लॉकडाउन में 1,100 KM की दूरी तय कर अपने गांव पहुंचा यह जवान
राज एक्सप्रेस। महामारी कोरोना वायरस से निपटने के लिए 21 दिनों का देशव्यापी लॉकडाउन किया गया था, जिससे आम जनता को ही नहीं, बल्कि मुश्किल घड़ी में हर परिस्थितियों का सामना करने वाले सुरक्षाकर्मियों को भी लॉकडाउन के कारण परेशानी का सामना करना पड़ा है और एक जवान 1100 किलोमीटर पैदल यात्रा कर अपने घर पर पहुंचा है।
दरअसल, छत्तीसगढ़ में तैनात जवान की मां की मृत्यु हो गई थी, जिसके चलते वह अपने पिता को अकेला नहीं छोड़ना चाहता था। तो फिर सशक्त बल ने यह कदम उठाया और मालगाड़ी, ट्रक, नाव सहित पैदल करीब 1100 किलोमीटर की यात्रा कर अपने घर पहुंचा।
जवान संतोष यादव ने बताया :
"मैं अपनी मां की मौत की खबर सुनने के बाद गांव पहुंचना चाहता था, मेरा छोटा भाई और एक विवाहित बहन दोनों मुंबई में रहते हैं तथा लॉकडाउन की वजह से उनका गांव पहुंचना मुमकीन नहीं था। मैं अपने पिता को ऐसी स्थिति में अकेला नहीं छोड़ सकता था।''
आगे जवान ने यह भी बताया कि, इस महीने यानी 4 अप्रैल को वह अपने शिविर में थे, इस दौरान उनके पिता ने फोन किया और यह बताया कि, मां की तबीयत बिगड़ी है, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने का सुझाव दिया, लेकिन फिर अगले दिन मां को वाराणसी के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, यहाँ शाम को उनकी मृत्यु की जानकारी मिली।
कमांडर से मंजूरी मिलने के बाद इस तरह की पैदल यात्रा :
घर जाने के लिए जवान को कमांडेंट से मंजूरी मिलने के बाद वह सबसे पहले राजधानी रायपुर पहुंचना चाहते थे, जिससे आगे की यात्रा के लिए कुछ व्यवस्था हो सके। इस दौरान उन्होंने जगदलपुर पहुंचने के लिए धान से भरे एक ट्रक पर लिफ्ट ली और उसके बाद एक मिनी ट्रक ने उन्हें रायपुर से लगभग दो सौ किलोमीटर पहले कोंडागांव तक पहुंचाया। कोंडागांव में पुलिस कर्मियों ने उन्हें रोक लिया, लेकिन जब उन्होंने अपनी स्थिति बताई। इसके बाद जवान के लिए सौभाग्य वाली बात यह थी कि, उनके एक परिचित अधिकारी ने दवाइयों वाले एक वाहन से रायपुर तक पहुंचने में मदद की।
जवान का कहना है कि, "रायपुर से अपने गांव के निकटतम रेलवे स्टेशन चुनार तक का सफर आठ माल गाड़ियों से किया, फिर वह 5 किलोमीटर पैदल चलकर गंगा नदी तक पहुंचे और नाव से गंगा नदी पार कर 10 अप्रैल को अपने गांव पहुंचे।" उन्होंने बताया कि, इस यात्रा के दौरान उन्हें कई स्थानों पर लॉकडाउन के कारण पुलिस और रेलवे के अधिकारियों कर्मचारियों ने रोका, लेकिन मानवीय आधार पर उन्हें आगे जाने की अनुमति दे दी जा रही थी।
बता दें कि, जवान संतोष यादव वर्ष 2009 में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल ज्वाइन किया था और 15वीं बटालियन में तैनात है, वह बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में तैनात था।
परेशानियों के बावजूद भी लॉकडाउन का समर्थन :
जवान ने इन चुनौतियों का सामना, इसलिए किया ताकि वे किसी तरह अपनी मां की मृत्यु के बाद पिता के पास पहुंच सके, हालांकि परेशानियों के बावजूद भी जवान ने लॉकडाउन का समर्थन किया, क्योंकि यह देश के लोगों की सुरक्षा के लिए जरूरी है। साथ ही वह प्रार्थना करते हैं कि किसी को भी इस दौरान ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े।
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