राज एक्सप्रेस। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि 1940 से पहले तक देश का हर शख्स राष्ट्रवादी था। चाहे वह समाजवादी हो या कम्युनिस्ट। मगर आजादी के बाद सब बिखर गए। गांधी जी ने सात पापों से मुक्त भारत की कल्पना की थी। संघ के भारत की कल्पना महात्मा गांधी, रवीन्द्रनाथ टैगोर, भीमराव अंबेडकर के भारत की कल्पना से अलग नहीं है। सबके शब्द अलग-अलग हैं मगर भाव एक है। अच्छे भारत की कल्पना सबने की थी मगर यह आजादी के 70 साल बाद भी साकार क्यों नहीं हो पाई, इस बारे में सोचना होगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि भारत में जन्म लेने वाला हर शख्स हिन्दू है। हिन्दू किसी धर्म का नहीं, दर्शन और चिंतन का नाम है। हमें गर्व है कि हम पराक्रमी पूर्वजों की संतान हैं। अलग-अलग जाति, धर्म और पंथों के होकर भी हम सब एक हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में जनसंख्या समस्या के साथ संसाधन भी हो सकती है। जनसंख्या नीति बनाने से पहले सरकार को इस पर सबके साथ मंथन करने की जरूरत है। रुहेलखंड विश्वविद्यालय के स्पोर्ट्स स्टेडियम में संघ प्रमुख ने लोगों को भविष्य के भारत पर आरएसएस का दृष्टिकोण समझाया। उन्होंने कहा कि भविष्य के भारत की कल्पना से पूरी दुनिया का संत्रास दूर होगा। भारतवर्ष यहां रह रहे हर शख्स का है। किसी एक संगठन का नहीं। हम सबको भूतकाल और वर्तमान से सीखकर भविष्य की कल्पना करनी है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि, 'मुझ से पूछा गया कितने बच्चे हों, मैंने कहा सरकार और सब तय करें नीति बने, अभी पता नहीं, जनसंख्या समस्या और समाधान दोनों है।' उन्होंने आजादी के समय की परिस्थितियों का जिक्र करते हुए कहा कि आजादी के समय देश की जनसंख्या करोड़ों में थी। देश के खजाने में 16 हजार करोड़ बाकी थे, इंग्लैंड से हमको 30 हजार करोड़ वसूलना था। संघ प्रमुख ने कहा कि समस्या स्वतंत्र होना नहीं है। हम बार-बार गुलाम होते रहे, इसलिए बार-बार स्वतंत्र होते रहे। मुट्ठी भर लोग आते हैं और हमें गुलाम बनाते हैं। ऐसा इसलिए कि हमारी कुछ कमियां है। उन्होंने यह भी कहा कि, सब एक हैं, तो सब मिलकर रहो।
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