केरल: इंसानियत शर्मसार-प्रेग्नेंट हथिनी को खिलाया पटाखे भरा अनानास
केरल: इंसानियत शर्मसार-प्रेग्नेंट हथिनी को खिलाया पटाखे भरा अनानासPriyanka Sahu -RE

केरल: इंसानियत शर्मसार-प्रेग्नेंट हथिनी को खिलाया पटाखे भरा अनानास

केरल के मलप्पुरम से अमानवीय घटना, यहां कुछ लोगों ने प्रेग्नेंट हथिनी को पटाखों से भरा अनानास खिलाया, 3 दिन तक पानी में खड़े होकर तड़पती रही हथिनी व उसके बच्‍चे की मौत हो गई।

केरल, भारत। केरल के मलप्पुरम जिले से एक घटना सामने आई है, जिसे सुनकर व पढ़कर आपके रोंगटे खड़े हो सकते हैं, क्‍योंकि यहां जानवरों के साथ की गई बदसुलूकी इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली है। दरअसल, सामने आई ये शर्मनाक घटना ये है कि, यहां लोगों ने एक प्रेग्नेंट भूखी हथिनी को पटाखे से भरा अनानास खिला दिया।

तड़प-तड़प कर हथिनी व उसके बच्‍चे की मौत :

बताया गया है कि, यहां पर कुछ लोगों ने मिलकर भूखी हथिनी को पटाखे से भरा अनानास खिलाया, हथिनी ने जब ये अनानास खाने के लिए मुंह में रखा, तो पटाखे हथिनी के मुंह में फट गया, जिससे उसकी ऐसी स्थिति हो गई कि, वह मरने के लिए नदी में जा खड़ी हुई। भावुक कर देने वाला ये मामला गुरुवार का है, बुरी तरह से घायल हथिनी मौत के इंतजार में 3 दिन तक पानी में खड़ी रही और फिर बीते शनिवार को हथिनी और उसके उसके पेट में पल रहे बच्‍चे दोनों की मौत हो गई। लोगों ने इस घटना को अंजाम देते वक्‍त हैवानियत की सभी हद ही पार कर दीं और हथिनी मानवीय क्रूरता का शिकार हुई।

कैसे सामने आया ये मामला :

इस अमानवीय घटना का मामला उस वक्त सामने आया, जब उत्तरी केरल के मलप्पुरम में एक फॉरेस्ट अफसर द्वारा इस भावुक घटना को अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया, इस घटना के फोटो सोशल मीडिया पर भी काफी वायरल हो रहे और लोगों में काफी गुस्‍सा है। मल्लपुरम जिले में रैपिड रिस्पॉन्स टीम के फॉरेस्ट अफसर मोहन कृष्णन द्वारा अपने फेसबुक पोस्‍ट पर क्‍या लिखा, वो भी आप यहां देख सकते हैं-

मादा हाथी खाने की तलाश में जंगल से पास के गांव में पहुंच गई थी, यहां वह इधर-उधर घूम रही थी। इसके बाद उसे कुछ लोगों ने पटाखे भरे अनानास खिला दिए, पटाखे इतने असरदार थे, कि उसका मुंह और जीभ बुरी तरह से जख्मी हो गए। वह खाने की तलाश में पूरे गांव में भटकती रही, दर्द के चलते वह कुछ खा भी नहीं सकी। मादा हाथी ने घायल होने के बावजूद किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया, किसी पर हमला भी नहीं किया, वह बहुत सीधी और शांत थी।

फॉरेस्ट ऑफिसर द्वारा ये भी बताया गया है कि, खाने की तलाश में वह वेल्लियार नदी तक पहुंची और नदी में मुंह डालकर खड़ी हो गई। शायद पानी में मुंह डालने से उसे थोड़ा आराम मिला हो। जब हाथी की दयनीय स्थिति फॉरेस्ट अफसरों को पता चली, तो वे दो कुमकी हाथियों, सुरेंद्रन और नीलाकंतन को घायल हाथी को वलियार नदी से बाहर निकालने के लिए ले आए, बड़ी मुश्किल के बाद पानी से बाहर निकाला गया, लेकिन उसकी मौत हो गई।

हाथी का किया पोस्टमॉर्टम :

त्रिशूर के सहायक वन पशु चिकित्सा अधिकारी, डॉ डेविड अब्राहम ने हाथी का पोस्टमॉर्टम किया, तो उन्होंने कहा कि, हथिनी के घाव देखते ही यह साफ हो गया था कि, ये जिंदा नहीं बचेगी। दो दशकों के अपने करियर में मैंने बहुत से हाथियों के पोस्टमॉर्टम किए, लेकिन ये घटना कुछ अलग थी, ऐसा पहली बार हुआ था जब भ्रूण को मैं अपने हाथों से पकड़ सकता था।

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