दिल्ली में PM नरेंद्र मोदी ने वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का किया उद्घाटन
दिल्ली, भारत। दिल्ली में आज गुरुवार को 'विश्व बौद्ध शिखर सम्मेलन' के उद्घाटन सत्र का आयोजन हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिस्सा लिया और वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया।
भगवान बुद्ध का विस्तारपूरी मानवता को एक सूत्र में जोड़ता है :
'विश्व बौद्ध शिखर सम्मेलन' के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- बुद्ध व्यक्ति से आगे बढ़ कर एक बोध हैं, बुद्ध स्वरूप से आगे बढ़कर एक सोच हैं, बुद्ध चित्रण से आगे बढ़कर एक चेतना हैं और बुद्ध की ये चेतना चिरंतर है निरंतर है... यह सोच शाश्वत है, ये बोध अविस्मरणीय है। इसलिए आज जितने भी अलग-अलग देशों से, भौगोलिक-सांस्कृतिक परिवेश से लोग यहां एक साथ उपस्थित हैं। यही भगवान बुद्ध का वो विस्तार है जो पूरी मानवता को एक सूत्र में जोड़ता है।
ग्लोबल बुद्धिस्ट समिट का आयोजन ऐसे समय में हो रहा है जब भारत अपनी आजादी के 75 साल मना रहा है, जब भारत 'अमृत महोत्सव' मना रहा है। भारत 'अमृत काल' में विकसित देश बनने की ओर अग्रसर है। भारत ने न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के कल्याण के लिए संकल्प लिया है। भारत ने इतने सारे क्षेत्रों में अपना पहला स्थान हासिल किया है, और उसने भगवान बुद्ध से उसी के लिए महान प्रेरणा प्राप्त की है। बुद्ध की शिक्षाओं में सिद्धांत, अभ्यास और प्राप्ति का मार्ग शामिल था; भारत पिछले 9 वर्षों में बुद्ध द्वारा बताए गए मार्गों पर चलकर बड़ी प्रगति कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
बुद्ध का मार्ग है- परियक्ति, पटिपत्ति और पटिवेध। यानी Theory, Practice and Realization. पिछले 9 वर्षों में भारत इन तीनों ही बिन्दुओं पर तेजी से आगे बढ़ा है। दुनिया के अलग-अलग देशों में पीस मिशन्स हों या तुर्किए में भूकम्प जैसी आपदा हो... भारत अपना पूरा सामर्थ्य लगाकर, हर संकट के समय मानवता के साथ खड़ा होता है, 'मम भाव' से खड़ा होता है।
हमें विश्व को सुखी बनाना है तो स्व से निकलकर संसार, संकुचित सोच को त्यागकर, समग्रता का ये बुद्ध मंत्र ही एकमात्र रास्ता है। हम सुख को तभी ग्रहण कर सकते हैं जब हम विजय, पराजय, लड़ाई, युद्ध के बोध को त्याग दें। भगवान बुद्ध ने इन पर काबू पाने का मार्ग बताया है। दुश्मनी को दुश्मनी से नहीं, बल्कि प्यार से मिटाया जा सकता है। वास्तविक सुख तो शांति में है, शांति से साथ रहने में है।
हर व्यक्ति का हर काम किसी न किसी रूप में धरती को प्रभावित कर रहा है। हमारी लाइफस्टाइल चाहे जो हो, हर बात का प्रभाव पड़ता ही पड़ता है। हर व्यक्ति जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से लड़ भी सकता है। अगर लोग जागरूक होकर प्रयास करें तो इस बड़ी समस्या से निपटा जा सकता है। यही तो बुद्ध का मार्ग है।
बुद्ध का मार्ग भविष्य का मार्ग है, sustainability का मार्ग है। अगर विश्व, बुद्ध की सीखों पर चला होता तो क्लाइमेट चेंज जैसा संकट भी हमारे सामने नहीं आता। ये संकट इसलिए आया क्योंकि पिछली शताब्दी में कुछ देशों ने दूसरों के बारे में, आने वाली पीढ़ियों के बारे में नहीं सोचा।
'स्वयं के लिए एक प्रकाश बनो', भगवान बुद्ध ने उपदेश दिया। आज, यह शिक्षण इतने सारे सवालों के जवाबों को समेटे हुए है। 'भारत ने दुनिया को 'युद्ध' नहीं 'बुद्ध' दिया, यह मैंने गर्व से संयुक्त राष्ट्र में कहा था।
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