शिवसेना के नाम और निशान पर SC का EC के फैसले पर रोक से इंकार
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शिवसेना के नाम और निशान पर SC का EC के फैसले पर रोक से इंकार

शिवसेना के नाम और निशान पर सुनवाई कर सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया, साथ ही EC के फैसले पर रोक से इंकार किया।

दिल्‍ली, भारत। महाराष्‍ट्र में इन दिनों शिवसेना के नाम और निशान पर सियासत चल रही है। इस बीच आज शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और निशान सौंपे जाने के खिलाफ उद्धव की याचिका पर आज बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।

चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने से किया इंकार :

दरअसल, शिवसेना के चुनाव चिन्ह पर चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे की  याचिका पर तीन जजों CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की स्पेशल बेंच ने सुनवाई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट की ओर से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे  और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर उनसे दो हफ्ते में जवाब मांगा गया है। साथ ही चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने से इंकार करते हुए कहा- हम आदेश पर रोक नहीं लगा सकते, यह पार्टी के भीतर एक अनुबंधात्मक संबंध है।

अब तीन हफ्ते बाद होगी सुनवाई :

अब उद्धव ठाकरे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में तीन हफ्ते बाद सुनवाई होगी। तो वहीं, उद्धव ठाकरे की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने यह बात कही कि, ''चुनाव आयोग के फैसले का आधार बहुमत है। 38 विधायकों के आधार पर फैसला दिया गया, लेकिन चुनाव आयोग के फैसले का आधार विधायक दल में बहुमत है। ECI ने यह कहकर गलती की कि विभाजन हुआ है। चुनाव आयोग ने उन विधायकों की संख्या पर भरोसा करके गलती की है, जो अयोग्यता के दायरे में हैं। ECI को संविधान पीठ के मामले में SC के फैसले का इंतजार करना चाहिए था, शिंदे खेमे के विधायकों के अयोग्य होने की संभावना है।''

सुप्रीम कोर्ट में हुए यह सवाल जवाब-

  • CJI चंद्रचूड़ ने शिंदे गुट से पूछा- ये एक मुद्दा है, उन्होंने विधायक दल के बहुमत को आधार बनाया है।

  • वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि, चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि शिवसेना का संविधान ऑन रिकॉर्ड नहीं था, जबकि उसके प्रमाण हैं. विधायिका की टेस्ट ऑफ मेजॉरिटी को आधार बनाया गया।

  • तो वहीं, शिंदे की ओर से वकील नीरज किशन कौल ने कहा, पूरा तर्क यह है कि हमने विधायक दल को अलग माना है और हमने सरकार गिरा दी है। हमारा यह मामला कभी नहीं हो सकता है कि विधायी दल इस हिस्से का अभिन्न अंग नहीं है। यह कभी तर्क नहीं हो सकता, विधायक दल अलग होता है, लेकिन राजनीतिक दल में किसका बहुमत होता है, यह दसवीं अनुसूची का मसला नहीं है, क्योंकि यह कहां लिखा है कि विधायकों को पार्टी नहीं माना जाएगा। चुनाव आयोग ने शिवसेना के ही संविधान के आधार पर जहां एक गुट जिसके पास सांसदों, विधायकों और अन्य चुने हुए जनप्रतिनिधियों का समर्थन प्राप्त है, उसे पार्टी का नाम और सिंबल दे दिया।

  • CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि, हम इस याचिका पर सुनवाई करेंगे। सिब्बल ने अतंरिम संरक्षण मांगा। सुनवाई होने तक आयोग के आदेश पर अंतरिम रोक लगे। हम इस याचिका पर नोटिस जारी करेंगे, शिंदे गुट इस पर जवाब दाखिल करे।

  • इस दौरान CJI ने शिंदे से पूछा, क्या आप उन्हें नोटिस जारी कर अयोग्य करार देंगे? इस पर शिंदे गुट की ओर से कोर्ट को भरोसा दिलाया गया कि, अभी अयोग्यता की कार्रवाई नहीं करेंगे।

  • सीजेआई ने कहा कि, अब और क्या बचा है।

  • तो वहीं, कपिल सिब्बल ने कहा, बैंक अकाउंट और सपंत्ति आदि सब कुछ है।

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