हिमाचल में PM मोदी के पहनावे ने किया ध्‍यान आकर्षित- भाषण की खास बातें

हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में 'अटल टनल' के उद्घाटन समारोह में PM मोदी के पहनावे ने सभी का ध्यान किया आकर्षित, इस दौरान PM ने अपने संबोधन में क्‍या खास बातें कही, आइये जानें...
हिमाचल में PM मोदी के पहनावे ने किया ध्‍यान आकर्षित- भाषण की खास बातें
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हिमाचल प्रदेश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज हिमाचल प्रदेश के रोहतांग पहुंंचे, यहां उन्‍होंने दुनिया की सबसे ऊंची और सबसे बड़ी सुरंग 'अटल टनल' का उद्घाटन किया। हिमाचल प्रदेश में PM मोदी हिमाचल प्रदेश के लुक में ही नजर आए, इस दौरान उनके पहनावे ने सभी का ध्यान आकर्षित किया।

दरअसल, इस तरह के पहनावे को हिमाचल में अक्सर शुभ अवसर और त्योहारों पर देखा जाता है। इसी के चलते आज लाहौल घाटी के बाशिंदों के लिए बड़ा दिन है। वहीं 'अटल टनल' का उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर पर पहाड़ी इलाकों में पहनी जाने वाली कढ़ाई वाली टोपी, कुर्ते के ऊपरी हिस्से में भी कढ़ाई थी।

दशकों पुराना इंतजार खत्म :

लाहौल घाटी के बाशिंदों के लिए आज बड़ा दिन है, 'अटल टनल' के उद्घाटन समारोह के बाद PM मोदी ने अपने संबोधन में कई महत्‍वपूर्ण बातें कहीं, सबसे पहले PM मोदी ने कहा, आज का दिन बहुत ऐतिहासिक है। आज सिर्फ अटल जी का ही सपना पूरा नहीं हुआ है। आज हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों का दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है। मेरा सौभाग्य है कि मुझे आज अटल टनल के लोकार्पण का अवसर मिला है। अक्सर लोकार्पण की चकाचौंध में वो लोग कहीं पीछे रह जाते हैं, जिनके परिश्रम से ये सब संभव हुआ है। अभेद्य पीर पंजाल को भेदकर एक बहुत कठिन संकल्प को आज पूरा किया गया है।

इस महायज्ञ में अपना पसीना बहाने वाले, अपनी जान जोखिम में डालने वाले, मेहनतकश जवानों, इंजीनियरों और मजदूर भाई बहनों को मैं नमन करता हूं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

PM मोदी ने आगे कहा, ''इस टनल से मनाली और केलॉन्ग के बीच की दूरी 3-4 घंटे कम हो ही जाएगी। पहाड़ के मेरे भाई-बहन समझ सकते हैं कि पहाड़ पर 3-4 घंटे की दूरी कम होने का मतलब क्या होता है। हमेशा से यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की मांग उठती रही हैं, लेकिन लंबे समय तक हमारे यहां बॉर्डर से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट या तो प्लानिंग की स्टेज से बाहर ही नहीं निकल पाए या जो निकले वो अटक गए, लटक गए, भटक गए।''

PM मोदी द्वारा कही गई प्रमुख बातें :

  • साल 2002 में अटल जी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था। अटल जी की सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया। हालात ये थी कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर का काम हो पाया था।

  • एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस रफ्तार से 2014 में अटल टनल का काम हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जाकर पूरा हो पाती। आपकी आज जो उम्र है, उसमें 20 वर्ष और जोड़ लीजिए, तब जाकर लोगों के जीवन में ये दिन आता, उनका सपना पूरा होता।

  • जब विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ना हो, जब देश के लोगों के विकास की प्रबल इच्छा हो, तो रफ्तार बढ़ानी ही पड़ती है। अटल टनल के काम में भी 2014 के बाद, अभूतपूर्व तेजी लाई गई।

  • नतीजा ये हुआ कि जहां हर साल पहले 300 मीटर सुरंग बन रही थी, उसकी गति बढ़कर 1400 मीटर प्रति वर्ष हो गई। सिर्फ 6 साल में हमने 26 साल का काम पूरा कर लिया।

  • अटल टनल की तरह ही अनेक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स के साथ ऐसा ही व्यवहार किया गया। लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी के रूप में सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण एयर स्ट्रिप 40-45 साल तक बंद रही। क्या मजबूरी थी, क्या दबाव था, मैं इसके विस्तार में नहीं जाना चाहता।

अटल जी के साथ ही एक और पुल का नाम जुड़ा है- कोसी महासेतु का। बिहार में कोसी महासेतु का शिलान्यास भी अटल जी ने ही किया था। 2014 में सरकार में आने के बाद कोसी महासेतु का काम भी हमने तेज करवाया। कुछ दिन पहले ही कोसी महासेतु का भी लोकार्पण किया जा चुका है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

PM ने कहा-हमारी सरकार के फैसले साक्षी हैं :

  • Border Infrastructure के विकास के लिए पूरी ताकत लगा दी गई है। सड़क बनाने का काम हो, पुल बनाने का काम हो, सुरंग बनाने का काम हो, इतने बड़े स्तर पर देश में पहले कभी काम नहीं हुआ। इसका बहुत बड़ा लाभ सामान्य जनों के साथ ही हमारे फौजी भाई-बहनों को भी हो रहा है।

  • हमारी सरकार के फैसले साक्षी हैं कि जो कहते हैं, वो करके दिखाते हैं। देश हित से बड़ा, देश की रक्षा से बड़ा हमारे लिए और कुछ नहीं, लेकिन देश ने लंबे समय तक वो दौर भी देखा है जब देश के रक्षा हितों के साथ समझौता किया गया।

  • देश में ही आधुनिक अस्त्र-शस्त्र बने, Make In India हथियार बनें, इसके लिए बड़े रिफॉर्म्स किए गए हैं। लंबे इंतज़ार के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अब हमारे सिस्टम का हिस्सा है। देश की सेनाओं की आवश्यकताओं के अनुसार Procurement और Production दोनों में बेहतर समन्वय स्थापित हुआ है।

इस लिंक पर क्लिक कर जानें दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग 'अटल सुरंग' में क्या-क्या खास है।

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