राजनाथ सिंह
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असम ने देश को ऐसे आइकन दिए, जिन्होंने लगभग सभी क्षेत्रों में अपना परचम लहराया: राजनाथ सिंह

असम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तेजपुर विश्वविद्यालय के 21वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर अपने संबोधन में कही ये बातें...

हाइलाइट्स :

  • तेजपुर विश्वविद्यालय के 21वें दीक्षांत समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विश्वविद्यालय के 21वें दीक्षांत समारोह को संबधित किया

  • असम लछित बोरफुकान जैसे वीरों की भूमि है, जिनसे आज तक हमारी generations inspiration ले रही हैं: राजनाथ सिंह

असम, भारत। असम में आज रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तेजपुर विश्वविद्यालय के 21वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुए और समारोह को संबोधित किया।

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तेजपुर विश्वविद्यालय के 21वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ''हम सब जानते हैं, कि असम लछित बोरफुकान जैसे वीरों की भूमि है, जिनसे आज तक हमारी generations inspiration ले रही हैं। असम, महान भक्त और poet, श्रीमंत शंकरदेव की भूमि है, जिन्होंने अपने समय के बिखर रहे समाज को भक्ति के सूत्र में बाँध कर एक किया। असम, freedom fighter ‘लोकप्रिय’ गोपीनाथ बारदोलोई की भूमि रही है, जो आज भी हमारे icon हैं। असम, भूपेन हज़ारिका का birthplace है, जिन्होंने music के क्षेत्र में कई आयाम गढ़ दिए। कहने का अर्थ, असम ने, राष्ट्र को ऐसे आइकन दिए हैं, जिन्होंने art, valour, literature, religion, politics, यानी सभी क्षेत्रों में अपना परचम लहराया है।''

साथियों, मैं खुद भी एक टीचर रह चुका हूं, इसलिए मुझे शिक्षक और छात्रों के बीच के relation को सिर्फ बाहर से ही नहीं, बल्कि academic world के अंदर से भी experience करने का अवसर मिला है। एक टीचर के तौर पर मैं youth को जहां तक समझ पाया हूं, उसे मैं सिर्फ इस बात से express करना चाहूंगा, कि students के अंदर teachers से ज्यादा नयापन होता है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

  • Teacher के पास अधिक ज्ञान होता है, अधिक experience होता है। तभी वह students को पढ़ाता है, उन्हें guide करता है। पर मैं समझता हूँ, students से भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है। हमारे youth में new thoughts और new ideas की receptivity है। उनके अंदर creativity है। उनमें ambition है, और इन्हीं सबके conglomeration को new thinking, यानि नई सोच कहा जा सकता है, जो New India के निर्माण का background तैयार करता है।

  • साथियों, आप सबने famous Swiss psychologist, कार्ल गुस्टाव युंग के बारे में पढ़ा होगा। उन्होंने किसी समय question किया था कि, ‘कोई ऐसा है, जिसने यह experience किया हो, कि इतिहास मोटी-मोटी किताबों में नहीं होता, बल्कि वह हमारे रगों में होता है?’ इस बात से उनका आशय यह था कि हम जाने-अनजाने अपनी history से ही define होते हैंI

  • आज जब नई सोच के साथ बनते नए भारत को मैं देख रहा हूँ, तो मुझे इसका जवाब पूरी तरह ‘हाँ’ में नज़र आता हैI नया भारत, न केवल अपने golden past से प्रभावित है, बल्कि उस इतिहास को repeat करने, और अपना खोया हुआ pride वापस पाने की ओर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।

  • Global stage पर विभिन्न organizations, और राष्ट्राध्यक्षों द्वारा प्रायः यह सुनने को मिलता है, कि 21st century, Indian century है। बीते लगभग एक decade में भारत जिन positive changes से गुजरा है, उसे देखकर intellectuals द्वारा इस प्रकार की forecast पूरी तरह justified है। साथियों, पहले के भारत और नए भारत के बीच वैसे तो अनेक differences दिखते हैं, लेकिन मेरे अनुसार देश की जनता जिस main difference को देख पा रही है, वह अंतर है सोच का।

  • साथियों, अब वह दौर चला गया जब 5 year plans बनते थे, फिर उनकी समाप्ति के बाद evaluation करने पर यह पाया जाता था, कि targets पूरे ही नहीं हुए हैं और उन्हें अगले 5 year plan के लिए टाल दिया जाता था।

  • ऐसा नहीं है कि हमें failures नहीं मिले। हमें failures भी मिले, लेकिन देश की जनता ने उन failures में भी हमारे sincere efforts देखे। हम उन failures से कभी disappoint नहीं हुए, हमने उनसे सीख कर आगे बढ़ने का काम किया। लेकिन यह नया भारत है, इस नये भारत में योजनाओं का समय से implementation ensure किया जाता है।

  • यदि मैं facts की बात करूं तो, 2014 में भारत की कुल जीडीपी करीब $ 2 ट्रिलियन थी। Forbes India के अनुसार, यह size बढ़कर लगभग पौने चार ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच गई है। 2014 में हम जहाँ दुनिया की Top 10 economies में शामिल थे, वहीं आज हम दुनिया की Top 5 economies में शामिल हो चुके हैं। जैसा कि माननीय प्रधानमंत्री जी इसका जिक्र कर चुके हैं, कि उनके leadership में जो third term की हमारी सरकार आएगी, उस term की समाप्ति तक हम दुनिया की टॉप 3 economies में शामिल होंगे। इसका indication IMF, वर्ल्ड बैंक और मॉर्गन स्टेनले जैसे दुनिया के बड़े economic organizations भी दे चुके हैंI मेरी तो यह मनोकामना है, कि यदि हम इसी प्रकार से आगे बढ़ते रहे, तो 2047 तक हम दुनिया की सबसे बड़ी economy बनकर सामने आएंगे।

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