संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ ने चुन-चुनकर बताई लद्दाख सीमा के हालात की बात

संसद मानसून सत्र के दूसरेे दिन आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन ने लद्दाख की पूर्वी सीमाओं पर हाल में हुई गतिविधियों से अवगत कराया। जानें इस दौरान उन्‍होंने क्‍या-क्‍या कहा...
संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ ने चुन-चुनकर बताई लद्दाख सीमा के हालात की बात
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दिल्ली। कोरोना संकटकाल के बीच आज 15 सितंबर को मानसून सत्र के दूसरेे दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन से सीमा विवाद के मुद्दे पर लोकसभा में बयान दिया है।

लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "आज इस गरिमामयी सदन में मैं अपने सहयोगी साथियों को लद्दाख की पूर्वी सीमाओं पर हाल में हुई गतिविधियों से अवगत कराने के लिए उपस्थित हुआ हूँ। जैसा कि आपको ज्ञात है, हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी ने हाल ही में लद्दाख का दौरा कर हमारे बहादुर जवानों से मुलाकात की थी एवं उन्हें यह संदेश भी दिया था कि समस्त देशवासी अपने वीर जवानों के साथ खड़े हैं।''

रक्षा मंत्री ने आगे ये भी कहा, मैंने भी लद्दाख जाकर अपने शूरवीरों के साथ कुछ समय बिताया है और मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि मैंने उनके अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम को महसूस किया है। आप जानते हैं कि कर्नल संतोष बाबू और उनके 19 वीर साथियों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। अध्यक्ष महोदय, कल ही इस सदन ने दो मिनट मौन रखकर उन्हें अपनी श्रद्धांजली अर्पित की है।

जैसा कि यह सदन अवगत है चाईना, भारत की लगभग 38,000 वर्ग किमी भूमि का अनधिकृत कब्जा लद्दाख में किए हुए है। इसके अलावा, 1963 में एक तथाकथित सीमा-समझौते के तहत, पाकिस्तान ने PoK की 5180 वर्ग किमी भारतीय जमीन अवैध रूप से चाईना को सौंप दी है।

रक्षा मंत्री

भारत तथा चीन, दोनों ने, औपचारिक तौर पर यह माना है कि सीमा का प्रश्न (Boundary question) एक जटिल मुद्दा है जिसके समाधान के लिए धैर्य की आवश्यकता है तथा इस मुद्दे का fair, reasonable और mutually acceptable समाधान, शांतिपूर्ण बातचीत के द्वारा निकाला जाए।

रक्षा मंत्री ने कहा, यह भी बताना चाहता हूँ कि अभी तक भारत-चीन के सीमावर्ती क्षेत्र में LAC नहीं है और LAC को लेकर दोनों का perception अलग-अलग है, इसलिए peace और tranquillity बहाल रखने के लिए दोनों देशों के बीच कई तरह के agreements और protocols हैं। इन समझौतों के तहत यह माना गया है कि LAC पर peace और tranquillity बहाल रखी जाएगी, जिसपर LAC की अपनी-अपनी respective positions और boundary question का कोई असर नहीं माना जाएगा।

राजनाथ सिंह द्वारा कहीं गई अहम बातें :

  • मैं सदन को वर्तमान स्थिति के बारे में बताऊॅं, मैं यह बताना चाहता हूँ कि सरकार की विभिन्न intelligence agencies के बीच coordination का एक elaborate और time tested mechanism है जिसमें Central Police Forces और तीनों armed forces की intelligence agencies शामिल हैं।

  • अब मैं सदन को इस साल उत्पन्न परिस्थितियों से अवगत कराना चाहता हूँ। अप्रैल माह से Eastern Ladakh की सीमा पर चीन की सेनाओं की संख्या तथा उनके armaments में वृद्धि देखी गई।

  • मई महीने की के प्रारंभ में चीन ने गलवान घाटी क्षेत्र में हमारी troops के normal, traditional patrolling pattern में व्यवधान शुरू किया जिसके कारण face-off की स्थिति उत्पन्न हुई।

  • हमने चीन को diplomatic तथा military channels के माध्यम से यह अवगत करा दिया, कि इस प्रकार की गतिविधियाँ, status quo को unilaterally बदलने का प्रयास है। यह भी साफ कर दिया गया कि ये प्रयास हमें किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है।

  • भारत का मानना है कि, bilateral relations को विकसित किया जा सकता है, तथा साथ ही साथ boundary मुद्दे के समाधान के बारे में चर्चा भी की जा सकती है। परन्तु LAC पर peace और tranquillity में किसी भी प्रकार की गम्भीर स्थिति का bilateral relations पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा।

  • वर्ष 1993 एवं 1996 के समझौते में इस बात का जिक्र है कि LAC के पास, दोनों देश अपनी सेनाओं की संख्या कम से कम रखेंगे।

  • समझौते में यह भी है, कि जब तक boundary issue का पूर्ण समाधान नहीं होता है, तब तक LAC को strictly respect और adhere किया जाएगा और उसका उल्लंघन नहीं किया जाएगा । इन समझौतों में भारत व चाईना, LAC के clarification द्वारा एक common understanding पर पहुचने के लिए भी committed हुए थे।

देश सशस्त्र सेनाओं के साथ है :

राजनाथ सिंह ने कहा, मैं इस सदन से यह आग्रह करना चाहता हूं कि हमें एक resolution पारित करना चाहिए कि हम अपने वीर जवानों के साथ कदम-से-कदम मिलाकर खड़े हैं, जो कि अपनी जान की बगैर परवाह किए हुए देश की चोटियों की उचाईयों पर विषम परिस्थितियों के बावजूद भारत माता की रक्षा कर रहे हैं। यह समय है जब यह सदन अपने सशस्त्र सेनाओं के साहस और वीरता पर पूर्ण विश्वास जताते हुए उनको यह संदेश भेजे कि यह सदन और सारा देश सशस्त्र सेनाओं के साथ है जो भारत की संप्रभुता एवं सम्मान की रक्षा में जुटे हुए हैं।

उनके लिए बर्फीली ऊॅंचाइयों के अनुरूप विशेष प्रकार के गरम कपड़े, उनके रहने का specialised tent तथा उनके सभी अस्त्र-शस्त्र एवं गोला बारूद की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। हमारे जवानों की यह प्रतिज्ञा सराहनीय है।

रक्षा मंत्री ने ये बात भी कही कि, ''अध्यक्ष महोदय, इस सदन की एक गौरवशाली परम्परा रही है, कि जब भी देश के समक्ष कोई बड़ी चुनौती आयी है तो इस सदन ने भारतीय सेनाओं की दृढ़ता और संकल्प के प्रति अपनी पूरी एकता और भरोसा दिखाया है।''

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