जोर शोर से मनाया गया राज्य के इन मंदिरों में व्यंजन द्वादशी उत्सव

राजस्थान, भारत : राजस्थान सरकार के देवस्थान विभाग के अंतर्गत आने वाले राज्य अलग–अलग जिले के 8 मंदिरों में जोर शोर और गाजे बाजे के साथ मनाया गया व्यंजन द्वादशी उत्सव।
जोर शोर से मनाया गया राज्य के इन मंदिरों में व्यंजन द्वादशी उत्सव
जोर शोर से मनाया गया राज्य के इन मंदिरों में व्यंजन द्वादशी उत्सवSocial Media

राजस्थान, भारत : राजस्थान सरकार के देवस्थान विभाग के अंतर्गत आने वाले 8 मंदिरों में मनाया गया ठाकुर जी के लिए व्यंजन द्वादशी उत्सव। रसिक बिहारी मंदिर जोधपुर, ब्रिज निधि मंदिर जयपुर,मथुराधीश मंदिर अलवर,बिहारी जी का मंदिर भरतपुर किला,जगदीश मंदिर उदयपुर, श्री रामचंद्र मंदिर कोटा, लक्ष्मीनाथ मंदिर बीकानेर, मदनमोहन मंदिर किशनगढ़ एवं अजमेर के मंदिरों में छप्पन भोग झांकी और प्रसाद वितरण के साथ मनाया गया व्यंजन द्वादशी उत्सव। राजस्थान सरकार और देवस्थान मंत्री शकुंतला रावत ने दी सभी भक्तो और प्रदेशवासियों को व्यंजन द्वादशी उत्सव की बधाईयां।

क्या है व्यंजन द्वादशी उत्सव?

व्यंजन द्वादशी के दिन से ही कृष्ण भगवान के खानपान और पहनावे में भी बदलाव होना शुरू होता है। उत्सव में व्यंजन द्वादशी गर्म तासीर के व्यंजन ठाकुर जी को चढ़ाए जाते हैं। गर्म बाजरे की खिचड़ी सहित मूंग, मोठ के पकवान, चटनी भी भोग में चढ़ाई जाती है। कृष्ण भगवान(ठाकुर जी) जी की झांकी गाजे बाजे के साथ पूरे शहर के लोगो के दर्शन करने के लिए निकाली जाती है। कृष्ण भगवान का नए कपड़े के साथ श्रृंगार किया जाता हैं और उनके लिए छप्पन भोग बनाए जाते हैं। मार्गशीर्ष शुक्ल द्वादशी सर्वार्थसिद्धि योग में व्यंजन द्वादशी मनाई जाती है।देवस्थान विभाग की ओर से पहली बार प्रदेश के 8 मंदिरों में व्यंजन द्वादशी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।

देवस्थान विभाग राजस्थान सरकार का राजकीय विभाग है जो अधिसूचित ट्रस्टों सरकारी और निजी मंदिरों के रख-रखाव, प्रबंध, पुजारियों की नियुक्ति और राजस्थान देवस्थान राज्य व अधीनस्थ सेवा अधिनियम 2000 के अंतर्गत कानूनी और उत्तराधिकार संबंधी विवादों का समाधान करने के लिए गठित किया गया है, जिसके कार्यक्षेत्र में राजस्थान राज्य और राजस्थान से बाहर स्थित 390 सरकारी मंदिर और 204 निजी मंदिर आते हैं।

इस विभाग के वर्तमान स्‍वरूप का भूतपूर्व राजपुताना राज्‍य छोटी-बड़ी 22 रियासतों के विलीनीकरण के पश्‍चात पूर्व देशी राज्‍यों द्वारा राज्‍यकोष के माघ्‍यम से संचालित मंदिरों, मठों, धर्मशालाओं आदि के आयोजन एवं सूचना संचालन के लिए वर्ष 1949 में बने राजस्‍थान राज्‍य के साथ-साथ हुआ, अलग –अलग परिस्थितियों के अनुसार समय-समय पर राज्‍य सरकार द्वारा विभागीय कार्यकलापों का विस्‍तार किया गया है तथा नवीन दायित्‍व सौंपे गये हैं। इस विभाग का मुख्यालय उदयपुर में हैं।

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