पुणे में पाटिल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राजनाथ सिंह ने कहीं ये अहम बातें

पुणे में पाटिल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- मैंने स्वयं भी एक student, researcher और एक teacher से होते हुए उत्तर प्रदेश के शिक्षामंत्री तक की यात्रा तय की है।
पुणे में पाटिल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राजनाथ सिंह
पुणे में पाटिल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राजनाथ सिंह Social Media

पुणे, भारत। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज शुक्रवार को पुणे में है, इस दौरान उन्‍होंंने पाटिल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिस्‍सा लिया।

दीक्षांत समारोह में बोले राजनाथ सिंह :

पाटिल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- मैंने स्वयं भी एक student, researcher और एक teacher से होते हुए उत्तर प्रदेश के शिक्षामंत्री तक की यात्रा तय की हैI इसलिए academic world से स्वाभाविक रूप से मेरा बड़ा लगाव रहा है। मेरे युवा साथियों, मैंने गौर किया कि आज जिन लोगों को degrees प्रदान की जा रही हैं, उनमें अधिकांश students medical field से हैं। जीवन में स्वास्थ्य और आरोग्य का क्या महत्व है, इस पर अधिक बात करने की जरूरत मैं नहीं समझता हूँ।

हमारे यहां माना जाता है, कि जन्म-जन्मांतर के पुण्य जब संचित होते हैं, तब कहीं जाकर जीव को मनुष्य का शरीर मिलता है। उसमें भी अगर शरीर स्वस्थ है, तो मानिए कि यह तो बड़े सौभाग्य की बात है। इसलिए स्वास्थ्य को, निरोगी काया को हमारे यहां पहला सुख माना गया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आगे यह भी कहा- आप में से हो सकता है कई बच्चे आगे medical practice करें, कुछ निजी क्षेत्र में, कुछ सरकारी क्षेत्र में तो कुछ सिविल सेवा में भी जाएं। पर आप जहां भी रहें, संतुलन को कभी न भूलें। आज से एक सदी पूर्व, 1909 महात्मा गांधी की एक book आई थी ‘हिंद स्वराज’. आप में से कुछ लोगों ने इसे शायद पढ़ी भी होगी। इसमें वह आधुनिक विचारों के स्वागत की बात तो करते हैं, पर वहीं वह यह भी मानते हैं कि बदलते समय के साथ-साथ भारत में धर्म का ह्रास भी हो रहा है।

  • धर्म से उनका तात्पर्य नैतिकता, कार्यों की शुचिता और समाज और राष्ट्र के प्रति दायित्व से था। उनका मानना था कि हमारा समाज अपने धर्म की राह पर चलकर ही अपना पूर्ण विकास कर सकता है।

  • कुछ यही बात किसी समय स्वामी विवेकानंद ने भी कही थी। उन्होंने कहा था कि प्रत्येक समाज और राष्ट्र का अपना एक मूल स्वभाव होता है, जिसको विकसित कर ही वह आगे बढ़ सकता है।

  • जब हम दुनिया के साथ सकारात्मक रूप से जुड़ते हैं, तो हमारे जुड़ने से और भी अधिक सकारात्मक ऊर्जा का विस्तार होता है। इसे मैं mathematical form में आपके सामने प्रस्तुत करना चाहूंगा।

  • आप सभी जानते हैं, कि हम 'a' का square करते हैं, तो हमें a square प्राप्त होता है। ‘b’ का square करते हैं, तो b square प्राप्त होता है। यानी अगर यह दोनों अलग-अलग अपने बारे में सोच रहे हैं, तो केवल इन्हीं का हित हो रहा है। पर अगर यह दोनों एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं, यानी अगर आप (a+b) का whole square करेंगे, तो आपको a square तो मिलेगा ही, b square तो मिलेगा ही, साथ ही '2ab' के रूप में आपको अतिरिक्त आनंद भी मिलेगा।

  • बुद्धि तो सिर्फ यह बताएगी कि काम कैसे करेंगे, कितना अच्छा और कितनी सफाई से करेंगे और कौन सा काम करेंगे, ये तो आपकी मन की प्रवृत्ति बतायेगी। और जैसा कि मैंने अभी कहा, यह आपके मन की व्यापकता और संकीर्णता पर निर्भर करता है कि आप अपने ज्ञान से दुनिया को क्या देने वाले हैं।

  • हमारे समाज को स्वस्थ रखने में आप जैसे काबिल graduates, और medical practitioners की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पिछले एक-दो सालों में, यानि Covid के दौरान साथियों, इस दुनिया ने health practitioners और आप जैसे नौजवानों का एक नया अवतार देखा।

  • अपनी शिक्षा-दीक्षा पूर्ण कर आप एक नई मंजिल की ओर कदम बढ़ाने जा रहे हैं। आप लोगों में से हो सकता है कुछ लोग यहीं अपना career बनाएं, कुछ लोग हो सकता है देश के बाहर भी जाएं। इन दोनों ही स्थितियों में आपको यह स्मरण रहना चाहिए कि यह देश आपका ही है और इसे आपकी जरूरत है।

  • इस देश ने अब तक आपको वह सब कुछ दिया जो यह दे सकता था। इस देश ने आपको शुचिता के साथ अकादमिक संस्कार दिया है। पढ़ाई-लिखाई से लेकर आर्थिक-सामाजिक सुरक्षा, और हंसने-बोलने, अपने को पूरी तरह express करने की आज़ादी दी। यानि इस देश ने आपके ऊपर invest किया है।

  • आजादी के इस अमृत काल में हमारे प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत ने एक संकल्प लिया है। वह संकल्प है आत्मनिर्भरता का। आज भारत अपनी जरूरतों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नही रहना चाहते। हम अधिकांश मामलों में आत्मनिर्भर बने इसके लिए देश में ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा दिया जा रहा है।

  • प्रधानमंत्री ने देश में ‘वोकल फार लोकल’ की अपील की है। यह एक तरह स्वदेशी 2.0 है जिसकी पहली गूंज इसी महाराष्ट्र में लोकमान्य तिलक और महात्मा गांधी के नेतृत्व में सुनाई दी थी। यह ‘वोकल फार लोकल’ का आग्रह देश में युवाओं को मजबूती देगा। उनके लिए रोजगार के अवसर बढ़ाएगा।

  • पिछले साल जितने Unicorns हमारे सामने आए थे, उनमें चार तो healthcare sector से थे। तो क्या आने वाले समय में कुछ unicorns D.Y. PATIL VIDYAPEETH के students के नहीं हो सकते हैं? निश्चित हो सकते हैं।

  • आज भी हमारे देश से, गरीबी, भुखमरी जैसी समस्याएं पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैं। अच्छी शिक्षा ही इनके उन्मूलन का एक कारगर हथियार हो सकती है। इसलिए आपका यह दायित्व बनता है, कि अच्छे कर्मों के साथ, यहां से प्राप्त शिक्षा को आप अपने तक ही सीमित न रखकर औरों तक भी इसका प्रसार करें।

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