनों की चर्चा हो रही थी। देखते ही देखते जब हमारे युवाओं के ध्यान में ये विषय आया उन्होंने भी मन में ठान लिया कि दुनिया में भारत के खिलौनों की पहचान कैसे बने।

  • खिलौने कैसे बनाना, खिलौने की विविधता क्या हो, खिलौनों में टेक्नोलॉजी क्या हो, चाइल्ड साइकोलॉजी के अनुरूप खिलौने कैसे हो.. आज हमारे देश का युवा उसकी ओर ध्यान केन्द्रित कर रहा है, कुछ कंट्रीब्यूट करना चाहता है।

  • मेरे देश का युवा मन अब सर्वश्रेष्ठ की तरफ अपने आपको केन्द्रित कर रहा है। सर्वोत्तम करना चाहता है, सर्वोत्तम तरीके से करना चाहता है। ये भी राष्ट्र की बहुत बड़ी शक्ति बनकर उभरेगा।

  • इस बार ओलिंपिक ने बहुत बड़ा प्रभाव पैदा किया है। ओलिंपिक के खेल पूरे हुए अभी पैरालिंपिक चल रहा है। देश को हमारे इस खेल जगत में जो कुछ भी हुआ, विश्व की तुलना में भले कम होगा, लेकिन विश्वास भरने के लिए तो बहुत कुछ हुआ।

  • मेरे प्यारे नौजवानों, हमें, इस अवसर का फायदा उठाते हुए अलग-अलग प्रकार के sports में महारत भी हासिल करनी चाहिए। गाँव-गाँव खेलों की स्पर्धाएँ निरंतर चलती रहनी चाहिये।

  • आईये, हम सभी देशवासी इस momentum को जितना आगे बढ़ा सकते हैं, जितना योगदान हम दे सकते हैं, ‘सबका प्रयास’ इस मंत्र से साकार करके दिखाएँ।

  • अब देश में खेल, खेल-कूद, sports, sportsman spirit अब रुकना नहीं है। इस momentum को पारिवारिक जीवन में, सामाजिक जीवन में, राष्ट्र जीवन में स्थायी बनाना है - ऊर्जा से भर देना है, निरन्तर नयी ऊर्जा से भरना है

स्वच्छ भारत की रैंकिंग में शीर्ष पर बना हुआ है इंदौर :

पीएम मोदी ने कहा कि, "राष्ट्र निर्माण के लिए सबके प्रयास हमें प्रेरणा देते हैं। हम यह जानते हैं जब भी स्वच्छ भारत का नाम आता है तो इंदौर का नाम आता ही आता है। इंदौर कई वर्षों से स्वच्छ भारत की रैंकिंग में शीर्ष पर बना हुआ है। कोरोना संकट काल में मुझे स्वच्छता को लेकर जितनी बात होनी चाहिए थी, उसमें कुछ कमी रह गई। इंदौर के नागरिकों ने नालियों को सीवर लाइंस से जोड़ा है, स्वच्छता अभियान भी चलाया है। इस वजह से सरस्वती और कान नहीं में गिरने वाला गंदा पानी काफी कम हुआ है।"

जन्माष्टमी महापर्व पर PM के मन की बात :

कल जन्माष्टमी का महापर्व है, इस दौरान PM मोदी ने मन की बात में कहा- कल जन्माष्टमी का महापर्व भी है। जन्माष्टमी का ये पर्व यानी, भगवान श्री कृष्ण के जन्म का पर्व। हम भगवान के सब स्वरूपों से परिचित हैं, नटखट कन्हैया से ले करके विराट रूप धारण करने वाले कृष्ण तक, शास्त्र सामर्थ्य से ले करके शस्त्र सामर्थ्य वाले कृष्ण तक। कला हो, सौन्‍दर्य हो, माधुर्य हो, कहां-कहां कृष्‍ण हैं।

  • सोमनाथ मंदिर से 3-4 किलोमीटर दूरी पर ही भालका तीर्थ है, ये भालका तीर्थ वो है जहाँ भगवान श्री कृष्ण ने धरती पर अपने अंतिम पल बिताये थे। एक प्रकार से इस लोक की उनकी लीलाओं का वहाँ समापन हुआ था।

  • हम अपने पर्व मनाएँ, उसकी वैज्ञानिकता को समझे, उसके पीछे के अर्थ को समझे। इतना ही नहीं हर पर्व में कोई न कोई सन्देश है, कोई-न-कोई संस्कार है। हमें इसे जानना भी है, जीना भी है और आने वाली पीढ़ियों के लिए विरासत के रूप में उसे आगे बढ़ाना भी है।

हमारी संस्कृत भाषा सरस भी है, सरल भी है। संस्कृत अपने विचारों, अपने साहित्य के माध्यम से ये ज्ञान विज्ञान और राष्ट्र की एकता का भी पोषण करती है, उसे मजबूत करती है। संस्कृत साहित्य में मानवता और ज्ञान का ऐसा ही दिव्य दर्शन है जो किसी को भी आकर्षित कर सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

मन की बात में PM मोदी द्वारा कही गईं प्रमुख बातें-

  • हाल के दिनों में जो प्रयास हुए हैं, उनसे संस्कृत को लेकर एक नई जागरूकता आई है। अब समय है कि इस दिशा में हम अपने प्रयास और बढ़ाएं।

  • अगर आप इस तरह के प्रयास में जुटे ऐसे किसी भी व्यक्ति को जानते हैं, ऐसी किसी जानकारी आपके पास है तो कृपया संस्कृत का उत्सव मनाने के साथ सोशल मीडिया पर उनसे संबंधित जानकारी जरुर साझा करें।

  • अगले कुछ दिनों में ही ‘विश्वकर्मा जयंती’ भी आने वाली है। भगवान विश्वकर्मा को हमारे यहाँ विश्व की सृजन शक्ति का प्रतीक माना गया है।

  • हमारे शास्त्रों में ये भी कहा गया है – विश्वस्य कृते यस्य कर्मव्यापारः सः विश्वकर्मा। अर्थात, जो सृष्टि और निर्माण से जुड़े सभी कर्म करता है वह विश्वकर्मा है, लेकिन साथियों इसका एक और पहलू भी है और वो कभी-कभी चिंता भी कराता है, जिस देश में, जहाँ की संस्कृति में, परंपरा में, सोच में, हुनर को, skill manpower को भगवान विश्वकर्मा के साथ जोड़ दिया गया हो, वहाँ स्थितियाँ कैसे बदल गईं।

  • हमें हुनर को सम्मान देना होगा, हुनरमंद होने के लिए मेहनत करनी होगी। हुनरमंद होने का गर्व होना चाहिए।

  • आइये, इस बार हम भगवान विश्वकर्मा की पूजा पर आस्था के साथ-साथ उनके संदेश को भी अपनाने का संकल्प करें। हमारी पूजा का भाव यही होना चाहिए कि हम skill के महत्व को समझेंगे और skilled लोगों को, चाहे वो कोई भी काम करता हो, उन्हें पूरा सम्मान भी देंगे।

  • देश में 62 करोड़ से ज्यादा vaccine की dose दी जा चुकी हैं लेकिन फिर भी हमें सावधानी रखनी है, सतर्कता रखनी है और हाँ, हमेशा की तरह, जब भी आप कुछ नया करें, नया सोचें, तो उसमें मुझे भी जरूर शामिल करिएगा। मुझे आपके पत्र और messages का इंतज़ार रहेगा। इसी कामना के साथ, आप सभी को आने वाले पर्वों की एक बार फिर ढेरों बधाइयाँ।

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