राजस्थान होगा पहला राज्य जहां गिग वर्कर्स के हितों को संरक्षित करने बनेगा कानून
भारत। राजस्थान देश का ऐसा पहला राज्य होगा, जहां गिग वर्कर्स के लिए कानून बनाया जायेगा। गहलोत सरकार जल्द ही गिग वर्कर्स के हितों को संरक्षित करने के लिए वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड की स्थापना करने जा रही है । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं जो गिग वर्कर्स के लिए कानून लेकर आ रहे हैं।
केंद्र या किसी भी राज्य सरकार ने अभी तक गिग वर्कर्स की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि कामगारों का ऐसा वर्ग जिसकी ना कोई यूनियन, न संस्था जिसकी कोई मांग नहीं, जिसके अपने सदस्यों की कोई सूची नहीं, कोई सदस्यता नहीं। जब संगठन ही नहीं है तो कोई ज्ञापन, धरना, आंदोलन और और प्रदर्शन करने का तो सवाल ही नहीं उठता। ऐसी कौन-सी सरकार होगी जो इस तरह के असंगठित श्रमिकों के लिए कानून बनाएगी। उनकी देखभाल के लिए बोर्ड बनाकर बजट की व्यवस्था करेगी। उनकी तकलीफों को ध्यान में रखते हुए बहुत सारी व्यवस्था ही करेगी। कई बार तो ऐसा देखा गया है कि आंदोलन, धरना-प्रदर्शन के बाद भी सरकार से संगठन की किसी प्रकार की मांग नहीं होती , लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इन बेजुबान और बेसहारा कामगारों की तकलीफ को बिना कुछ कहे समझा और उनकी मुसीबतों को समझते हुए उनके लिए बहुत सारी व्यवस्थाएं कीं है। देश में नहीं प्रदेश में भी ऑनलाइन सर्विस कंपनियों के लिए बहुत से लोग काम कर रहे हैं।
गिग वर्कर्स के रूप में पहचाने जाते हैं यह कामगार
यह पूरी तरह से कॉन्ट्रैक्ट बेस पर काम करते हैं और प्रति ट्रांजैक्शन के आधार पर पैसा कमाते हैं। इन कामगारों के लिए कंपनी किसी तरह का बोनस, ग्रेच्युटी और पेंशनर आपात स्थिति में किसी भी तरह की सहायता का बंदोबस्त नहीं करती। कंपनी इन्हें अपना नियमित समिति नहीं मानती और जब तक यह लोग इन कंपनियों के लिए डिलीवरी कर रहे होते हैं, तब तक ही कंपनी इनसे वास्ता रखती है। जैसे ही यह श्रमिक मोबाइल पर इनके ऐप से बाहर आए तो कंपनी से इनका नाता ही खत्म हो जाता है। कंपनी की शर्तों पर इन्हें काम मिलता है और शर्ते इस तरह की होती हैं कि इनका केवल गुजारा ही हो पाता है। इन तमाम बातों से वाकिफ तो सब है केंद्र और देश की तमाम राज्य सरकारें इस बात को समझते हैं लेकिन इनके लिए कुछ करने की मंशा किसी में नहीं देखी गई है।
राजस्थान में गिग वर्कर्स की संख्या 3 से 4 लाख
अशोक गहलोत पूरे देश में पहले से मुख्यमंत्री हैं जो गिग वर्कर्स के लिए कानून लाने जा रहे हैं। राजस्थान विधानसभा में साल 2023-24 का बजट प्रस्तुत करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि वर्तमान में ऑनलाइन सर्विस कंपनियों ने युवा कार्मिकों को संविदा पर ट्रांजैक्शन के आधार पर जोड़ रखा है। ऐसे कर्मियों को गिग वर्कर्स कहते हैं। संपूर्ण विश्व के साथ ही प्रदेश में भी गिग इकोनामी का दायरा लगातार बढ़ रहा है। आज प्रदेश में इनकी संख्या 3 से 4 लाख हो चुकी है।
गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड की स्थापना
इन गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा की कोई व्यवस्था यह बड़ी कंपनियां नहीं करती है। ऐसे वर्कर्स को शोषण से बचाने व संबल प्रदान करने की दृष्टि से गिग वर्कर्स वेलफेयर एक प्लानो प्रस्तावित करता हूं । इसके अंतर्गत गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड की स्थापना के साथ-साथ 200 करोङ रुपए वेलफेयर एंड डेवलपमेंट फंड के गठन होगा।
योजना में 100 करोड़ के बजट का प्रावधान
देश में यह पहला मौका है, जब किसी मुख्यमंत्री ने गिग वर्कर्स के लिए इतनी सहृदयता और सदाशयता दिखाई है। मुख्यमंत्री के इस फैसले के बाद गिग वर्कर्स के लिए बहुत सी योजनाएं बनने की संभावना है। इस वर्ग के लिए काम करने वाला कानून लाने वाला वेलफेयर फंड बनाने वाला राजस्थान पहला राज्य बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री ने इसके अलावा भी एक महत्वपूर्ण फैसला करते हुए पंजीकृत श्रमिकों और स्ट्रीट वेंडर्स के लिए एक बहुत बड़ा फैसला किया है। यह देखा गया है कि पंजीकृत श्रमिकों और स्ट्रीट वेंडर्स वर्ग को पा स्थिति या उनकी बीमारी की अवस्था में कोई मदद नहीं मिलती मुख्यमंत्री चिरंजीवी श्रमिक संबल योजना अब ऐसे श्रमिकों के लिए राहत का पैगाम लेकर आई है। इस वर्ग के परिवारों के 25 से 60 वर्ष तक की उम्र के सदस्यों के अस्पताल में भर्ती होने के दौरान उनकी दैनिक मजदूरी समाप्त होने की स्थिति में सहायता दी जाएगी। इसके अंतर्गत बिना किसी प्रार्थना पत्र के ऑटो डीबीटी के माध्यम से 7 दिन तक 200 रुपए की प्रतिदिन सहायता दी जाएगी। इस योजना में 100 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया है। बरहाल राजस्थान में असंगठित क्षेत्र के दो वर्गों के श्रमिकों के लिए ये दोनों योजनाएं वरदान साबित होंगी। इन योजनाओं से एक बार फिर यह साबित गया है कि राजस्थान पूरे देश में मॉडल स्टेट बन गया है।
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