4 दिन में दूसरे जैन मुनि ने त्यागे प्राण
4 दिन में दूसरे जैन मुनि ने त्यागे प्राणSocial Media

एक और जैन मुनि ने त्यागे प्राण, केंद्र सरकार ने वापस लिया इको सेंसटिव जोन का दर्जा

जयपुर, राजस्थान: चार दिन बाद एक और मुनि ने सम्मेद शिखरजी को बचाने के लिए अपने प्राण त्याग दिए है जिनका नाम मुनि समर्थसागर महाराज था।

जयपुर, राजस्थान। सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने से रोकने के लिए जैन समुदाय के लोग पिछले 2 हफ्तों से पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन कर रहें हैं, जिसमे जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने 3 जनवरी को आमरण अनशन करते वक्त अपने प्राण त्याग दिए थे। अब चार दिन बाद एक और मुनि ने सम्मेद शिखरजी को बचाने के लिए अपने प्राण त्याग दिए है जिनका नाम मुनि समर्थसागर महाराज था। मुनि समर्थसागर ने भी मुनि सुज्ञेयसागर को देख कर ही आमरण अनशन करने का फैसला किया था। आज सुबह उनका निधन हो गया। यह 4 दिनों के अंदर 2 मुनि है जिन्होंने अपने प्राण त्यागे हैं।

आचार्य अनिल सागर के शिष्य थे मुनि समर्थसागर

सुरेश कुमार जैन ने बताया कि आज सुबह जैन मुनि समर्थ सागर ने अपनी देह त्याग दी है। इन्होंने श्री सम्मेद शिखर को बचाने के लिए अपनी देह का बलिदान दिया है, जो हमेशा याद रखा जाएगा।समर्थ सागर महाराज आचार्य सुनील सागर महाराज के ही शिष्य हैं। इससे जब सुज्ञेयसागर महाराज ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था तब समर्थ सागर जीन धर्मसभा के दौरान अनशन का संकल्प लिया था और तब से वह उपवास पर चल रहे थे।

मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने भीं यही त्यागे थे प्राण

संघीजी दिगम्बर जैन मंदिर में जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने 3 जनवरी को प्राण त्याग दिए थे। सम्मेद शिखर को लेकर समूचे देश में विरोध प्रदर्शन चल रहा है। जयपुर में कुछ दिनों पहले ही जैन समाज की ओर से मौन जुलूस निकाल कर विरोध प्रकट किया गया था। सकल जैन समाज (दिगंबर और श्वेतांबर) के बैनर तले हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए थे। राजस्थान जैन युवा मुनि समर्थ सागर ने धर्मसभा के दौरान अनशन का संकल्प लिया था।

4 दिन में दूसरे जैन मुनि ने त्यागे प्राण
जैन मुनि ने आमरण अनशन में त्यागे अपने प्राण, सम्मेद शिखर को टूरिस्ट प्लेस बनाने के थे खिलाफ

केंद्र सरकार ने पर्यटन स्थल बनाने पर लगाई रोक

केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक आदेश जारी कर पारसनाथ पर्वत क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन बनाने संबंधी दो अगस्त, 2019 की अधिसूचना पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही इस तीर्थ क्षेत्र में किसी प्रकार के निर्माण पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इस संबंध में राज्य सरकार को एक कार्यालय ज्ञापन भेजा है। आदेश के मुताबिक, इस स्थल की पवित्रता बनाये रखने के लिए यहां होटल, ट्रैकिंग और मांसाहार पर भी रोक रहेगी।

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