भूकंप के तेज झटकों से कांपी अंडमान निकोबार की धरती
भूकंप के तेज झटकों से कांपी अंडमान निकोबार की धरतीSyed Dabeer Hussain - RE

Earthquake: भूकंप के तेज झटकों से कांपी अंडमान निकोबार की धरती, 6.1 मापी गई तीव्रता

अंडमान-निकोबार से एक बड़ी खबर सामने आई है। खबरों के अनुसार, अंडमान-निकोबार (Andaman and Nicobar) में शुक्रवार देर रात भूकंप के झटके महसूस किए गए।

Earthquake in Andaman and Nicobar: अंडमान-निकोबार से एक बड़ी खबर सामने आई है। खबरों के अनुसार, अंडमान-निकोबार में शुक्रवार देर रात भूकंप के झटके महसूस किए गए है। भूकंप के तेज झटकों से यहां की धरती कांप उठी। इसकी जानकारी नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (National Center for Seismology) ने दी है।

जानकारी के अनुसार, अंडमान निकोबार द्वीप में देर रात भूकंप के झटके महसूस किए गए है। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप के झटके रात करीब 2.30 बजे महसूस किए गए है। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.1 मापी गई है।

नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप का केंद्र कैंपबेल बे से 431 किलोमीटर दूर था। भूकंप की गहराई जमीन से 75 किमी नीचे थी। भूकंप के झटके तेज थे, लेकिन इससे किसी भी तरह के नुकसान की अब तक कोई खबर नहीं है।

इससे पहले अंडमान-निकोबार में 2 सितंबर को भूकंप के तेज झटके महसूस किया गया था। अंडमान-निकोबार द्वीप में 2 सितंबर को भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। भूकंप का केंद्र डिगलीपुर से 108 किमी दूर उत्तर पूर्व में बना था। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.9 मापी गई थी।

भूकंप की स्थिति में क्या करें, क्या न करें:

  • भूकंप आने पर आप घर से बाहर हैं तो ऊंची इमारतों, बिजली के खंभों आदि से दूर रहें।

  • भूकंप के झटके महसूस बंद होने तक बाहर ही रहें।

  • यदि आप गाड़ी चला रहे हो तो, गाड़ी को रोक लें और गाड़ी में ही बैठे रहें।

  • पुल या सड़क पर जाने से बचें।

  • भूकंप आने के वक्त यदि आप घर में हैं तो फर्श पर बैठ जाएं।

  • यदि आप घर से बाहर नहीं निकल सकते तो, घर के किसी कोने में चले जाएं।

  • घर में कांच, खिड़कियों, दरवाज़ों और दीवारों से दूर रहें।

  • भूकंप के समय लिफ्ट का इस्तेमाल करने से बचें।

क्यों आता है भूकंप :

वहीं, अगर भूकंप आने के कारणों के बारे में बात करे, तो धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी होती है। इनर कोर, आउटर कोर, मैन्टल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है, जिसे टैक्टोनिक प्लेट्स कहते हैं। ये टैक्टोनिक प्लेट्स अपनी जगह पर कंपन करती रहती हैं और जब इस प्लेट में बहुत ज्यादा कंपित हो जाती हैं, तो भूकंप के झटके महसूस होते हैं।

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