भारत की आँखे खोल देने वाले 7 सवालों का सुरजेवाला ने सरकार से मांगा जवाब

कांग्रेस पार्टी केे प्रवक्‍ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर भारत की आँखे खोल देने वाले कुछ सवालों के जवाब मांगे और पूछा वक्तव्यों और व्यवहार में ये अंतर क्यों हैं, ये जवाब दीजिये?
भारत की आँखे खोल देने वाले 7 सवालों का सुरजेवाला ने सरकार से मांगा जवाब
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दिल्ली, भारत। केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानाें केे आंदोलन के साथ-साथ सियासत भी तेज होती जा रही हैै। कांग्रेस पार्टी केे प्रवक्‍ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अब राज्यसभा में PM मोदी द्वारा किसानों आंदोलन खत्म करने की अपील की गई को लेकर निशाना साधा है।

लफ्फाजी-जुमलेबाजी के अलावा कुछ ठोस नहीं कर पाए :

कांग्रेस पार्टी केे प्रवक्‍ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अपने ट्विटर अकाउंट से लगातार कई ट्वीट साझा करते हुए सवालों के जवाब मांगे हैं। साथ ही ये कहा- लफ़्फ़ाज़ी और जुमलेबाजी के अलावा राज्‍य सभा में कुछ ठोस नहीं कह पाए मोदी जी। न 75 दिन से आंदोलनरत किसानों के लिए कोई ठोस आश्वासन और ना सीमा में घुसपैठ किए चीन पर एक शब्द। आत्ममुग्ध प्रधानमंत्री वास्तव में पी.एम नही, “प्रचारक” की भूमिका में नज़र आए। दुर्भाग्यपूर्ण सत्य।

आंदोलनकारी किसानों की राह में कीलें बिछाकर मोदी जी राज्‍यसभा में किसानों से कह रहे हैं कि बात करिए, आंदोलन खत्म करिए.. ये दाढ़ियाँ, ये तिलकधारियाँ नहीं चलतीं, हमारे अहद में मक्कारियाँ नहीं चलतीं। क़बीले वालों के दिल जोड़िए मेरे सरदार, सरों को काट के सरदारियाँ नहीं चलतीं।

रणदीप सिंह सुरजेवाला

PM मोदी ने राज्यसभा में इस कालखंड में महाकवि मैथलीशरण गुप्त की एक कविता का भी जिक्र किया, जिस पर रणदीप सिंह सुरजेवाला का ये कहना है कि, ''मैथलीशरण जी आज होते तो मोदी सरकार के लिये यूँ कहते, आपने अवसर सिर्फ़ पूँजीपतियों के लिए गढ़ा है, किसान तो चौराहे पर चुपचाप महीनों से अपने हक़ माँगता पड़ा है, आपका कर्मक्षेत्र सत्ता के स्वार्थों से भरा है, पल-पल है अनमोल, अरे भारत उठ, आँखें खोल..”

इसके बाद रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार से कुछ सवाल करते हुए कहा- भारत की आँखे खोल देने वाले कुछ सवालों के जवाब दीजिये, वक्तव्यों और व्यवहार में ये अंतर क्यों है, ये जवाब दीजिये?

सुरजेवाला द्वारा पूूूूछे गए 7 सवाल-

1) क्या ये सही नहीं कि, सत्ता संभालते ही 12 जून, 2014 को मोदी सरकार ने राज्यों द्वारा समर्थन मूल्य के ऊपर दिए जा रहे 150/क्विंटल बोनस बंद करवा दिया?

2) क्या ये सही नहीं कि मोदी सरकार ने दिसंबर 2014 में किसानों के हक़ के भूमि के ‘उचित मुआवज़ा कानून’ को एक के बाद एक तीन अध्यादेश लाकर पूंजीपतियों के हक़ में बदलने की षड्यंत्रकारी कोशिश की?

3) क्या ये सही नहीं कि, आपने सुप्रीम कोर्ट में फरवरी 2015 में शपथ पत्र देकर कहा कि किसानों को अगर लागत + 50% से ऊपर समर्थन मूल्य दिया तो बाज़ार ख़राब हो जाएगा अर्थात् आप पूँजीपतियों के पक्ष मे खड़े हो गए थे।

4) क्या ये सही नहीं कि खरीफ 2016 से प्रारंभ ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ में साल 2019 तक 26,000 रुपये करोड़ का मुनाफ़ा ‘निजी कंपनियों’ को पहुँचाया गया, अन्यथा ये राशि भी किसानों के खाते में जाती?

5) क्या ये सही नहीं कि PM किसान निधि के नाम पर 6,000 रुपये सालाना किसानों के खाते में डालने के क़सीदे तो पढ़े जा रहे हैं पर दूसरी और पिछले 6 सालों में 15,000 रुपये प्रति हेक्टेयर खेती पर ‘टैक्स’ लगा दिया?

6) क्या ये सही नहीं कि 73 साल में पहली बार खेती पर GST लगाया - खाद पर 5%, कीटनाशक दवाईयों से लेकर कृषि यंत्रों पर 12% से 18 प्रतिशत तक? डीज़ल पर 820% एक्साइज क्यों बढ़ाई?

7) क्या मंडी ख़त्म करने से MSP प्रणाली ख़त्म नही हो जाएगी? किसान को MSP कौन देगा, कैसे देगा? क्या सही नहीं है कि इन तीनों कृषि विरोधी काले कानूनों में जमाखोरों को असीमित मात्रा में जमाखोरी की छूट दी गई है?

आगे सुरजेवाला ने यह भी कहा- किसान के होठों पर वही है जो उसके दिल में है। किसान के साथ छल नही न्याय कीजिए। किसान के साथ धोखा नही, धर्म निभाइये। किसानों की राह में कीलें-काँटे नही, काले क़ानून ख़त्म करने का साहस दिखाइये।

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