प्रशांत किशोर ने किया कांग्रेस द्वारा सीएए के बहिष्कार का स्वागत

जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर सीएए और एनआरसी का बहिष्कार करने के लिए कांग्रेस को बधाई दी। बिहार में सीएए-एनआरसी लागू नहीं होने का भी दिया आश्वासन।
प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर सोशल मीडिया

राज एक्सप्रेस। शनिवार 11 जनवरी को दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हुई। इस बैठक में नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी का बहिष्कार किया गया। बैठक में कहा गया कि, 'मोदी सरकार के खिलाफ पार्टी के नेता और कार्यकर्ता जनता के बीच जाएं और आर्थिक मंदी, सीएए, एनआरसी आदि मुद्दों पर सरकार की नीतियों को बेनकाब करें। पार्टी के सभी फ्रंटल संगठन, विभाग और प्रदेश कांग्रेस कमेटियां अलग-अलग कार्यक्रमों के आधार पर जनता से संपर्क करेंगी और इन मुद्दों को उठाएंगी।'

जनता दल यूनाइटेड(जदयू) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने इसके लिए राहुल और प्रियंका गांधी को विशेष धन्यवाद दिया। इसके साथ ही उन्होंने एक बार फिर आश्वासन दिया कि, बिहार में सीएए और एनआरसी लागू नहीं होगा। प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर यह बात कही।

बिहार के उप-मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने इसकी अधिसूचना जारी होने की खबर दी थी। वहीं प्रशांत किशोर का कहना है कि, नीतीश कुमार ने एनआरसी नहीं लागू करने की घोषणा कर दी है लेकिन एनपीआर, एनआरसी का पहला कदम है तो इसे लागू नहीं किया जायेगा। जबकि जदयू ने संसद के दोनों सदनों में सीएए का समर्थन किया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जनता दल यूनाइटेड के नेताओं का कहना है कि, प्रशांत के इस ट्वीट ने नीतीश कुमार की मुश्किल बढ़ा दी हैं। अगर वह एनपीआर लागू नहीं करते हैं तो भाजपा नाराज़ हो जाएगी। वहीं अगर लागू करते हैं तो उन पर यूटर्न लेने का आरोप लगेगा। जो कि पहले भी कई बार लग चुका है।

नागरिकता संशोधन अधिनियम 10 जनवरी 2020 से लागू हो गया है। केन्द्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी। इसे 11 दिसंबर 2019 को संसद में पास किया गया था। जिसके बाद से देश में इसे लेकर बवाल मचा हुआ है। असम और पूर्वोत्तर राज्यों में इसका विरोध हो रहा है। वहीं जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय आदि देश के तमाम शिक्षण संस्थानों में भी सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं।

इन प्रदर्शनों ने कई जगह हिंसक रूप ले लिया। जिसके चलते जामिया और अलीगढ़ विश्वविद्यालयों को बंद करना पड़ा। दिल्ली के शाहीन बाग में 15 दिसंबर से औरतें इस कानून और एनआरसी के विरोध में धरने पर बैठी हैं। वहीं मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के इक़बाल मैदान में 1 जनवरी 2020 से कई संस्थाओं के सदस्य और आम लोग सीएए और एनआरसी के खिलाफ सत्याग्रह कर रहे हैं।

प्रशांत किशोर ने आज भले ही कांग्रेस का समर्थन किया है लेकिन कुछ दिन पहले 20 दिसंबर 2019 को ट्वीट कर इन मुद्दों पर पार्टी के पक्ष पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा जारी एक वीडियो ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा था कि, 'सीएए और एनआरसी के खिलाफ जनता की लड़ाई में कांग्रेस के नेता शामिल नहीं हैं, न ही पार्टी के लोग सड़कों पर हैं। कम से कम पार्टी यह तो कर सकती है कि, कांग्रेस के सभी मुख्यमंत्री अपने राज्यों में एनआरसी नहीं होने दें। अन्यथा इन बयानों का कोई अर्थ नहीं है।'

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक पंजी(एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर-2020(एनपीआर) का विरोध कर रही कांग्रेस जल्द ही इन मुद्दों के साथ विश्वविद्यालय परिसरों में छात्रों पर हमले, आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, कृषि संकट और महिला सुरक्षा जैसे जनहित के मुद्दों को लेकर व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाएगी और नरेन्द्र मोदी सरकार को घेरेगी।

शनिवार को हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में आर्थिक मंदी, सीएए, एनआरसी और जेएनयू में हुई हिंसा की घटना को लेकर चर्चा की गई। कांग्रेस ने जेएनयू हिंसा मामले में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की भूमिका पर जांच कराए जाने की मांग की है। बैठक में इन मामलों से जुड़े कुछ अहम प्रस्ताव भी पारित किए गए। इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी मौजूद रहीं।

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